विषाक्त एपिडर्मल नेक्लोलिसिस विकार क्या है?
विषाक्त एपिडर्मल नेक्लोलिसिस (Toxic epidermal necrolysis;TEN;टीईएन) एक दुर्लभ त्वचा के प्रतिरक्षा से जुड़ा विकार होता है, जिसका सही से इलाज न किया जाए तो यह हमारे जीवन के लिए खतरा बन सकता है। इसे हम छाला या फफोले भी कह सकते हैं, यह शरीर के पर्याप्त हिस्से (30% और अधिक) को एक-दूसरे से संगठित कर में ढक लेता है, इससे त्वचा छिल जाती है और मृत त्वचा हटने लगती है। इसके नीचे की त्वचा की परत लाल होती है, जिसमें गंभीर जलन भी होती है। अक्सर इसमें चिपचिपी झिल्ली (mucous membranes) विशेष रूप से आंखों (conjunctivitis) के आसपास के क्षेत्र के अलावा मुंह, गले और ब्रोन्कियल ट्री में भी शामिल पाई जाती है।
किसी भी उम्र में इसकी शुरुआत हो सकती है। शिशु में इससे अक्सर संक्रमण होने लगते है। जबकि वयस्कों में यह विकार आमतौर पर एंटीकनवलसंट्स (anticonvulsants), नॉन स्टेरॉयड एंटी-इन्फ्लैमेटरीज(non-steroid anti-inflammatories) और कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां लेने की प्रतिक्रिया के कारण होता है।
विषाक्त एपिडर्मल नेक्लोलिसिस को एक प्रतिरक्षाविज्ञानी विकार माना जाता है,जो त्वचा विकारों के समूह में से एक है। विषाक्त एपिडर्मल नेक्लोलिसिस रोग को स्टीवनस-जॉनसन सिंड्रोम (Stevens-Johnson syndrome) और इरिथेमा मल्टीफोर्म (erythema multiforme) के बाद सबसे गंभीर माना जाता है।