परिचय
टाई टंग को मेडिकल भाषा में “एंकिलोग्लोशिया” (Ankyloglossia) और हिन्दी भाषा में “चिपकी हुई जीभ” कहा जाता है। चिपकी हुई जीभ शिशु में जन्म के समय से ही मौजूद होती है। जब मुंह के निचले हिस्से (लिंगुअल फ्रेनुलम) को जीभ से जोड़ने वाले ऊतक बहुत छोटे होते हैं, तो इस स्थिति को टंग टाई कहा जाता है। कुछ शिशु जिनकी जीभ चिपकी हुई होती है, उन्हें अक्सर इससे कोई परेशानी नहीं होती है। हालांकि इस समस्या से पीड़ित अन्य शिशुओं को काफी परेशानी हो सकती है, जैसे जीभ को हिला ना पाना और स्तनपान ना कर पाना। इसके अलावा टाई टंग के कारण जीभ पूरी तरह से हिल नहीं पाती और परिणामस्वरूप मुंह पूरी तरह से स्वच्छ नहीं रह पाता। डॉक्टर सामान्य रूप से मुंह व जीभ की जांच करके चिपकी हुई जीभ का परीक्षण कर सकते हैं। वयस्कों या बच्चों में टाई टंग की जांच करने के लिए डॉक्टर जीभ के आकार की, आकृति की और यह जांच करते हैं कि जीभ कितना हिल-डुल पा रही है।
चिपकी हुई जीभ एक ऐसी समस्या है जो शिशु में जन्म के दौरान ही मौजूद होती है, इसलिए इस स्थिति से बचाव करना संभव नहीं है। हालांकि चिपकी हुई जीभ का इलाज उपलब्ध है। बच्चों व वयस्कों में टाई टंग का इलाज करने के लिए उन्हें बेहोश कर दिया जाता है और फिर जीभ व उसके नीचे के हिस्से को अलग कर दिया जाता है। जीभ के चिपके हुए हिस्से को अलग करने के लिए चीरा लगाया जाता है और फिर उसमें टांके लगा दिए जाते हैं।
चिपकी हुई जीभ का इलाज ना करने पर भी कई बार किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है। बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ-साथ मुंह विकसित होने लगता है और नीचे के ऊतक भी बढ़ जाते हैं। हालांकि चिपकी हुई जीभ से कई बार कुछ समस्याएं पैदा हो जाती हैं, जैसे बोलने में दिक्कत या भोजन ना खा पाना।
(और पढ़ें - जीभ में सूजन के लक्षण)