वृषण (अंडकोष) कैंसर - Testicular Cancer in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

July 12, 2017

March 29, 2022

वृषण कैंसर
वृषण कैंसर

वृषण कैंसर क्या है?

वृषण कैंसर अंडकोष (टेस्टेस; testes) में होता है, जो अंडकोष की थैली (scrotum) (लिंग के नीचे ढीली त्वचा का एक थैला) के अंदर स्थित होते हैं। अंडकोष नर सेक्स हार्मोन और शुक्राणु उत्पन्न करते हैं। (और पढ़ें - sex kaise kare)

अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में, वृषण कैंसर दुर्लभ है।

वृषण कैंसर का इलाज हो सकता है, कैंसर वृषण से आगे फैलने के बाद भी ठीक हो सकता है। वृषण कैंसर के प्रकार और चरण के आधार पर, आपको कई इलाजों में से एक या अन्य इलाजों के संयोजन मिल सकते हैं। नियमित वृषण के परिक्षण से उसके बढ़ने के बारे में पता चल सकता है, तब वृषण कैंसर के इलाज के सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

भारत में वृषण कैंसर

भारत में वृषण कैंसर एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का कैंसर है। भारत में, 1 लाख में से 1 पुरुष में वृषण कैंसर का निदान होता है।

2001-2003 के बीच, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, भोपाल, बेंगलुरु और एक ग्रामीण केंद्र - बार्शी में, वृषण कैंसर के कुल 403 मामले दर्ज किए गए थे (सभी कैंसर का 0.91%)।

वृषण कैंसर के प्रकार - Types of Testicular Cancer in Hindi

वृषण कैंसर के कितने प्रकार होते हैं ?

वृषण कैंसर के निम्नलिखित 3 प्रमुख प्रकार होते हैं -

1. जर्म सेल ट्यूमर (Germ cell tumor)
90% से अधिक वृषण कैंसर अंडकोष (testicle) में मौजूद "जर्म कोशिकाओं" में विकसित होते हैं। ये कोशिकाएं शुक्राणु बनाती हैं। पुरुषों में जर्म सेल ट्यूमर के दो मुख्य प्रकार हैं -

  1. सेमिनोमा (Seminoma)
  2. गैर-सेमिनोमा (Non-Seminoma)

2. स्ट्रोमल ट्यूमर (Stromal tumor)
ट्यूमर, अंडकोष (testicle) के सहायक और हार्मोन-उत्पादक ऊतकों या स्ट्रोमा (stroma) में भी विकसित हो सकते हैं। इन ट्यूमर को गोनाडल स्ट्रॉमल ट्यूमर (gonadal stromal tumor) भी कहा जाता है। यह ट्यूमर 5% से भी कम वयस्कों में पाए जाते हैं लेकिन बच्चों में इस ट्यूमर का प्रचलन 20% तक है। स्ट्रोमल ट्यूमर के दो मुख्य प्रकार होते हैं -

  1. लेडिग सेल ट्यूमर (Leydig cell tumor)
  2. सर्टोली सेल ट्यूमर (Sertoli cell tumor)

3. सेकेंडरी वृषण कैंसर (Secondary testicular cancer)
ऐसे कैंसर जो किसी दूसरे अंग में शुरू होते हैं और फिर वृषण में फैलते हैं, उन्हें सेकेंडरी वृषण कैंसर कहा जाता है। ये वास्तव में वृषण कैंसर नहीं होते हैं और उनका उपचार उनके शुरू होने के स्थान के आधार पर किया जाता है।

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वृषण कैंसर के चरण - Stages of Testicular Cancer in Hindi

वृषण कैंसर के कितने चरण होते हैं ?

वृषण कैंसर के निम्नलिखित तीन चरण होते हैं -

  1. पहला चरण
    वृषण कैंसर के पहले चरण का अर्थ है कि यह केवल अंडकोष (testicle) तक ही सीमित है।

  2. दूसरा चरण
    वृषण कैंसर के दूसरे चरण का अर्थ है कि यह पेट में लिम्फ नोड्स (lymph nodes) में फैल गया है।

  3. तीसरा चरण
    वृषण कैंसर के तीसरे चरण का अर्थ है कि यह शरीर के अन्य भागों में फैल गया है। इस प्रकार का कैंसर ज़्यादातर फेफड़े, लीवर, दिमाग और हड्डी में फैलता है।

वृषण कैंसर के लक्षण - Testicular Cancer Symptoms in Hindi

वृषण कैंसर के क्या लक्षण होते हैं ?

वृषण कैंसर के निम्नलिखित लक्षण होते हैं -

  1. अंडकोष में गांठ या किसी एक अंडकोष में वृद्धि।
  2. अंडकोष की थैली में भारीपन महसूस होना।
  3. पेट या पेट और जांध के बीच के भाग में हल्का दर्द होना।
  4. अंडकोष की थैली में द्रव का अचानक संग्रह होना।
  5. अंडकोष या अंडकोष की थैली में दर्द या परेशानी होना।
  6. स्तनों में वृद्धि या टेंडरनेस होना (यानी, छूने पर दर्द होना)।
  7. पीठ में दर्द

वृषण कैंसर के कारण और जोखिम कारक - Testicular Cancer Causes & Risk Factors in Hindi

वृषण कैंसर कैसे होता है ?

यह स्पष्ट नहीं है कि ज्यादातर मामलों में वृषण कैंसर किस कारण होता है।

डॉक्टर यह जानते हैं कि वृषण कैंसर तब होता है जब वृषण में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं में कुछ बदलाव आते हैं। स्वस्थ कोशिकाएं सामान्य रूप से काम करने के लिए व्यवस्थित तरीके से विकसित होती हैं और विभाजन करती हैं लेकिन कभी-कभी कुछ कोशिकाओं में असमानताओं के कारण यह नियंत्रण से बाहर बढ़ने लगती हैं। यह बढ़ना तब भी जारी रहता है जब नई कोशिकाओं की ज़रूरत नहीं होती है। यह कोशिकाएं एकत्रित होकर ट्यूमर बनाती हैं।

वृषण कैंसर के जोखिम कारक क्या हैं ?

वृषण कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक निम्नलिखित हैं -

  1. असामान्य वृषण विकास - अगर आपका वृषण असामान्य रूप से विकसित हुआ है, तो आपका वृषण कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
  2. परिवार का इतिहास - अगर आपके परिवार के सदस्यों को वृषण कैंसर हुआ है, तो आपको भी इसका अधिक खतरा हो सकता है।
  3. उम्र - वृषण कैंसर किशोर और युवा पुरुषों को अधिक प्रभावित करता है, विशेषकर 15 और 35 साल के बीच के पुरुष। हालांकि, यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
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वृषण कैंसर से बचाव - Prevention of Testicular Cancer in Hindi

वृषण कैंसर से बचाव के उपाय क्या हैं ?

वृषण कैंसर से बचने का कोई तरीका नहीं है, लेकिन इसका जल्दी निदान होना महत्वपूर्ण है। पुरुषों को हर महीने वृषण की आत्म परीक्षा करनी चाहिए। यदि आप 15 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष हैं और आपको वृषण की आत्म परीक्षा के तरीके के बारे में नहीं पता है, तो अपने चिकित्सक से इसके बारे में पूछें। यदि आपको अपने अंडकोश में कोई बदलाव (गांठ, कठोरता, लगातार दर्द या अंडकोश का बड़ा या छोटा होना) महसूस हो, तो तुरंत अपने डॉक्टर को सूचित करें ताकि उसकी जांच की जा सके।

वृषण कैंसर का निदान - Diagnosis of Testicular Cancer in Hindi

वृषण कैंसर का निदान कैसे होता है ?

वृषण कैंसर का निदान निम्नलिखित तरीकों से किया जाता है -

  1. अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
    इस परीक्षण में, शरीर के ऊतकों की तस्वीर बनाने के लिए उच्च-ऊर्जा ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है।

  2. शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास
    एक शारीरिक परीक्षण और चिकित्सा इतिहास डॉक्टर को उन समस्याओं को जानने में मदद कर सकता है जो वृषण कैंसर से संबंधित हो सकते हैं।

  3. सीरम ट्यूमर मार्कर टेस्ट (Serum tumor marker test)
    यह प्रक्रिया विशिष्ट प्रकार के कैंसर से जुड़े कुछ पदार्थों की मात्रा को मापने के लिए रक्त के नमूने की जांच करती है। इन पदार्थों को ट्यूमर मार्कर कहा जाता है।

  4. इनगुइनल औरकिएकटमी और बायोप्सी (Inguinal orchiectomy and biopsy)
    इस प्रक्रिया में एक चीरे के माध्यम से पूरे अंडकोष को हटाया जाता है। इसके बाद अंडकोष से एक ऊतक का नमूना लेकर कैंसर कोशिकाओं के लिए उसकी जाँच की जाती है।

  5. सीटी स्कैन और एक्स-रे (CT scan and X-ray)
    सीटी स्कैन में, एक्स-रे का उपयोग करके शरीर के अंदर की तस्वीरें बनाई जाती हैं। जब कैंसर का निदान या संदेह होता है, तो सीटी स्कैन का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि क्या यह शरीर मौजूद है। वृषण कैंसर में, पेट और श्रोणि का सीटी स्कैन किया जाता है। छाती की छवियों को सीटी स्कैन या नियमित एक्स-रे का उपयोग करके लिया जाता है।

वृषण कैंसर का उपचार - Testicular Cancer Treatment in Hindi

वृषण कैंसर का उपचार कैसे होता है ?

वृषण कैंसर का उपचार तीन तरीकों से किया जाता है। आपके कैंसर के स्तर पर निर्भर करते हुए, आपको एक या एक से अधिक विकल्पों की आवश्यकता हो सकती है।

  1. सर्जरी
    सर्जरी का उपयोग एक या दोनों अंडकोषों और कुछ आसपास के लिम्फ नोड्स को निकालने के लिए किया जाता है।

  2. विकिरण चिकित्सा (Radiation therapy)
    विकिरण चिकित्सा में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए उच्च-ऊर्जा किरणों का उपयोग किया जाता है। इसे बाहरी या आंतरिक रूप से प्रशासित किया जा सकता है।

  3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)
    कीमोथेरेपी में कैंसर की कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। यह उपचार उन कैंसर कोशिकाओं को मारता है जो शरीर के अन्य हिस्सों में फ़ैल चुके हैं। जब इसे मौखिक रूप से या नसों के माध्यम से दिया जाता है, तो रक्तप्रवाह के माध्यम से कैंसर की कोशिकाओं को मार सकता है।

अगर वृषण कैंसर बहुत बढ़ चूका है तो ज़्यादा मात्रा में कीमोथेरेपी की खुराक दी जा सकती है। इसके बाद स्टेम सेल ट्रांसप्लांट किया जाता है। एक बार जब कीमोथेरेपी से कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं तो स्टेम कोशिकाओं को प्रशासित किया जाता है और यह कोशिकाएं स्वस्थ रक्त कोशिकाओं में विकसित होती हैं।

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वृषण कैंसर के जोखिम और जटिलताएं - Testicular Cancer Risks & Complications in Hindi

वर्षक कैंसर से क्या जटिलताएं पैदा हो सकती हैं?

हालांकि, वृषण कैंसर अत्यधिक उपचार योग्य कैंसर है लेकिन फिर भी यह शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है।

यदि आपके एक या दोनों अंडकोष हटा दिए जाते हैं, तो आपकी प्रजनन क्षमता भी प्रभावित हो सकती है। उपचार शुरू होने से पहले, अपने चिकित्सक से अपनी प्रजनन क्षमता के संरक्षण के लिए विकल्पों के बारे में पूछें।

(और पढ़ें - प्रजनन क्षमता बढ़ाने के उपाय)



संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Testicular cancer.
  2. American Society of Clinical Oncology [Internet] Virginia, United States; Testicular Cancer: Symptoms and Signs
  3. Canadian Cancer Society. Testicular cancer. [Internet]
  4. American Cancer Society [Internet] Atlanta, Georgia, U.S; Testicular Cancer.
  5. Cancer Research UK. Testicular cancer. [Internet]

वृषण (अंडकोष) कैंसर की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Testicular Cancer in Hindi

वृषण (अंडकोष) कैंसर के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।