सबड्यूरल हेमाटोमा का सबसे प्रमुख कारण सिर में लगने वाली चोट है। यह चोट कई तरह से लग सकती है जैसे फिसल कर गिरना, दुर्घटना या किसी प्रकार का हमला। सिर पर अचानक लगने वाले झटके के कारण मस्तिष्क की सतह पर फैली रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं। इसके अलावा रक्त विकार से प्रभावित लोग और रक्त को पतला करने वाली दवाओं का सेवन करने वालों में भी सबड्यूरल हेमाटोमा विकसित होने की आशंका अधिक होती है। सिर में मामूली सी चोट लगने के परिणामस्वरूप होने वाला रक्तस्राव भी सबड्यूरल हेमाटोमा का कारण बन सकता है।
सबड्यूरल हेमाटोमा मुख्य रूप से दो प्रकार (एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा और क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा) का होता है, आइए इन दोनों के कारणों के बारे में जानते हैं।
एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा
यदि मस्तिष्क में गंभीर चोट लग जाए तो उस हिस्से में रक्त का जमाव अधिक हो जाता है। ऐसी स्थिति जानलेवा भी हो सकती है। इसे सबड्यूरल हेमाटोमा का सबसे घातक प्रकार माना जाता है।
एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा आमतौर इन कारणों से हो सकता है।
- कार दुर्घटना
- सिर को बहुत तेज झटका लगना
- गिरकर लगने वाली चोट
एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा बहुत तेजी से विकसित होता है और इसके लक्षण भी तुरंत दिखाई देने लगते हैं। एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा के शिकार लगभग 50 से 90 फीसदी लोगों की इसकी जटिलताओं के कारण मौत हो जाती है।
क्रोनिक सबड्यूरल हेमेटोमा
क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा आमतौर पर हल्के या बार-बार सिर पर लगने वाली चोट के कारण होता है। ये उम्रदराज लोगों में सबसे आम है, क्योंकि वह बार-बार गिरते रहते हैं, जिससे सिर में चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। कुछ क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा बिना किसी स्पष्ट कारण के भी हो सकते हैं।
वृद्ध लोगों में क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा विकसित होने का खतरा इसलिए भी अधिक होता है क्योंकि उम्र के अनुसार उनका मस्तिष्क सिकुड़ जाता है। इस वजह से खोपड़ी में अतिरिक्त स्थान बन जाता है, जिसके कारण सिर की चोट के दौरान नसों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ जाता है। क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं, इनके विकसित होने में कई हफ्तों तक का वक्त लग सकता है।
एक्यूट सबड्यूरल हेमाटोमा की तुलना में क्रोनिक सबड्यूरल हेमाटोमा का इलाज करना आसान होता है। हालांकि, इसमें भी जान जाने का डर बना रहता है।