अंडकोष में गांठ (स्पर्माटोसील) क्या है?
अंडकोष में गांठ या स्पर्माटोसील एक दर्द रहित और द्रव से भरी सिस्ट (Cyst/पुटी) होती है। यह सिस्ट कसी हुई कॉइल्ड ट्यूब (गोलाई ली हुई नलिका) में होती है। यह नलिका दोनों अंडकोषों के पीछे होती है। ऐसी कई दर्जन नलिकाएं हैं जो वृषण को एपीडिडिमिस (अधिवृषण) से जोड़ती हैं। इनमें से किसी भी नलिका में रुकावट आ सकती है। जब एेसा होता है तब एपीडिडिमिस में सिस्ट (गांठ) बनने लगती है। यह गांठ या स्पर्माटोसील कैंसर-मुक्त होती है और आमतौर पर दर्दरहित भी होती है। यह सफेद रंग के या साफ द्रव से भरी होती है, जिसमें कई बार शुक्राणु भी होते हैं।
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माना जाता है कि यह अवस्था प्रभावित जगह पर संक्रमण और सूजन होने के चलते होती है। हालांकि ये यौन संबंधी कार्यों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं करते। इससे किसी व्यक्ति के लिंग स्तंभन या जनन क्षमता पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता। यह किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है लेकिन ज्यादातर 20 से 50 साल के बीच की उम्र के पुरुषों में होता है।
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आम तौर पर यह पहचानना कि एपिडिडिमिस में सिस्ट होने से अंडकोष भारी हुए है, काफी आसान है। हालांकि यह पुष्टि करने के लिए कि दोनों अंडकोष के आकार की असामान्यता में कोई अंदरूनी दिक्कत नहीं है, कभी-कभी अंडकोषीय सामग्री का अल्ट्रासाउंड भी किया जा सकता है। अंडकोष में गांठ का इलाज करने के कई तरीके हैं। छोटी गांठों को आमतौर पर छोड़ दिया जाता है। ये गांठ एक साल तक उपस्थित रह सकती हैं और किसी प्रकार की परेशानी पैदा नहीं करती।
अंडकोष की बड़ी गांठ के लिए या जिसका आकार लगातार बढ़ता जा रहा है, सर्जिकल प्रक्रिया सुझाई जा सकती है। अंडकोष की गांठ कभी-कभी कुछ लक्षण भी पैदा कर सकती है जैसे दर्द, पीड़ा या खींचने जैसे सनसनी आदि, इस मामले में भी डॉक्टर द्वारा सर्जरी करने की सिफारिश की जा सकती है।
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