स्पास्टिसिटी - Spasticity in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

December 02, 2020

September 11, 2021

स्पास्टिसिटी
स्पास्टिसिटी

स्पास्टिसिटी मांसपेशियों को नियंत्रित करने से जुड़ा एक विकार है। इसमें मांसपेशियां टाइट या कठोर हो जाती हैं और उन्हें नियंत्रित करने में दिक्कत आती है। यह अनैच्छिक गतिविधियां बहुत लंबे समय तक बनी रह सकती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो स्पास्टिसिटी मसल्स मूवमेंट (मांसपेशियों की गतिविधियां) में एक तरह की बाधा है। इसमें मांसपेशियां टाइट हो जाती हैं। यदि केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में नसों को नुकसान पहुंचा है तो कई मांसपेशियां एक ही बार में टाइट या सिकुड़ सकती हैं। ऐसा सेरेब्रल पाल्सी, ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी (मस्तिष्क की चोट), स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी की चोट, मल्टीपल स्केलेरोसिस और अन्य स्थितियों में भी पाया जा सकता है, जो मस्तिष्क और / या रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती हैं। स्पास्टिसिटी यानी लोच ज्यादातर पैरों में होती है, लेकिन यह बाहों में भी हो सकती है।

स्पास्टिसिटी के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Spasticity symptoms in hindi

  • मांसपेशियों की टोन में बढ़ोतरी
  • अनैच्छिक गतिविधियां, जिसमें ऐंठन (तेज और / या निरंतर अनैच्छिक मांसपेशियों में संकुचन) शामिल हो सकते हैं
  • दर्द
  • कार्य करने की क्षमता में कमी और मोटर डेवलपमेंट (हड्डियां और मांसपेशियों की मजबूती) में देरी
  • खुद की देखभाल व साफ सफाई करने में कठिनाई
  • असामान्य मुद्रा (पॉश्चर)
  • संकुचन (मांसपेशियों और कंडरा के स्थायी संकुचन के कारण गंभीर रूप से कठोरता और ऐंठन)
  • हड्डियां और जोड़ों का विकृति होना
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स्पास्टिसिटी का कारण क्या है? - Spasticity cause in hindi

स्पास्टिसिटी का मुख्य कारण मांसपेशियों की गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले तंत्रिका मार्ग को नुकसान पहुंचना है। या इसको हम ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी) से मांसपेशियों तक जाने वाले संकेतों में असंतुलन आ जाता है तो ऐसे में स्पास्टिसिटी की समस्या हो सकती है। यह विभिन्न स्थितियों और रोगों का लक्षण हो सकता है, जिसमें शामिल हैं :

  • दिमाग की चोट
  • रीढ़ की हड्डी में चोट
  • स्ट्रोक
  • सेरेब्रल पाल्सी
  • मल्टीपल स्केलेरोसिस (एमएस)
  • एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस
  • हेरेडिटरी स्पास्टिक पैराप्लेजिया
  • एड्रिनोलेकोडिस्ट्रोफी
  • क्रैब डिजीज

स्पास्टिसिटी का परीक्षण और निदान कैसे किया जा सकता है? - spasticity diagnosis in hindi

स्पास्टिसिटी का निदान आसानी से नहीं हो सकता है, लेकिन स्पास्टिसिटी और इसकी गंभीरता का पता लगाने के लिए न्यूरोलॉजिकल टेस्ट के साथ फिजिकल टेस्ट भी किया जा सकता है। इसके अलावा इमेजिंग टेस्ट जैसे एमआरआई की मदद से हमें यह पता चल सकता है कि स्पास्टिसिटी की वजह से किसी अंग को कितनी क्षति हुई है।

डॉक्टर स्पास्टिसिटी के निदान के लिए मेडिकल हिस्ट्री भी चेक सकते हैं। इसमें वे जानना चाहेंगे कि आप क्या दवाइयां लेते हैं या पहले कौन सी दवाइयां ली हैं या परिवार के किसी सदस्या में न्यूरोलॉजिकल या मांसपेशियों से जुड़ी बीमारी रही है अथवा नहीं आदि।

स्पास्टिसिटी का इलाज कैसे किया जाता है? - spasticity treatment in hindi

अच्छी बात यह है कि स्पास्टिसिटी के लिए कई उपचार विकल्प हैं और मरीज आमतौर पर एक समय में एक से अधिक उपचार ले सकता है। निम्नलिखित उपचार लक्षणों को प्रभावी ढंग से कम करने और दैनिक जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में असरदार हैं :

(1) गैर-सर्जिकल उपचार

  • फिजिकल थेरेपी : स्ट्रेचिंग एंड स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज की मदद से बड़ी मांसपेशियों की गतिविधियों में सुधार किया जा सकता है।
  • ऑक्यूपेशनल थेरेपी : इसकी मदद से दैनिक कार्यों के लिए शक्ति और समन्वय में सुधार होता है। जिन मरीजों में बोलने से जुड़ी समस्याएं होती हैं, उनके लिए स्पीच थेरेपी मददगार हो सकती है।

(2) सर्जरी

  • इंट्रैथिकल बैक्लोफेन (आईटीबी) पंप : इसमें सर्जरी के जरिए पेट में एक पंप लगाया जाता है। इसके बाद स्पाइनल फ्लूड तक बैक्लोफेन नामक दवा जारी की जाती है। यह स्पास्टिक और दर्द को कम करने में मदद करता है। आईटीबी पंप थेरेपी का इस्तेमाल केवल स्पास्टिसिटी के गंभीर मामलों में ही करना चाहिए।
  • सेलेक्टिव डॉर्जल रिजोटॉमी (एसडीआर): स्पास्टिसिटी का एक कारण एंटागोनिस्ट मसल्स की ओर जाने वाले विद्युत संकेतों में असंतुलन है। एसडीआर के जरिये इन संकेतों को संतुलित किया जा सकता है।
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