परिचय
जब कोई व्यक्ति नींद से पूरी तरह से जागे बिना चलने लगता है या फिर कोई अन्य खास गतिविधि करता है तो ऐसी स्थिति को नींद में चलना (स्लीप वॉकिंग) कहा जाता है। यह आमतौर पर गहरी नींद के दौरान होता है। नींद रात के शुरूआती समय में अधिक गहरी होती है, इसलिए नींद में चलने की समस्या आमतौर पर सोने के कुछ घंटों के भीतर ही होती है। ऐसी कई स्थितियां हैं जिनके कारण आप नींद में चलने लग जाते हैं।
नींद में चलना वयस्कों के मुकाबले बच्चों में अधिक होता है और जो लोग पर्याप्त नींद नहीं ले पाते उनको भी नींद में चलने जैसी समस्या होने लगती है। नींद में चलने वाला व्यक्ति इस दौरान गहरी नींद में होता है। इस दौरान व्यक्ति को नींद से जागने में दिक्कत आती है और हो सकता है उसको हाल ही में हुई नींद में चलने की घटना याद भी ना हो।
(और पढ़ें - नींद संबंधी विकार का इलाज)
नींद में चलने के दौरान कई बार आप बोलने या चिल्लाने भी लगते हैं। नींद में चलने के दौरान आमतौर पर आपकी आंखें खुली होती हैं और उनमें उलझन सी दिखाई पड़ती है। ऐसी स्थिति में आप नियमित रूप से रात के समय ऐसी क्रियाएं करने लग जाते हैं जिनको रात को नहीं करना चाहिए। इस स्थिति का परीक्षण मरीज के संकेत व लक्षणों और स्थिति के जोखिम कारकों की जांच करके किया जाता है। आपके डॉक्टर आपकी स्लीप स्टडी भी कर सकते हैं।
कुछ उपाय हैं जो नींद में चलने की समस्या से बचाव करने में मदद कर सकते हैं, जैसे अच्छी नींद लेने की आदत डालना, शराब ना पीना, कैफीन (चाय-कॉफी) ना पीना और धूम्रपान ना करना आदि। नींद के दौरान चोट आदि लगने की संभावना को कम करने के लिए आपके आसपास के वातावरण में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं। जिसमें खिड़की व दरवाजों को लॉक करना, नुकिले व तेज धार वाली चीजों को सुरक्षित दूरी पर रखना और ऊपर चढ़कर ना सोना जिससे सीढ़ियों से गिरने या फिसलने के जोखिम कम हो जाते हैं। कुछ मामलों में उचित जांच करने के बाद नींद में चलने की समस्या का इलाज किया जाता है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए मरीज को हल्की खुराक दी जाती है।
(और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)