परिचय
नींद में बोलने की बीमारी को मेडिकल भाषा में “निद्रालाप” (Somniloquy) कहा जाता है। नींद में बोलना एक प्रकार का पैरासोमनिया (नींद के समय असाधारण व्यवहारिक गतिविधियां) होता है। नींद में बोलना एक सामान्य घटना है, जिसे कोई गंभीर मेडिकल समस्या नहीं माना जाता। डॉक्टर अभी तक इस समस्या के बारे में ज्यादा जान नहीं पाए हैं कि यह क्यों होता है और ऐसा मस्तिष्क में क्या होता है कि व्यक्ति नींद में बोलने लग जाता है। नींद में बोलने वाले व्यक्ति को पता नही होता कि वह बोल रहा है और उठने के बाद उसको इस बारे में कुछ याद नहीं होता है।
नींद में बोलने वाले व्यक्ति को इस घटना के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है और नींद के दौरान उनके बोलने की भाषा और आवाज थोड़ी अलग हो सकती है। नींद के दौरान व्यक्ति जो बोलता है, वह स्वभाविक भी हो सकती है या फिर व्यक्ति द्वारा पहले हुई किसी बातचीत से जुड़ी हो सकती है।
ज्यादातर मामलों में नींद में बोलने की समस्या का इलाज करने की आवश्यकता नहीं होती है। यदि आपको लगता है कि नींद में बोलने की समस्या कंट्रोल से बाहर हो रही है या आपको इससे कुछ अन्य समस्या भी होने लगी हैं, तो ऐसी स्थित में स्लीप स्पेशलिस्ट (नींद के विशेषज्ञ डॉक्टर) से दिखा लेना चाहिए। नींद में बोलने की बीमारी से रात के समय डरना, चिल्लाना या कोई हिंसक गतिविधि करना आदि समस्याएं हो सकती हैं। ऐसी स्थितियों का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाएं लिख सकते हैं।
बिस्तर गीला करने और नींद में चलने जैसी समस्याओं की तरह नींद में बोलना भी बचपन में होने वाली काफी आम समस्या होती है और उम्र के साथ-साथ अपने आप ठीक हो जाती है। नींद में बोलने से स्वास्थ्य या शरीर संबंधी कोई हानि तो नहीं होती है, लेकिन इससे मरीज को थोड़ी शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। इसके अलावा नींद में बोलने से पास में सो रहे व्यक्ति की नींद में भी बाधा पड़ सकती है।
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