परिचय
जब किसी व्यक्ति को अत्यधिक ठंड लगती है, तो शरीर को गर्म करने के लिए उसे कंपकंपी होने लगती है। हालांकि कंपकंपी होने के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं, जिसमें कुछ स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं भी हैं।
कंपकंपी होना शरीर की एक अनैच्छिक क्रिया (कंपन) है। अनैच्छिक क्रिया का मतलब है बिना मर्जी के कोई क्रिया होना। हिचकी या छींक आना भी शरीर की अनैच्छिक क्रिया के कुछ उदाहरण हैं। ठंड लगने या मौसम एकदम ठंडा होने के कारण शरीर में कंपकंपी होने लग जाती है।
जब आपकी मांसपेशियां तेजी से सिकुड़ने व खुलने लगती हैं और आपकी त्वचा में रक्त वाहिकाएं कसने लग जाती हैं, तो शरीर में कंपन पैदा होता है। बुखार चढ़ने पर भी शरीर में गंभीर रूप से कंपकंपी होती है और शरीर हिलने लग जाता है। कंपकंपी के साथ-साथ अक्सर कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जैसे बुखार, ज्यादा पसीना आना, सीने में दर्द, मतली और उल्टी आदि।
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कंपकंपी के अंदरुनी कारण का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य इतिहास संबंधी जानकारी लेते हैं और उसका शारीरिक परीक्षण करते हैं। जांच करके डॉक्टर यह पता लगा लेते हैं कि कंपकंपी शरीर को ठंड लगने के कारण हो रही है या स्वास्थ्य संबंधी किसी अन्य समस्या के कारण ऐसा हो रहा है। कंपकंपी की अच्छे से जांच करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं जैसे खून टेस्ट, यूरिन टेस्ट और बलगम की जांच आदि।
कंपकंपी की समस्या अक्सर कुछ समय के लिए ही होती है और इसके अंदरुनी कारणों का इलाज करके इसको ठीक किया जा सकता है। कंपकंपी से राहत पाने के लिए खूब मात्रा में पानी व अन्य तरल पदार्थ पीने चाहिए और शरीर को पर्याप्त आराम देना चाहिए। इसके अलावा डॉक्टर बुखार को ठीक करने के लिए एस्पिरिन और संक्रमण को ठीक करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दे सकते हैं। कंपकंपी हृदय व फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त लोगों व बूढ़े लोगों के लिए घातक समस्या बन सकती है।
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