शेकेन बेबी सिंड्रोम को शेकेन इम्पैक्ट सिंड्रोम भी कहा जाता है, यह मस्तिष्क में आघात से संबंधित एक रोग होता है, जो कि बच्चों को जीवन भर के लिए प्रभावित कर सकता है। यह आमतौर पर माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बच्चे को गुस्से से हिलाने के कारण होता है। ऐसा अक्सर उन मामलों में होता है, जब बच्चा रोना बंद नहीं करता तो उसे गोद में उठा कर जोर से हिला दिया जाता है।
शिशुओं की गर्दन की मांसपेशियां बेहद कमजोर होती हैं, जो सिर के भाग को ठीक तरह से सहारा नहीं दे पाती हैं। बच्चे को तीव्रता से हिलाने के कारण उसका सिर बलपूर्वक आगे-पीछे की ओर हिलता है, जिसकी वजह से कभी-कभी मस्तिष्क को चोट भी लग सकती है। हिलाते समय यदि बच्चे का सिर किसी चीज से टकरा जाए, तो इसके परिणाम और बदतर हो जाते हैं।
शेकेन बेबी सिंड्रोम के लक्षण
शेकेन बेबी सिंड्रोम के लक्षणों और संकेतों में शामिल हैं:
- अत्यधिक उतावलापन या चिड़चिड़ापन
- जागते रहने में कठिनाई
- सांस लेने में तकलीफ
- ठीक से भोजन न खाना
- उल्टी
- त्वचा का पीला या नीला पड़ना
- अचानक बुखार होना
- लकवा
- कोमा
यह भी हो सकता है आपको बच्चे के शरीर पर इनमें से कोई भी शारीरिक चोट के लक्षण न दिखें। कुछ मामलों में शिशु के चेहरे पर नील भी पड़ सकता है।
कुछ प्रकार की चोट व अन्य स्थितियां हैं जो तुरंत नहीं दिखती हैं, जैसे आंखों और मस्तिष्क में खून बहना, रीढ़ की हड्डी में क्षति होना और पसलियों, खोपड़ी, पैर व अन्य हड्डियों में फ्रैक्चर होना आदि। शेकेन बेबी सिंड्रोम से ग्रस्त कई बच्चों में बाल शोषण के संकेत व लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
शेकेन बेबी सिंड्रोम के ऐसे मामले जो ज्यादा गंभीर न हों, उनमें शिशु भले ही हिलाने के बाद सामान्य दिखाई दे, लेकिन समय के साथ उसमें स्वास्थ्य या व्यवहार संबंधी समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
शेकेन बेबी सिंड्रोम के कारण
शेकेन बेबी सिंड्रोम तब होता है जब कोई व्यक्ति शिशु को जोर से बलपूर्वक हिलाता है। ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब बच्चे का रोना बंद ना होने पर व्यक्ति को क्रोध आ जाता है और वह उसे उठाकर जोर से हिला देता है।
शिशुओं की गर्दन की मांसपेशियां कमजोर होती हैं और अक्सर सिर को सहारा देना उनके लिए मुश्किल होता है। जब किसी नवजात को बलपूर्वक हिलाया जाता है तो उनका सिर अनियंत्रित रूप से हिलता है। इस जबरदस्त गति से शिशु का मस्तिष्क खोपड़ी के अंदर पहले आगे की ओर फिर पीछे की ओर टकराता है, जिसके कारण मस्तिष्क में सूजन, खून बहना और नील पड़ जाता है।
अपने शिशु को शेकेन बेबी सिंड्रोम होने से कैसे बचाएं
अगर आपको अपने शिशु का ध्यान रखने में परेशानी हो रही है या आप माता-पिता की भावनाओं व उससे होने वाले तनाव को काबू नहीं कर पा रहे हैं, तो किसी व्यक्ति की मदद लें। आपके शिशु के डॉक्टर आपको शायद किसी काउंसलर या अन्य मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक के पास जाने की सलाह दे सकते हैं।
शेकेन बेबी सिंड्रोम की स्थिति को कैसे नियंत्रित करें
शिशु को उसकी पीठ के बल लिटाएं:
अगर आपको लग रहा है कि शिशु की रीढ़ की हड्डी में चोट लगी है तो दो व्यक्ति उसे आराम से हिलाएं ताकि उसकी गर्दन और सिर न मुड़ पाएं।
अपनी पॉजिशन का ध्यान रखें:
अगर आपक शिशु 1 वर्ष से कम आयु का है तो उसकी छाती पर अपनी दो उंगलियां रखें, अगर आपका शिशु 1 वर्ष से बढ़ा है तो अपना एक हाथ उसकी छाती पर रखें। अपने दूसरे हाथ से शिशु के माथे को पीछे की ओर झुकाए रखें। रीढ़ की हड्डी पर चोट महसूस होने पर, शिशु के सिर को पीछे की ओर झुकाते हुए जबड़े को बाहर की तरफ खींचे, और मुंह को बंद न होने दें।
छाती पर हल्का दबाव बनाएं:
छाती को हल्के से आधा अंदर तक दबाएं। बिना रुके 30 बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। दबाव हल्का और तेज होना चाहिए। अगर सांस लेने के कोई संकेत दिखाई न दें तो मुंह और नाक के जरिए शिशु को सांस दें।
(यह सभी उपाय आप डॉक्टर के निरीक्षण में ही करें)