लाल खसरा होना क्या है?
लाल खसरा एक हल्का वायरल इन्फेक्शन होता है जो 2 से 3 साल के बच्चों को प्रभावित करता है। यह संक्रमण इतना सामान्य है कि लगभग हर बच्चा बचपन में इससे संक्रमित होता ही है। यह बहुत ही कम मामलों में बड़े लोगों को प्रभावित करता है। लाल खसरा होने पर बच्चे को कुछ दिन बुखार रहता है और फिर चकत्ते होने लगते हैं। कुछ बच्चों को लाल खसरा होने पर हल्के या ना के बराबर लक्षण अनुभव होते हैं, जबकि कुछ बच्चों को इससे बहुत सी समस्याएं होने लगती हैं। लाल खसरा को "रास्योला" (Roseola) भी कहा जाता है और ये संक्रमण बहुत ही कम मामलों में गंभीर होता है।
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लाल खसरे के लक्षण क्या हैं?
लाल खसरे के लक्षण आमतौर पर इसके वायरस से संक्रमित होने के 5 से 15 दिनों के बाद दिखने लगते हैं। इसके कारण होने वाले चकत्ते पहले धड़ पर होते हैं और उसके बाद बाजु, टांग, गले और चेहरे पर फैलने लगते हैं। कई बच्चों को बुखार के साथ या पहले हल्के ऊपरी श्वसन तंत्र संक्रमण होने लगता है, अचानक तेज बुखार होना इसका पहला लक्षण है और इस स्थिति में व्यक्ति सबसे ज्यादा संक्रामक होता है।
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लाल खसरा क्यों होता है?
लाल खसरा का सबसे आम कारण होता है हर्पिस वायरस के एक प्रकार से संक्रमित होना जिसे हयूमन हर्पिस वायरस 6 कहा जाता है। इसके अलावा ये हयूमन हर्पिस वायरस 7 से भी हो सकता है। बाकि वायरल संक्रमण की तरह ही ये इन्फेक्शन भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। अगर एक स्वस्थ व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति के श्वसन तंत्र से होने वाले रिसाव या उसकी लार के संपर्क में आ जाता है, तो उसे भी लाल खसरा हो जाता है।
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लाल खसरे का इलाज कैसे होता है?
लाल खसरे के लिए कोई विशेष इलाज उपलब्ध नहीं है, हालांकि कुछ दवाओं और घरेलू उपचार से इसके लक्षणों से आराम मिल सकता है। लाल खसरा होने पर पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लेना और आराम करना बहुत आवश्यक होता है। इसके अलावा डॉक्टर से बात करने के बाद बच्चे को कुछ दर्द निवारक दवाएं भी दी जा सकती हैं।
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