'रेटिनोपैथी ऑफ प्री मैच्योरिटी' (आरओपी) आंखों से जुड़ा एक विकार है, जिसमें देखने की क्षमता में कमी आ सकती है। हालांकि, इस समस्या से ग्रस्त ज्यादातर बच्चों में लक्षण समय के साथ बेहतर हो जाते हैं। यहां तक कि कई बच्चों को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
मुख्य रूप से यह समस्या 2¾ पाउंड (1250 ग्राम) या इससे कम वजन वाले प्री मैच्योर शिशुओं को प्रभावित करती है, जो 31 सप्ताह के गर्भ से पहले पैदा होते हैं। बता दें पूर्ण गर्भावस्था की अवधि 38-42 सप्ताह की होती है।
आरओपी से ग्रस्त शिशुओं में दोनों आंखों की रेटिना पर असामान्य रूप से रक्त वाहिकाएं विकसित हो जाती हैं। रेटिना ऊतक की परत होती है जो आंख के पिछले हिस्से में मौजूद होती है और इसी की मदद से देखना संभव हो पाता है। समय के साथ, इन रक्त वाहिकाओं और संबंधित स्कार टिश्यू के कारण निम्नलिखित दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं जैसे :
रेटिना को नुकसान, जिसकी वजह से स्थाई व गंभीर रूप से देखने की क्षमता में कमी आती है
- क्रॉस्ड आई (और पढ़ें - भेंगापन के कारण)
- आंखों का दबाव बढ़ना (ग्लूकोमा)
- लेजी आई (एंब्लीओपिया)
- दूर का धुंधला व पास का सही दिखाई देना (म्योपिया)
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