रीनल ग्लाइकोसुरिया क्या है?
ग्लाइकोसुरिया एक दुर्लभ स्थिति है। आमतौर पर, जब खून में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने लगती है, तब शरीर पेशाब के जरिए ग्लूकोज को बाहर निकाल देता है। ज्यादातर स्वस्थ लोगों में, जिस ग्लूकोज को किडनी खून से फिल्टर करती है, उसे वापिस खून में पुर्नवशोषित कर लिया जाता है। रीनल ग्लाइकोसुरिया की स्थिति में खून में ग्लूकोज के सामान्य या निम्न स्तर के बावजूद पेशाब के जरिए ग्लूकोज बाहर निकल सकता है। ऐसा किडनी की नलीदार (ट्यूब के आकार जैसी) कोशिकाओं में विकार के कारण होता है।
वैसे रीनल ग्लाइकोसुरिया को कुछ अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे बेनाइन ग्लाइकोसुरिया, फेमिलियल रीनल ग्लाइकोसुरिया, नॉन-डायबीटिक ग्लाइकोसुरिया, प्राइमरी रीनल ग्लाइकोसुरिया और रीनल ग्लाइकोसुरिया।
रीनल ग्लाइकोसुरिया के लक्षण
आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण तुरंत दिखाई नहीं देते हैं। कई बार सालों में इस बीमारी के लक्षण सामने आते हैं और कभी-कभी कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते हैं।अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो इसकी वजह से निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- अत्यधिक प्यास लगना या शरीर में पानी की कमी होना
- ज्यादा भूख लगना
- बार बार पेशाब आना
- अचानक से पेशाब निकल जाना
यदि ग्लाइकोसुरिया टाइप 2 डायबिटीज का संकेत है, तो निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं:
- बेवजह वजन कम होना
- थकान
- देखने में परेशानी
- किसी घाव या अन्य चोट का धीरे ठीक होना
- गर्दन, बगल या अन्य हिस्सों में त्वचा का काला पड़ना
यदि कोई भी असामान्य लक्षण दिखता है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डाइट कर के और एक्सरसाइज कर के थक चुके है और वजन काम नहीं हो पा रहा है तो myUpchar आयुर्वेद मेदारोध फैट बर्नर जूस का उपयोग करे इसका कोई भी दुष्प्रभाव नहीं है आज ही आर्डर करे और लाभ उठाये।
रीनल ग्लाइकोसुरिया का निदान
ग्लाइकोसुरिया का निदान कई तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन इसके निदान की सबसे सामान्य प्रक्रिया यूरिन टेस्ट है। इस परीक्षण के लिए, डॉक्टर मरीज के पेशाब के सैंपल को जांच के लिए लैब भेजते हैं, ताकि इस बात का पता चल सके कि पेशाब में ग्लूकोज का स्तर कितना है। यदि एक दिन में पेशाब में ग्लूकोज की मात्रा 180 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से अधिक है, तो यह ग्लाइकोसुरिया की स्थिति हो सकती है।
रीनल ग्लाइकोसुरिया का इलाज
अधिकतर मामलों में, किसी भी तरह के इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, जो व्यक्ति रीनल ग्लाइकोसुरिया से ग्रस्त है उनमें डायबिटीज की समस्या विकसित हो सकती है। इसलिए, डायबिटीज का पता लगाने व स्थिति को मॉनिटर (नियमित रूप से जांच) करने के लिए उचित रूप से परीक्षण किए जाने की जरूरत है।
यदि डायबिटीज जैसी स्थिति ग्लाइकोसुरिया का कारण बन रही है, तो डॉक्टर इलाज के लिए निम्न विकल्पों को शामिल कर सकते हैं:
डायबिटीज को संभालने के लिए: स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, और सुरक्षित जीवनशैली अपनाएं। myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे और स्वस्थ रहने के लिए सावधानियां बरतें।
- हर दिन कम से कम 30 मिनट तक शारीरिक गतिविधि (व्यायाम) करना।
- डाइट प्लान करना, जिससे पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिल सकें और शुगर या वसा का सेवन कम हो सके। यानी अधिक मात्रा में साबुत अनाज, हरी सब्जियां और फल खाएं।
- शरीर को अधिक प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग करने में मदद करने के लिए दवाइयां लेने की जरूरत होती है। इनमें मेटफॉर्मिन शामिल है, जो शरीर को अधिक इंसुलिन बनाने में मदद करती है।
- ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखें, ताकि शरीर कुछ खाद्य पदार्थों, गतिविधियों या उपचारों पर कैसे प्रतिक्रिया करता है, इस स्थिति को बेहतर तरीके से समझा जा सके।