रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस (आरपी) क्या है?
यदि किसी व्यक्ति के जोड़ों में दर्द है व कान या नाक लाल हो रही है, तो यह रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस के संकेत हो सकते हैं। यह एक दुर्लभ बीमारी है, जो सूजन के कारण हो सकती है। जब शरीर किसी बीमारी या चोट की चपेट में आता है, तो सूजन हो सकती है। ऐसे में जब प्रतिरक्षा प्रणाली को शरीर में कोई दिक्कत होने का एहसास होता है (जैसे वायरस या बैक्टीरिया), तो प्रतिरक्षा प्रणाली खून में कुछ कोशिकाओं को रिलीज करने के साथ-साथ प्रभावित हिस्से में अधिक मात्रा में खून प्रवाहित करती है, जिसके कारण लालिमा, गर्मी, सूजन या दर्द भी हो सकता है।
आरपी से ग्रस्त व्यक्ति को आमतौर पर अचानक से दर्द महसूस होने लगता है। यह पुरुषों-महिलाओं समेत किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन इसके 40 से 60 साल की उम्र के बीच प्रभावित करने की संभावना ज्यादा होती है। यह लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करती है। कुछ लोगों में आरपी के हल्के लक्षण दिख सकते हैं, जोकि अपने आप सही हो जाते हैं जबकि कुछ मामलों में बहुत दर्द होता है। चूंकि यह शरीर के मुख्य अंगों को प्रभावित कर सकता है इसलिए दर्द बार-बार महसूस होता है। आरपी की वजह से व्यक्ति की स्थिति गंभीर रूप ले सकती है और यह जानलेवा भी साबित हो सकती है।
रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस के लक्षण
आमतौर पर इसकी शुरुआत अचानक दर्द से होती है या एक या दोनों कानों के कार्टिलेज (मुलायम लचीला ऊतक) में सूजन या छूने पर दर्द हो सकता है। धीरे-धीरे यह सूजन कान के बाहरी हिस्से तक फैल सकती है जिससे उसमें संकुचन आ सकता है। कान के मध्य हिस्से में सूजन होने से यूस्टेशियन ट्यूब (यूस्टेशियन ट्यूब एक नलिका है, जो कान के मध्य हिस्से को नासोफरीनक्स से जोड़ती है) में रुकावट आ सकती है। रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस के सामान्य संकेतों में शामिल हैं:
- नाक की हड्डी का दबना
- कान में दर्द व लालिमा
- आंखों में लालिमा, दर्द और सूजन होना
- जोड़ों में दर्द व सूजन
- पसली में दर्द
- गले या गर्दन में दर्द
- सांस लेने और बोलने में दिक्कत
- निगलने में कठिनाई
- चकत्ते
रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस का कारण
डॉक्टर्स को इस बीमारी के सटीक कारण के बारे में अब तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, इसे एक ऑटोइम्यून बीमारी माना जाता है। ऑटोइम्यून विकार तब होता है जब प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से शरीर के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगती है। डॉक्टर्स के अनुसार, किसी दोषपूर्ण जीन के कारण यह बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले सकती है, लेकिन यह एक व्यक्ति से परिवार के दूसरे सदस्यों में नहीं फैलती है। इसके अतिरिक्त शोधकर्ताओं का मानना है कि रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस के कुछ मामले तनाव या वातावरण में कोई चीज मौजूद होने के कारण भी ट्रिगर हो सकते हैं।
रिलैप्सिंग पॉलिकॉन्ड्राइटिस का इलाज
इस बीमारी का अभी कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन डॉक्टर इसके लक्षणों को कम करके मरीज की स्थिति को बेहतर करने में मदद कर सकते हैं। जिन लोगों में इस बीमारी के सामान्य लक्षण पाए जाते हैं उन्हें डॉक्टर एंटी-इंफ्लेमेटरी यानी कि सूजन व दर्द को कम करने वाली दवाइयां लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके लिए वे स्टेरॉयड (जैसे प्रेडनिसोन) या अन्य प्रकार की दवाओं का सुझाव दे सकते हैं। गंभीर मामलों में, वह तेजी से असर करने वाली दवाइयां लिख सकते हैं। यह दवाइयां प्रतिरक्षा प्रणाली को सही तरीके से काम करने में मदद करती हैं। कौन-सा अंग प्रभावित हुआ है, इसके आधार पर सर्जरी करने की जरूरत भी पड़ सकती है जिसमें क्षतिग्रस्त हुई हृदय की वाल्व को ठीक या ब्रीदिंग ट्यूब लगाई जाती है।
यदि यह बीमारी श्वास नली को प्रभावित करे तो इसके कारण खांसी, सांस लेने या निगलने में मुश्किल हो सकती है। इसके अलावा स्तन और पसलियों में भी गंभीर रूप से दर्द हो सकता है। ऐसे में लक्षणों को नजरअंदाज करना संभावित रूप से खतरनाक हो सकता है।