रैप हॉजकिन सिंड्रोम - Rapp Hodgkin Syndrome in Hindi

Dr. Pradeep JainMD,MBBS,MD - Pediatrics

September 30, 2020

January 30, 2024

रैप हॉजकिन सिंड्रोम
रैप हॉजकिन सिंड्रोम

रैप हॉजकिन सिंड्रोम एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें बाल, नाखून, त्वचा, पसीने का उत्पाद करने वाली ग्रंथियों और दांतों का असामान्य विकास होने लगता है। यह जीन में गड़बड़ी या किसी बदलाव के कारण होता है।

रैप हॉजकिन सिंड्रोम के संकेत और लक्षण 'एंकीलोब्लेफेरन एक्टोडर्मल डिफेक्ट्स क्लेफ्ट लिप/पैलेट (एईसी सिंड्रोम)' के साथ ओवरलैप करते हैं। एईसी सिंड्रोम को 'हे वेल्स सिंड्रोम' के नाम से भी जाना जाता है। पहले रैप हॉजकिन सिंड्रोम और एईसी सिंड्रोम दोनों को अलग-अलग विकारों के रूप में वर्गीकृत किया गया था, जब तक कि यह पता नहीं चला था कि वे दोनों एक ही जीन (टीपी63) के एक ही हिस्से में गड़बड़ी के कारण समस्या पैदा करते हैं। लेकिन अब अधिकांश शोधकर्ता मानते हैं कि रैप हॉजकिन सिंड्रोम और एईसी सिंड्रोम अलग-अलग विकार हैं, लेकिन एक ही बीमारी का हिस्सा है।

यदि कोई व्यक्ति इस सिंड्रोम से ग्रसित है, तो बता दें कि यह आजीवन प्रभावित करने वाली स्थिति है। यहां तक कि आप इसकी रोकथाम या इलाज भी नहीं कर सकते हैं, लेकिन डॉक्टर इसका इलाज कर सकते हैं।

रैप हॉजकिन सिंड्रोम के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Rapp Hodgkin Syndrome Symptoms in Hindi

इसके लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं।

रैप हॉजकिन सिंड्रोम के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :

  • क्लेफ्ट लिप : यह तब होता है जब ऊपरी होंठ पूरी तरह से विकसित नहीं होता है और इसमें एक बड़ा कट रह जाता है।
  • क्लेफ्ट पैलेट : मुंह के अंदर ऊपरी हिस्से का सही से विकसित न हो पाना। क्लेफ्ट लिप और क्लेफ्ट पैलेट की समस्या गर्भ में विकास के दौरान ऊतकों के एक साथ न जुड़ने के कारण होता है। (और पढ़ें - क्लेफ्ट लिप व क्लेफ्ट पैलेट)
  • फीवर स्वेट ग्लैंड्स : इसमें लोगों को ज्यादा पसीना नहीं आता है और आसानी से गर्मी महसूस होती है।
  • फ्यूज्ड आईलिड : पलकों का आंशिक या पूर्णरूप से चिपक जाना। इसमें आंसू नलिकाओं के साथ भी समस्याएं हो सकती हैं, जिसकी वजह से आंख सूखना और इनका रंग गुलाबी हो सकता है।
  • विकास संबंधी समस्याएं : वजन या लंबाई बढ़ने में समस्या आना
  • बहरापन : बहरापन में सुनने की क्षमता में आंशिक या पूर्णरूप से कमी आ जाती है।
  • नाखून न होना या असामान्य आकार होना
  • स्किन इरोशन : इसमें शरीर के कुछ हिस्सों पर त्वचा नहीं होती है। यह स्थिति शिशुओं में जानलेवा हो सकती है।
  • दांत की समस्या : इनमें दांत न होना, दांतों के बीच ज्यादा जगह होना, शंकु के आकार के दांत होना इत्यादि शामिल हैं।
  • बहुत कम बाल : सिर और चेहरे दोनों पर बाल कम होना व बाल रूखे या उलझे हुए होना

(और पढ़ें - बाल झड़ने के कारण)

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रैप हॉजकिन सिंड्रोम का कारण क्या है? - Rapp Hodgkin Syndrome Causes in Hindi

रैप हॉजकिन सिंड्रोम टीपी63 नामक जीन में गड़बड़ी के कारण होता है। यदि आपके टीपी63 जीन की प्रतिलिपि में गड़बड़ी है, तो आप एईसी से ग्रस्त हो सकते हैं।

बता दें, प्रत्येक कोशिका में हर जीन की दो प्रतियां होती हैं। एक मां से व दूसरी प्रति पिता से उनके बच्चों में पारित होती है। 

कभी-कभी, आप अपने माता-पिता से एईसी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन ज्यादातर यह रैंडम्ली होता है। जिन माता-पिता के टीपी63 जीन में गड़बड़ी होती है उनके बच्चों में इस दोषपूर्ण जीन के पारित होने का खतरा 50 प्रतिशत होता है।

रैप हॉजकिन सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है? - Rapp Hodgkin Syndrome Diagnosis in Hindi

रैप हॉजकिन सिंड्रोम के निदान के लिए आमतौर पर, डॉक्टर आपके लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री (चिकित्सक द्वारा पिछली बीमारियों व उनके इलाज से जुड़े प्रश्न पूछना) और शारीरिक परीक्षण के आधार पर बीमारी का निदान कर सकते हैं। वे टीपी63 जीन में गड़बड़ी का पता लगाने के लिए आनुवंशिक परीक्षण (जेनेटिक टेस्ट) भी कर सकते हैं, लेकिन दुर्भाग्य से सभी प्रयोगशालाओं में यह परीक्षण नहीं हो पाता है।

रैप हॉजकिन सिंड्रोम का इलाज कैसे किया जा सकता है? - Rapp Hodgkin Syndrome Treatment in Hindi

डॉक्टर इस सिंड्रोम के बहुत से लक्षणों का इलाज कर सकते हैं। चिकित्सकीय टीम में सर्जन, त्वचा चिकित्सक, दंत चिकित्सक, नेत्र चिकित्सक और अन्य शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा परिवार के सदस्यों का भी महत्वपूर्ण रोल होता है।

उपचार में शामिल हो सकते हैं :

  • बड़े बच्चों और वयस्कों के लिए दांत का प्रत्यारोपण : यह एक सर्जरी है जिसके जरिए खराब दांत को निकालकर नकली दांत लगाया जाता है। इन आर्टिफिशियल दांत को आसानी से निकाला जा सकता है।
  • ईयर ट्यूब सर्जरी : यह तब होता है जब कान की नली में द्रव इकट्ठा होने लगता है जिसकी वजह से सुनने में दिक्क्त व कान में संक्रमण हो सकता है।
  • आंखों में सूखापन होने पर आई ड्रॉप
  • त्वचा की ऊपरी परत हट जाने पर सावधानी बरतना : प्रभावित त्वचा की सफाई के लिए 'ब्लीच सॉल्यूशन' लगाने की जरूरत पड़ सकती है।
  • स्पीच थेरेपी : इसके जरिये संचार संबंधित समस्याओं को खत्म या कम किया जा सकता है।
  • क्लेफ्ट लिप और क्लेफ्ट पैलेट के लिए सर्जरी
  • फ्यूज्ड आईलिड सर्जरी : यदि पलकें गंभीर रूप से चिपकी हैं तो ऐसे में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
  • बालों का झड़ना छिपाने के लिए विग (आर्टिफिशियल या नकली बाल) पहनना।

(और पढ़ें - जन्म के बाद पहले महीने में कैसे होता है शिशु का विकास)