रामसे हंट सिंड्रोम क्या है?
रामसे हंट सिंड्रोम में कान के आसपास, चेहरे पर या मुंह पर दर्दनाक चकत्ते निकल आते हैं। यह तब होता है जब वेरिसेला-जोस्टर वायरस सिर की नस को संक्रमित करता है। इस स्थिति में दर्दनाक चकत्तों के अलावा चेहरे पर लकवा व प्रभावित कान में बहरेपन जैसी समस्या हो सकती है। जिस वायरस के कारण चिकन पॉक्स होता है उसी के कारण रामसे हंट सिंड्रोम भी होता है। चिकनपॉक्स पूरी तरह से ठीक होने के बाद भी यह वायरस नसों में रहता है और इसके कई वर्षों बाद फिर से एक्टिव होने की संभावना रहती है। इस स्थिति में यह बीमारी चेहरे की नसों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन समय पर इलाज शुरू कर देने से जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है जिसमें चेहरे की मांसपेशियों की कमजोरी और बहरापन शामिल है।
रामसे हंट सिंड्रोम के लक्षण
- कान बजना
- मुंह व आंखों में सूखापन
- कान में दर्द
- कान के पर्दे (इयर ड्रम), कान की नलिका व जीभ पर दर्दभरे रैश होना
- एक कान से न सुन पाना
- चक्कर आना
- चेहरे की एक तरफ की मांसपेशियों में कमजोरी आना, जिसके कारण आंख बंद करने, खाने (मुंह के किनारों से खाना गिरना), हाव-भाव देने और चेहरे का एक तरफ लटकना व चेहरे के एक तरफ लकवे जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।
रामसे हंट सिंड्रोम के कारण
यह समस्या वैरिसिला-जोस्टर वायरस के कारण ट्रिगर होती है। यह वही वायरस है जिसके कारण चिकनपॉक्स व शिंगल्स (दोबारा चिकनपॉक्स होने पर निकलने वाले दाने) होते हैं। इसकी वजह से नस में जलन और सूजन होती है। हालांकि यह समस्या मुख्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में, यह बच्चों में भी देखी जा सकती है। चूंकि रामसे हंट सिंड्रोम शिंगल्स के कारण होता है, इसलिए इसके कारण व जोखिम भी उसी की तरह होते हैं, जैसे कि:
- पहले कभी चिकन पॉक्स हुआ हो
- 60 वर्ष से अधिक आयु (ये दुर्लभ ही बच्चों में होता है)
- प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना
रामसे हंट सिंड्रोम का इलाज
रामसे हंट सिंड्रोम में जल्द से जल्द इलाज शुरू कर देने से दर्द कम हो सकता है और लंबे समय तक प्रभावित करने वाली जटिलताओं के खतरे को भी कम किया जा सकता है। इसके लिए दवाओं में शामिल हैं:
- वायरस-रोधी दवाएं:
एसाइक्लोविर (जोविरेक्स), फैमिक्लोविर (फैमविर) या वैलसिक्लोविर (वाल्ट्रेक्स) जैसी दवाइयां अक्सर चिकनपॉक्स वायरस से निपटने में मदद करती हैं। - कॉर्टिकॉस्टिरॉइड:
रामसे हंट सिंड्रोम में वायरस-रोधी दवाओं के प्रभाव को बढ़ाने के लिए कम समय तक प्रेडनिसोन लेना। - चिंता-रोधी दवाइयां:
डायजेपाम (वेलियम) जैसी दवाएं चक्कर आने जैसी समस्या में राहत दे सकती हैं। - दर्द निवारक दवाइयां:
रामसे हंट सिंड्रोम में तेज दर्द हो सकता है, इसलिए डॉक्टर द्वारा दी गई दर्द निवारक दवाइयों का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
यदि आप ऊपर दिए गए संकेतों और लक्षणों की पहचान समय पर करते हैं, तो जल्द डॉक्टर से मिलें, क्योंकि इन संकेतों और लक्षणों के दिखाई देने के तीन दिनों के अंदर इलाज शुरू कर देने से लंबे समय तक होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।