पेशाब में पस आना (प्यूरिया) मूत्र से संबंधित एक ऐसी स्थिति है जो कि सफेद रक्त कोशिकाओं से जुड़ी है। इसमें मूत्र में असामान्य मात्रा में मवाद निकलता है। मवाद पीले रंग का द्रव है जो कि प्रोटीन युक्त सीरम, मृत सफेद रक्त कोशिकाएं, जिन्हें ल्यूकोसाइट्स भी कहा जाता है, से बना होता है। यह अक्सर सूजन वाले स्थान पर इकट्ठा होता है।
जब हमारा शरीर किसी संक्रामक चीज के खिलाफ प्रतिक्रिया करता है तो शरीर की कोशिकीय प्रतिरक्षा में कमी आ जाती है।
साइटोकिन्स के प्रभाव में आकर न्यूट्रोफिल्स (एक तरह की सफेद रक्त कोशिका) इंफेक्शन वाली जगह पर इकट्ठा हो जाते हैं और प्रभावी ढंग से बैक्टीरिया को मारते हैं।
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बाद में, मैक्रोफेज कोशिकाएं मृत या खराब न्यूट्रोफिल डेबरिस को साफ करती हैं। यह न्यूट्रोफिल डेबरिस मवाद बनने का कारण बनती हैं। मैक्रोफेज ऐसी कोशिकाएं हैं, जो बैक्टीरिया और अन्य हानिकारक जीवों का पता लगाती हैं व उन्हें हटाती हैं।
नैदानिक रूप से, मूत्र के नमूने के प्रत्येक घन मिलीमीटर में 10 या इससे ज्यादा सफेद रक्त कोशिकाएं होने का मतलब व्यक्ति पेशाब में पस आने से ग्रस्त है।
पेशाब में पस आने की समस्या बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होती है। हालांकि, यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, खासकर लोअर ट्रैक्ट इंफेक्शन पेशाब में पस आने का सबसे आम कारण है।
पेशाब में पस आने का एक रूप स्टेराइल प्यूरिया है, जिसमें लगातार मूत्र के नमूने में सफेद रक्त कोशिकाएं दिखाई देती हैं। यह इतने सूक्ष्म होते हैं कि इन्हें केवल माइक्रोस्कोप के जरिये देखा जा सकता है। स्टेराइल प्यूरिया गैर-संक्रामक और संक्रामक रोग दोनों के कारण हो सकता है। यह आनुवंशिक रूप से जेनिटोयूरिनरी टीबी, किडनी स्टोन, ट्यूमर, सेप्सिस, सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई), हाल ही में कराई गई एंटीबायोटिक थेरेपी और यहां तक कि कुछ दवाओं के लंबे समय से उपयोग की वजह से भी हो सकता है।
पेशाब में पस आने में आमतौर पर पेशाब के रंग, गंध और चिपचिपाहट में बदलाव होता है। इसमें लक्षणों में बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन होना, पेशाब करने की तेज इच्छा या बुखार शामिल हैं। अन्य लक्षण इसके अंतर्निहित रोग के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं। सेंसिटिविटी टेस्टिंग के बाद एंटीबायोटिक दवाओं से बैक्टीरियल यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के संक्रमण का इलाज किया जाता है। हालांकि, ऐसे में खूब सारा तरल पदार्थ पीना फायदेमंद होता है। पेशाब में पस आने का निदान रोगी द्वारा बताए गए संकेतों और लक्षणों पर निर्भर करता है।
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