प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया - Primary Intestinal Lymphangiectasia in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

December 09, 2020

January 09, 2021

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया
प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया (पीआईएल) को 'वाल्डमैन डिजीज/रोग' भी कहा जाता है। यह एक दुर्लभ पाचन विकार है, जिसकी वजह से आंत से विशेष प्रोटीन की कमी हो जाती है। यह आंत लिम्फ की वाहिकाओं से जुड़ी होती है। लिम्फ एक तरह का रंगहीन तरल पदार्थ है जो लसीका प्रणाली में संचारित होता है। लिम्फ एक विशेष प्रोटीन है जो कि लिम्फोसाइट से भरा होता है, यह एक तरह की सफेद रक्त कोशिका है जो संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। जबकि लसीका प्रणाली ऐसे ऊतकों और अंगों का एक नेटवर्क है जो विषाक्त पदार्थों, अपशिष्ट और अन्य अवांछित पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।

(और पढ़ें - आंतों में सूजन)

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया के लक्षण क्या हैं? - Primary Intestinal Lymphangiectasia Symptoms in Hindi

इस विकार के सबसे स्पष्ट संकेतों में निचले अंगों में मध्यम से लेकर गंभीर सूजन आना है, धीरे-धीरे यह सूजन चेहरे, पेट और जननांग पर दिखने लगती है। यह लिम्फेडेमा से भी जुड़ा हो सकता है। पेट में दर्द और/ या मतली, उल्टी और दस्त भी इसके लक्षणों में शामिल हैं।

पीआईएल के अन्य संकेत व लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :

कुछ मामलों में वजन कम होने जैसी समस्या भी हो सकती है।

(और पढ़ें - वजन बढ़ाने और मोटा होने के घरेलू उपाय)

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया का निदान कैसे किया जाता है? - Primary Intestinal Lymphangiectasia Diagnosis in Hindi

पीआईएल का निदान करने के लिए डॉक्टर निम्न तरीके अपना सकते हैं:

  • फ्लेक्सिबल स्कोप (एंडोस्कोप) के जरिये आंत की जांच करना
  • कई हिस्सों से बायोप्सी यानी ऊतकों के नमूने लेना और उनका परीक्षण करना।

जब एंडोस्कोपी के निष्कर्षों से जानकारी स्पष्ट नहीं होती है तो ऐसे में वीडियोकैप्सूल एंडोस्कोपी की मदद ली जाती है।

आंत से लिम्फ का रिसाव हो रहा है या नहीं इस बात की पुष्टि मल में अल्फा -1 एंटीट्रिप्सिन (एक तरह का प्रोटीन) की बढ़ी हुई मात्रा से की जा सकती है।

पीआईएल का निदान आमतौर पर 3 साल की उम्र से पहले होता है, लेकिन कई बार 3 वर्ष से अधिक उम्र के रोगियों में भी इसका निदान किया जा सकता है।

पीआईएल में, छोटी आंत के अस्तर से जुड़ी लिम्फ वाहिकाओं में बहुत सूजन आ जाती है। इससे लिम्फ आंत में लीक होने लगता है।

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया का इलाज कैसे किया जाता है? - Primary Intestinal Lymphangiectasia Treatment in Hindi

पीआईएल वाले अधिकांश लोगों को कम वसा वाले आहार लेने की सलाह दी जाती है, साथ ही उन्हें विशेष सप्लीमेंट भी लेने को कहा जाता है, ताकि उन्हें सही विटामिन और पोषक तत्व मिलते रहें।

आमतौर पर इस उपचार के कुछ हफ्तों के बाद, खून में प्रोटीन का स्तर सामान्य होने लगता है। प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया के लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए जीवनभर इस विशेष डाइट पर रहने की जरूरत होती है।

कुछ दुर्लभ स्थितियों में, सर्जरी की आवश्यकता होती है। जिन मामलों में सामान्य उपचार से फायदा नहीं होता है, उनमें डॉक्टर छोटी आंत का प्रत्यारोपण (स्मॉल बोवल ट्रांसप्लांट) कर सकते हैं।

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया एंडोस्कोपी - Primary Intestinal Lymphangiectasia Endoscopy in Hindi

एंडोस्कोपी एक ऐसी जांच प्रक्रिया है, जिसकी मदद से शरीर के अंदरूनी अंगों को देखा व उन्हें संचालित किया जा सकता है। प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया की स्थिति में एंडोस्कोपी की मदद से आंतों की जांच की जा सकती है और कुछ ऐसे लक्षणों को नोटिस किया जा सकता है जिनकी मदद से इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया का पता लगाया जा सकता है।

(और पढ़ें - आंतों को साफ करने का तरीका)

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया में आहार - Primary Intestinal Lymphangiectasia Diet in Hindi

प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया से ग्रस्त रोगियों के उपचार में लक्षणों का प्रबंधन कुछ दवाओं और व्यवहार में बदलाव के जरिए किया जा सकता है, लेकिन इन लक्षणों को ठीक करने के साथ-साथ उचित आहार भी बेहद जरूरी है। इसमें कम वसा वाला आहार फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा लॉन्ग चेन फैटी एसिड की जगह मीडियम चेन फैटी एसिड लेने की जरूरत होती है।



प्राइमरी इंटेस्टाइनल लिम्फैंगिएक्टेसिया के डॉक्टर

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