यदि किसी व्यक्ति में जन्म से लगातार श्वसन संक्रमण की समस्या बनी हुई है, तो यह प्राइमरी सिलिअरी डिस्केनेसिया (पीसीडी) का सबसे स्पष्ट संकेत हो सकता है। अक्सर पीसीडी का सटीक निदान नहीं हो पाता है, जिस कारण इसे अन्य तरह की समस्या समझ लिया जाता है।
इस स्थिति में डॉक्टर सबसे पहले "क्रोनिक साइनोपल्मोनरी डिजीज" नाम के लक्षण की पहचान करते हैं, क्योंकि यह साइनस, कान और फेफड़े को प्रभावित कर सकता है। इसके बाद वे इस बात की जांच करते हैं कि मरीज में रिअरैंज या रिवर्स्ड आर्गन (आंतरिक अंग अपनी जगह पर न होना) की स्थिति है या नहीं।
यदि किसी व्यक्ति को पीसीडी है, तो उसमें नेजल नाइट्रिक ऑक्साइड का स्तर बहुत कम होगा। यह आपकी नाक और मुंह से निकलने वाली गैस है।
हालांकि, डॉक्टर जेनेटिक टेस्टिंग का भी उपयोग कर सकते हैं, लेकिन कई बार यह मुश्किल हो सकता है, क्योंकि ऐसे बहुत सारे जीन हैं, जो संभवतः किसी दोष का कारण बन सकते हैं।
अगर व्यक्ति में पीसीडी के लक्षण होने के साथ जेनेटिक टेस्ट के रिजल्ट पॉजिटिव आते हैं, तो ऐसे में डॉक्टर केवल पीसीडी का निदान करेंगे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि निगेटिव रिपोर्ट आने का मतलब यह नहीं है कि आप पीसीडीमुक्त है।
(और पढ़ें - साइनस के घरेलू उपाय)