प्रायपिज्म - Priapism in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

September 02, 2021

September 08, 2023

प्रायपिज्म
प्रायपिज्म

प्रायपिज्म को हिन्दी भाषा में लम्पटता कहा जाता है, हालांकि, बहुत ही कम लोग इसे लम्पटता के नाम से जानते हैं। यह पुरुषों को होने वाला एक ऐसा रोग है, जिसमें उनके लिंग में असाधारण व असामयिक तनाव आ जाता है और लंबे समय तक रहता है। प्रायपिज्म में होने वाला लिंग तनाव आमतौर पर बिना किसी कामुक उत्तेजना के ही होता है। यह रोग तब होता है, जब लिंग में रक्त जमा हो जाता है और वापस नहीं निकल पाता है। यदि जल्द से जल्द इस रोग का इलाज न किया जाए तो इससे लिंग के ऊतकों में स्कार बनने लग जाते हैं और मरीज को स्थायी रूप से स्तंभन दोष हो सकता है।

प्रायपिज्म किसी भी उम्र में हो सकता है, जिनमें नवजात शिशु भी शामिल हैं। हालांकि, ऐसा देखा गया है कि यह दो अलग-अलग उम्र श्रेणियों को प्रभावित करता है, जिनमें 5 से 10 साल के बच्चे और 20 से 50 साल के व्यस्क शामिल हैं।

(और पढ़ें - लिंग में टेढ़ापन के लक्षण)

प्रायपिज्म के प्रकार - Types of Priapism in Hindi

प्रायपिज्म को आमतौर पर दो प्रकारों में बांटा गया है, लो-फ्लो प्रायपिज्म और हाई-फ्लो प्रायपिज्म।

  • लो-फ्लो प्रायपिज्म -
    यह आमतौर पर लिंग के तनाव वाले हिस्से में रक्त अटक जाने के कारण होता है। यह आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति को होता है और इसके अंदरुनी कारण का पता नहीं चल पाता है। लेकिन कुछ विशेष रोगों से ग्रस्त लोगों में भी यह देखा जा सकता है, जिनमें सिकल-सेल एनीमिया, ल्यूकेमिया और मलेरिया जैसे रोग शामिल हैं। इसे आइसेमिक प्रायपिज्म भी कहा जाता है।
     
  • हाई-फ्लो प्रायपिज्म -
    यह स्थिति बहुत ही दुर्लभ मामलों में होती है और दर्दनाक भी नहीं होती है। यह आमतौर पर लिंग में मौजूद कोई धमनी फटने के कारण होता है, जो आमतौर पर चोट लगने आदि के दौरान फटती है। इसके अलावा पेरिनियम में क्षति होने पर भी हाई-फ्लो प्रायपिज्म हो जाता है। पेरिनियम अंडकोष और गुदा के बीच का हिस्सा होता है। इसे नोन-आइसेमिक प्रायपिज्म के नाम से भी जाना जाता है।
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प्रायपिज्म के लक्षण - Priapism Symptoms in Hindi

प्रायपिज्म से होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको लो-फ्लो या हाई-फ्लो में से कौन सा प्रायपिज्म हो रहा है। यदि आपको लो फ्लो प्रायपिज्म है, तो आपको निम्न लक्षण हो सकते हैं -

  • दो घंटे या उससे अधिक समय तक लगातार लिंग में तनाव रहना
  • लिंग का पूरा भाग ठोस हो जाना जबकि अगला हिस्सा नरम रहना
  • लिंग में दर्द होना

लो-फ्लो प्रायपिज्म बार-बार होने वाली समस्या बन सकती है। जब इसके लक्षण शुरु होते हैं, तो लिंग में होने वाला अनैच्छिक तनाव सिर्फ कुछ ही मिनट तक रहता है। हालांकि, धीरे-धीरे स्थिति गंभीर होती रहती है और लिंग का तनाव कई घंटों तक रहने लगता है।

यदि आपको हाई-फ्लो प्रायपिज्म है, तो इसमें होने वाले कुछ लक्षण लो-फ्लो प्रायपिज्म के समान होते हैं। हालांकि, हाई-फ्लो प्रायपिज्म से लिंग में दर्द नहीं होता है और यही लक्षण इसे लो-फ्लो प्रायपिज्म से पूरी तरह से अलग बनाता है।

यदि बिना किसी कामुक गतिविधि के बिना लगातार चार घंटों या उससे भी अधिक समय तक लिंग में तनाव रहता है, तो यह एक गंभीर प्रायपिज्म का लक्षण होता है, जिसमें तुरंत डॉक्टर को दिखाना अत्यंत आवश्यक है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको लगातार 2 घंटों या उससे भी अधिक समय तक लिंग में अनैच्छिक तनाव रहता है, तो डॉक्टर से बात करने में देरी न करें। लगातार चार घंटों से लिंग में अनैच्छिक तनाव होना एक मेडिकल इमर्जेंसी है, इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं। इमर्जेंसी रूम में जाकर डॉक्टरों को सबसे पहले यह निर्धारित करना पड़ता है कि प्रायपिज्म का कौन सा प्रकार है।

प्रायपिज्म के प्रकार का पता करना बेहद आवश्यक होता है, क्योंकि दोनों प्रकारों का इलाज अलग-अलग से किया जाता है।

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प्रायपिज्म के कारण - Priapism Causes in Hindi

सामान्य स्थितियों में लिंग में होने वाला तनाव शारीरिक व मानसिक उत्तेजनाओं से होने वाली प्रतिक्रिया के रूप में होता है। इस उत्तेजना के दौरान कुछ नरम मांसपेशियां शिथिल (रिलैक्स) हो जाती हैं, जिससे लिंग के स्पंजी ऊतकों में रक्त का बहाव शुरु हो जाता है। जब लिंग के ऊतकों में रक्त भर जाता है, तो परिणामस्वरूप लिंग में तनाव आ जाता है। जैसे ही उत्तेजना कम होती है, रक्त वापस लिंग से बाहर जाने लगता है और धीरे-धीरे का तनाव भी कम होने लगता है।

जब इस प्रक्रिया में काम करने वाला कोई भी अंग ठीक से काम नहीं कर पाता है, तो प्रायपिज्म हो सकता है। उदाहरण के तौर पर रक्त, रक्त वाहिकाएं, तंत्रिकाएं और नरम मांसपेशियां आदि में जब कोई समस्या हो जाती है, तो रक्त की सामान्य कार्य प्रक्रिया में बदलाव आ जाता है और लिंग का तनाव स्थिर हो जाता है। प्रायपिज्म के अंदरुनी कारणों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है, हालांकि, कुछ स्थितियां हैं जो इस विकार को विकसित करने में एक भूमिका निभा सकती हैं -

दवाएं

कुछ प्रकार की दवाएं भी हैं, जो प्रायपिज्म का कारण बन सकती हैं, जैसे -

  • स्तंभन दोष के लिए सीधे लिंग में लगाए गए इंजेक्शन
  • डिप्रेशन को रोकने वाली दवाएं (एंटी-डिप्रेसेंट्स)
  • चिंता व अन्य मानसिक विकारों को दूर करने वाली दवाएं
  • रक्त को पतला करने वाली दवाएं जैसे वारफेरिन, हेपरिन
  • हार्मोन संबंधी दवाएं
  • एडीएचडी के लिए ली जाने वाली दवाएं

नशीले पदार्थ

कुछ ऐसे पदार्थ भी हैं, जिनका उपयोग नशा करने व कुछ दवाएं आदि बनाने के लिए किया जाता है। इन पदार्थों का असाधारण तरीके से सेवन करना भी प्रायपिज्म का कारण बन सकता है, इनमें निम्न शामिल हैं -

इनके अलावा अन्य भी कई गैरकानूनी नशीले पदार्थ हैं, जो विशेष तौर पर आइसेमिक प्रायपिज्म का कारण बन सकते हैं।

चोट लगना

लिंग या उसके आस-पास के हिस्से में चोट लगना नोन-आइसेमिक प्रायपिज्म (हाई-फ्लो) का कारण बन सकता है। मुख्य रूप से यह लिंग, पेल्विस या पेरोनियम के आस-पास चोट लगने के कारण होता है।

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज कैसे करें)

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प्रायपिज्म से बचाव - Prevention of Priapism in Hindi

यदि आपको बार-बार प्रायपिज्म की समस्या हो रही है, तो भविष्य में ऐसी समस्या होने से बचाव करने के लिए डॉक्टर आपको कुछ तरीके अपनाने की सलाह दे सकते हैं -

  • प्रायपिज्म के अंदरुनी कारण का इलाज कराएं, जैसे सिकल सेल एनीमिया आदि
  • मुंह द्वारा ली जाने वाली दवाएं या इंजेक्शन वाली फिनाइएफ्रिन का उपयोग करें
  • स्तंभन दोष के मरीज सिर्फ खाने वाली दवाओं का उपयोग करें (लिंग में इंजेक्शन न लगवाएं)
  • हार्मोन-ब्लॉकिंग दवाओं का इस्तेमाल करें (सिर्फ वयस्क पुरुष)

प्रायपिज्म का परीक्षण - Diagnosis of Priapism in Hindi

वैसे तो प्रायपिज्म के दोनों प्रकार के ज्यादातर लक्षण समान होते हैं, लेकिन फिर भी डॉक्टर इस रोग के प्रकार का पता लगाने के लिए टेस्ट कर सकते हैं। टेस्ट की मदद से प्रायपिज्म के प्रकार को निर्धारित करना आवश्यक होता है, क्योंकि प्रकार के अनुसार ही स्थिति का इलाज किया जाता है।

कई बार मरीज को हो रहे लक्षणों का पता लगाकर और उसके जननांगों की जांच करके भी प्रायपिज्म का परीक्षण कर सकते हैं। हालांकि, प्रायपिज्म के प्रकार का पता लगाने के लिए कुछ टेस्ट किए जा सकते हैं -

प्रायपिज्म का इलाज - Priapism Treatment in Hindi

आइसेमिक प्रायपिज्म के इलाज में विभिन्न तौर-तरीके शामिल हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि प्रायपिज्म कितने समय से है और ब्लड टेस्ट के क्या रिजल्ट हैं। दुर्भाग्य से प्रायपिज्म के इलाज के लिए ली जाने वाली कुछ दवाओं से स्तंभन दोष हो सकता है।

प्रायपिज्म के इलाज में निम्न शामिल हैं -

  • एस्पिरेशन -
    इस प्रक्रिया में लिंग में जमा रक्त को 16 या 18 गेज की सुई की मदद से सिरिंज में भर लिया जाता है। इस स्थिति में लिंग के अंदर रक्त के दबाव को कम कर दिया जाता है।
     
  • दवाएं -
    कुछ प्रकार की दवाएं हैं, जो रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर देती हैं। इन दवाओं को लिंग में रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में इंजेक्शन की मदद से लगाया जाता है। ये दवाएं अल्फा एड्रेनेर्जिक सिम्पथोमिमेटिक नाम से जाना जाता है। इन दवाओं को आमतौर पर 29 गेज वाली छोटी सुई की मदद से लिंग के कॉर्पोरा केवर्नोसा में लगाया जाता है।
     
  • सर्जरी -
    रक्त के प्रवाह को सामान्य बनाने में मदद करने वाली सर्जिकल प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, सर्जिकल प्रक्रिया का उपयोग सिर्फ गंभीर मामलों ही किया जाता है।

कई बार जननांगों में बर्फ की सिकाई करने की सलाह भी दी जाती है। जिसकी मदद से प्रभावित नसों को शिथिल किया जाता है, जिससे उन्हें सामान्य रूप से काम करने में मदद मिलती है।

नोन-आइसेमिक प्रायपिज्म आमतौर पर कोई इमर्जेंसी नहीं होती है और बिना किसी इलाज प्रक्रिया के अपने आप ठीक हो जाती है। हालांकि, स्थिति का इलाज करना जरूरी है या नहीं यह डॉक्टर जांच करके ही निर्धारित करते हैं।



प्रायपिज्म के डॉक्टर

Dr. Anurag Kumar Dr. Anurag Kumar पुरुष चिकित्सा
19 वर्षों का अनुभव
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