पोइकिलोडर्मा क्या है?
पोइकिलोडर्मा एक ऐसी समस्या है जिसके कारण व्यक्ति की त्वचा का रंग फीका पड़ जाता है और साथ ही में स्किन जगह-जगह से खराब होने लगती है। हालांकि डॉक्टरों का मानना है कि पोइकिलोडर्मा कोई वास्तविक बीमारी नहीं है बल्कि कई लक्षणों का एक समूह है। यह एक सामान्य और क्रॉनिक (लंबे समय तक रहने वाली) समस्या है लेकिन जानलेवा नहीं है। यह समस्या जेनेटिक यानी आनुवंशिक भी हो सकती है। इस स्थिति में पीड़ित को जन्म के समय से ही या फिर जन्म के बाद यह समस्या हो सकती है। यह स्थिति कई दुर्लभ आनुवंशिक बीमारियों से संबंधित है जैसे कि ल्यूपस या लुपस। वहीं, सबसे आम स्थिति को पोइकिलोडर्मा ऑफ सीवाट कहा जाता है।
'द अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक कॉलेज ऑफ डर्मेटोलॉजी' (एओसीडी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पोइकिलोडर्मा ऑफ सीवाट को सन एजिंग भी कहा जाता है। मतलब यह समस्या अधिक समय तक धूप के संपर्क में रहने की वजह से होती है। इस तरह लंबे समय तक सूरज की रोशनी के संपर्क में आने के साथ-साथ सामान्य उम्र बढ़ने के परिणामस्वरूप त्वचा के रंग में बदलाव होने लगता है। 15 साल की उम्र के बच्चे को भी यह समस्या हो सकती है और इसका प्रभाव 20 साल की उम्र तक साफ तौर पर देखा जा सकता है। पोइकिलोडर्मा ऑफ सीवाट के लक्षण आमतौर पर असिम्टोमैटिक होते हैं यानी इसके कोई लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। लेकिन कुछ लोगों को हल्की जलन, खुजली और प्रभावित त्वचा के हिस्से में अधिक संवेदनशीलता महसूस हो सकती है। इस दौरान आमतौर पर गर्दन और गाल की त्वचा रेडिश-ब्राउन यानी लालिमा लिए हुए भूरे रंग की हो जाती है।
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