हमारे फेफड़ों से लेकर छाती तक पतले ऊतक का एक आवरण होता है। इस आवरण को प्ल्यूरा कहा जाता है। सामान्य रूप से जब हम सांस लेते हैं तो इन आवरणों के बीच रगड़ उत्पन्न होती है। इसके कारण किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है, यह स्थिति सामान्य है। हालांकि, जब इन्ही ऊतकों में सूजन या संक्रमण हो जाता है तो यह गंभीर दर्द का कारण बन सकती है। इसके कारण सांस लेने में भी कठिनाई हो सकती है। इसी स्थिति को प्लूरिसी या प्लूरिटिस के नाम से जाना जाता है। यह एक गंभीर स्थिति है और दुनियाभर में कई प्रसिद्ध हस्तियों के मृत्यु का कारण भी बन चुकी है।
हाल के वर्षों में प्लूरिसी के इलाज को लेकर कई चिकित्सकीय उपायों को प्रयोग में लाया गया। इस आधार पर विशेषज्ञों के मुताबिक बैक्टीरिया के संक्रमण और इसे फैलने से रोकने के लिए एंटीबायोटिक्स दवाओं को काफी प्रभावी माना गया है। बैक्टीरियल संक्रमण को ही प्लूरिसी का मुख्य कारण माना जाता रहा है। प्लूरिसी आमतौर पर तपेदिक (टीबी) और निमोनिया जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है। कई बार गंभीर चोट लगने, प्लूमेनरी इंबोलिज्म (फेफड़ों में रक्त का थक्का जमना), ल्यूपस (ऑटोइम्यून रोग) और कैंसर के कारण भी यह बीमारी हो सकती है। प्रारंभिक अवस्था में टीबी जैसे श्वसन संबंधी विकारों पर नियंत्रण पाकर प्लूरिसी को बढ़ने से रोका जा सकता है।
प्लूरिसी के इलाज के दौरान दर्द को नियंत्रित करने और अंतर्निहित स्थिति के इलाज पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस लेख में हम प्लूरिसी के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।