फुफ्फुस बहाव - Pleural Effusion in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

November 13, 2018

March 19, 2021

फुफ्फुस बहाव
फुफ्फुस बहाव

प्लूरल इफ्यूजन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों के बाहर असामान्य मात्रा में द्रव इकट्ठा हो जाता है। ऐसे कई रोग हैं जिनके कारण यह समस्या होने लग जाती है और ऐसी स्थिति में फेफड़ों के आस-पास जमा हुऐ द्रव को निकालना पड़ता है। इस इस स्थिति के कारण के अनुसार ही इसका इलाज शुरु करते हैं। 

प्लूरा (Pleura) एक पत्ली झिल्ली होती है, जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच में मौजूद होती है। जब फुफ्फुसीय बहाव होता है, प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में द्रव बनने लग जाता है।

सामान्य तौर पर प्लूरा की परतों के बीच की खाली जगह में एक चम्मच की मात्रा में द्रव होता है जो आपके सांस लेने के दौरान फेफड़ों को हिलने में मदद करता है।

फुफ्फुस बहाव क्या है - What is Pleural Effusion in Hindi

फुफ्फुस बहाव क्या है?

फुफ्फुस बहाव को "फेफड़ों के बाहर पानी भर जाना" भी कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें फेफड़ों की बाहरी परत और छाती की अंदरुनी परत के बीच में द्रव बनने लग जाता है।

(और पढ़ें - फेफड़ों के रोग के लक्षण)

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प्लूरल इफ्यूजन के लक्षण - Pleural Effusion Symptoms in Hindi

फुफ्फुस बहाव के लक्षण क्या हैं?

फेफड़ों के बाहरी तरफ तरल जमा होने पर शुरूआत में किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते या फिर शुरूआत में काफी हल्के लक्षण होते हैं।

यह द्रव चाहे किसी प्रकार का हो इससे आमतौर पर होने वाले लक्षणों में सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत होना आदि शामिल हैं। इस स्थिति को डिस्पनिया और छाती में दर्द कहा जाता है।

छाती का दर्द आमतौर पर फेफड़ों की झिल्ली से संबंधित दर्द (Pleuritic pain) होता है। यह तब महसूस होता है जब व्यक्ति गहरी सांस लेता है या खांसी करता है। लेकिन कुछ मामलों में छाती का दर्द लगातार महसूस होता रहता है और गहरी सांस लेने या खांसी करने से और बदतर हो जाता है। 

(और पढ़ें - छाती में दर्द के घरेलू उपाय)

प्लूरल इफ्यूजन होने पर जो लक्षण पैदा होते हैं, वे द्रव की मात्रा और यह कितनी तीव्रता से जमा हो रहा है आदि पर निर्भर करते हैं। इसके लक्षणों में निम्न शामिल है:

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको सांस लेने में दिक्कत या छाती में दर्द हो रहा हो तो आपको डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए। यदि ये लक्षण आपको छाती में किसी प्रकार की चोट लगने या फिर किसी प्रकार के ऑपरेशन (सर्जरी) के बाद महसूस हो रहे हैं, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास चले जाना चाहिए। 

(और पढ़ें - छाती में दर्द होने पर क्या करें)

फुफ्फुस बहाव के कारण व जोखिम कारक - Pleural Effusion Causes & Risk Factors in Hindi

फुफ्फुस बहाव क्यों होता है?

छाती में फेफड़ों के बीच पानी जमा होना कोई आम स्थिति नहीं होती है। यह कोई रोग भी नहीं होता लेकिन यह किसी अंदरुनी बीमारी से होने वाली जटिलता के रूप में विकसित हो सकती है। 

ज्यादातर मामलों में द्रव बनने का कारण कॉग्निटिव हार्ट फेलियर, निमोनिया, प्लमोनरी एंबोलिस्म (फेफड़ों में खून का थक्का बनना) और मालिगैंसी (malignancy) होता है। 

  • कैंसर:
    यदि कैंसर की कोशिका प्लूरा तक फैल जाएं तो ऐसी स्थिति में भी फेफड़ों के बाहर पानी जमा होने लग सकता है। इस स्थिति में फेफड़ों में जलन व अन्य तकलीफ होने लग जाती हैं और द्रव बनने लग जाता है। (और पढ़ें - कैंसर के लिए आहार)
     
  • पल्मोनरी एंबोलिस्म:
    इसमें आपके फेफड़ों में मौजूद किसी की भी धमनी में किसी प्रकार के रुकावट आ जाती है जिससे भी प्लूरल इफ्यूजन हो सकता है।
     
  • शरीर किसी अन्य से द्रव रिसना:
    यह आमतौर पर कंजेस्टिव हार्ट फेलियर या जब आपका हृदय ठीक तरीके से खून को शरीर में पंप ना करने वाली स्थितियों में होता है। लेकिन यह लीवर व किडनी के रोगों के कारण भी हो सकता है, क्योंकि इस स्थिति में इनके अंदर जमा द्रव रिसने लगता है और वह फेफड़ों व छाती की परत के बीच जमा होने लग जाता है।
     
  • संक्रमण:
    टीबी या निमोनिया ऐसी स्थितियों में भी फेफड़ों व छाती के बीच द्रव जमा होने जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं।

कुछ अन्य स्थितियां भी हैं, जिनके कारण पल्मोनरी इफ्यूजन हो जाता है: 

(और पढ़ें - पेट के अल्सर के लक्षण)

फेफड़ों के बाहर द्रव जमा होने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियां हैं जिनमें फुफ्फुस बहाव होने के जोखिम बढ़ जाते हैं:

(और पढ़ें - सूजन से छुटकारा पाने का तरीका)

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प्ल्यूरल इफ्यूजन से बचाव - Prevention of Pleural Effusion in Hindi

फुफ्फुस बहाव के उपाय क्या हैं?

फेफड़ों व छाती के बीच द्रव जमा होने से पहले ही उसकी रोकथाम करने के लिए कोई स्थापित उपाय नहीं है। हालांकि इसके जोखिम कारकों से बचाव करने से काफी मदद मिल सकती है, जिनमें निम्न शामिल हैं:

  • धूम्रपान छोड़ना
  • शराब छोड़ना (और पढ़ें - शराब छोड़ने के उपाय)
  • निमोनिया का जितना जल्दी हो सके इलाज करवा लेना
  • हार्ट फेलियर की समस्या को नियंत्रित रखना

(और पढ़ें - निमोनिया में क्या खाना चाहिए)

यदि आपको बार-बार प्लूरल इफ्यूजन हो रहा है, तो उसके कारण का उचित रूप से इलाज करके इसे बार-बार होने से रोका जा सकता है। इसके मुख्य कारणों में हार्ट फेलियर, मलिग्नन्सी और सिरोसिस आदि शामिल है।

(और पढ़ें - धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)

फुफ्फुस बहाव का परीक्षण - Diagnosis of Pleural Effusion in Hindi

प्लूरल इफ्यूजन जांच कैसे की जाती है?

इस दौरान आपके डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और एक स्टीथोस्कोप (एक प्रकार का यंत्र) की मदद से फेफड़ों से आने वाली आवाज को सुनने की कोशिश करेंगे। इसके अलावा डॉक्टर अपनी उंगलियों से आपकी छाती को छू कर भी छाती में पानी का पता लगा सकते हैं। 

इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं:

  • एक्स रे:
    जमा हुऐ द्रव का पता लगाने के लिए आमतौर पर सबसे पहले छाती का एक्स रे किया जाता है। हालांकि यदि थोड़ा बहुत ही द्रव जमा हुआ है, तो हो सकता है एक्स रे में वह दिखाई भी ना दे। (और पढ़ें - लिवर फंक्शन टेस्ट क्या है)
     
  • अल्ट्रासोनोग्राफी:
    यदि द्रव कम मात्रा में जमा हुआ है, तो अल्ट्रासोनोग्राफी टेस्ट की मदद से उसका पता लगया जा सकता है। इस प्रक्रिया में अल्ट्रासाउंड मशीन की मदद से परतों में मौजूद द्रव की जगह का पता लगाया जाता है, ताकि वहां से द्रव का सेंपल लेकर उसकी जांच की जा सके। (और पढ़ें - यूरिक एसिड टेस्ट क्या है)
     
  • द्रव का सेंपल लेना:
    डॉक्टर थोरासेंटेसिस (Thoracentesis) प्रक्रिया का उपयोग कर सकते हैं। इस प्रक्रिया में सुई की मदद से सेंपल के रूप में फेफड़ों के बाहर जमा पानी थोड़ा सा निकाल लिया जाता है। द्रव कैसा दिखता है व कितना गाढ़ा है आदि इन सभी चीजों के आधार पर भी डॉक्टर इस स्थिति के कारण का पता लगा सकते हैं। सेंपल पर कई प्रकार के लेबोरेटरी टेस्ट किए जाते हैं। लेबोरेटरी में किए गए टेस्ट की मदद से द्रव में मौजूद केमिकल और बैक्टीरिया आदि का पता लगाया जाता है, इनमें टीबी का कारण बनने वाले बैक्टीरिया भी शामिल हैं। कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए भी इस द्रव की जांच की जाती है, जिस दौरान कोशिकाओं के प्रकार व संख्या की जांच की जाती है। (और पढ़ें - एचएसजी टेस्ट क्या है)

यदि ऊपर बताए गए टेस्ट की मदद से फुफ्फुस बहाव के कारण का पता ना लग पाए, तो ऐसी स्थिति में कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे:

  • सीटी एंजियोग्राफी:
    यह टेस्ट फेफड़ों और जमा हुऐ द्रव को और स्पष्ट रूप से दिखा देता है। इसके अलावा यह निमोनिया, फेफड़ों में फोड़ा या ट्यूमर आदि के संकेत भी दे सकता है, जो प्लूरल इफ्यूजन का कारण हो सकते है। सीटी एंजियोग्राफी करवाने के लिए लोगों को स्कैनिंग के दौरान अपनी सांस रोकनी पड़ती है। (और पढ़ें - कोरोनरी एंजियोग्राफी क्या है)
     
  • बायोप्सी टेस्ट:
    यदि डॉक्टर को किसी गंभीर स्थिति पर संदेह हो रहा है, तो ऐसी स्थिति में डॉक्टर एक ट्यूब जैसे उपकरण को मुंह के अंदर से छाती में डालते हैं। इस उपकरण को थोरास्कोप कहा जाता है, इसकी मदद से फेफड़ों और/या प्लूरा से सेंपल ले लिया जाता है। (और पढ़ें - बायोप्सी क्या है​)
  • किडनी फंक्शन टेस्ट:
    यदि किडनी संबंधी कोई समस्या लग रही है, तो किडनी फंक्शन टेस्ट भी किया जा सकता है। (और पढ़ें - स्टूल टेस्ट क्या है)
     
  • लीवर फंक्शन टेस्ट:
    लीवर सिरोसिस या लीवर खराब होना आदि जैसी समस्याओं का पता लगाने के लिए लीवर फंक्शन टेस्ट किया जाता है। (और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट क्या है)
     
  • ब्रोंकोस्कोपी:
    सांस लेने में होने वाली समस्याओं व ट्यूमर आदि का पता लगाने के लिए ब्रोंकोस्कोपी टेस्ट किया जाता है। (और पढ़ें - प्रोलैक्टिन परीक्षण क्या है)
     
  • हृदय अल्ट्रासाउंड:
    हार्ट अल्ट्रासाउंड टेस्ट की मदद से हार्ट फेलियर के संकेत आदि का पता लगाया जाता है।

(और पढ़ें - एंडोस्कोपी क्या है)

प्लूरल इफ्यूजन का इलाज - Pleural Effusion Treatment in Hindi

फुफ्फुस बहाव का इलाज कैसे करें?

  • प्लूरल इफ्यूजन का इलाज उसका कारण बनने वाली स्थिति पर या उससे होने वाले लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है, जैसे सांस फूलना या सांस लेने में दिक्कत होना। 
  • यदि द्रव जमा होने के कारण श्वसन तंत्र से जुड़े लक्षण विकसित होने लगे हैं, तो  जमा हुऐ द्रव को थेराप्युटिक थोरासेंटेसिस (Thoracentesis) या चेस्ट ट्यूब (जिसे थाराकोस्टोमी कहा जाता है) की मदद से निकाल देते हैं।
  • यदि यह स्थिति कंजेस्टिव हार्ट फेलियर या कोई अन्य मेडिकल समस्या के कारण हो रही है, तो उसका इलाज करने के लिए डाइयुरेटिक्स व अन्य हार्ट फेलियर की दवाओं का उपयोग करते हैं। 
  • यदि प्लूरल इफ्यूजन का कारण मलिग्नन्सी है, तो उसका इलाज करने के लिए कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस दौरान कुछ दवाएं सुई की मदद से सीधे छाती या फेफड़ों तक पहुंचाई जा सकती है। 

(और पढ़ें - दवा की जानकारी)

ऑपरेशन: 

यदि फेफड़ों से पानी निकाल देने के बाद या प्लूरल स्क्लेरोसिस के बाद भी स्थिति ठीक ना हो पाए, तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन भी करना पड़ सकता है। 

  • प्लूरोडेसिस:
    यह इलाज का एक प्रकार होता है, जिसकी मदद से छाती व फेफड़ों के बीच की जगह में हल्की सी सूजन, लालिमा व जलन पैदा कर दी जाती है। जमा हुऐ सारे द्रव को बाहर निकालने के बाद डॉक्टर इंजेक्शन की मदद से एक दवाई डाल देते हैं। इस दवा में अक्सर एक टैल्क (एक तरह की मिट्टी) मिक्सचर होता है। इस दवा के कारण प्लूरा की दो झिल्लियां आपस में चिपक जाती हैं, जिसके बाद उनके बीच में द्रव जमा होने की जगह नहीं रहती।
     
  • थोराकोटोमी:
    इस प्रक्रिया में छाती में 6 से 8 इंच लंबा चीरा दिया जाता है। थोराकोटोमी प्रक्रिया का उपयोग खासतौर तब किया जाता है, यह स्थिति इन्फेक्शन से जुड़ी हो। थोराकोटोमी सभी फाइबरयुक्त ऊतकों को हटा देती है और प्लूरा की जगह से इन्फेक्शन को साफ करने में भी मदद करती है। मरीजों को ऑपरेशन के बाद भी 2 दिन से 2 हफ्तों तक चेस्ट ट्यूब की आवश्यकता पड़ सकती है, ताकी फेफड़ों से निकलने वाले द्रव को जारी रखा जा सके।

डॉक्टर आपके लिए सबसे अच्छा व सुरक्षित उपचार विकल्प का पता लगाने के लिए आपकी अच्छे से जांच करेंगे और इलाज को शुरु करने से पहले उसके फायदे व संभावित जोखिमों के बारे में बताएंगे।

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

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प्लूरल इफ्यूजन जटिलताएं - Pleural Effusion Complications in Hindi

फुफ्फुसी बहाव की जटिलताएं क्या हैं?

प्लूरल इफ्यूजन के अंदरुनी कारण के अनुसार इससे होने वाली जटिलताएं भी अलग-अलग हो सकती हैं। हालांकि जो लोग अपनी बीमारी के दौरान बिना देरी किए जांच व उचित इलाज करवा लेते हैं, उनमें इससे होनी वाली जटिलताएं का खतरा अन्य मरीजों (जो समय पर जांच व इलाज नहीं करवाते) के मुकाबले काफी हद तक कम हो जाता है।

इस समस्या की गंभीरता उसके मुख्य कारण पर निर्भर करती है। चाहे इससे सांस लेने की क्षमता प्रभावित हो गई हो या इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता हो। फुफ्फुस बहाव के कारण का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, जिसमें​ वायरस के कारण होने वाला इन्फेक्शन, निमोनिया या हार्ट फेलियर आदि शामिल है। 

प्लूरल इफ्यूजन से कुछ अन्य जटिलताएं भी विकसित हो सकती हैं, जैसे:

  • ओर्थोपोनिया:
    यदि आपको सांस फूलने की समस्या है और लेटने पर यह स्थिति और बदतर हो जाती है, तो आपको ओर्थोपोनिया की समस्या है। इसमें बैठने या खड़े होने पर थोड़ा आराम महसूस होता है।
     
  • थकान:
    सांस फूलने की समस्या से आपको सामान्य से ज्यादा थकान महसूस होने लगती है और रात के समय आपकी नींद खुलने लग जाती है। (और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)
     
  • न्यूमोथोरॉक्स (फेफड़े सिकुड़ जाना):
    थोरासेंटेसिस की जटिलता के रूप में आपको न्यूमोथोरॉक्स की समस्या भी हो सकती है।
     
  • वातस्फीति:
    इस स्थिति में फेफड़ों के प्लूरल की खाली जगह में पस बनने लग जाती है। (और पढ़ें - वातस्फीति के कारण)
     
  • सेप्सिस (ब्लड इन्फेक्शन):
    इस स्थिति में कई बार मरीज की मृत्यु भी हो जाती है। (और पढ़ें - ब्लड इन्फेक्शन का इलाज)
     
  • लंग स्कारिंग:
    इस स्थिति में फेफड़ों में स्कार ऊतक (ऊतकों में खरोंच जैसे निशान) बनने लग जाते हैं। 

(और पढ़ें - फेफड़ों में इन्फेक्शन के लक्षण)



संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Pleural effusion.
  2. Cleveland Clinic. [Internet]. Cleveland, Ohio. Pleural Effusion Causes, Signs & Treatment.
  3. Karkhanis VS, Joshi JM. Pleural effusion: diagnosis, treatment, and management. Open Access Emerg Med. 2012 Jun 22;4:31-52. PMID: 27147861
  4. National Cancer Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Pleural effusion.
  5. Na MJ. Diagnostic Tools of Pleural Effusion. Tuberc Respir Dis (Seoul). 2014 May;76(5):199-210. PMID: 24920946