प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता - Photophobia in Hindi

written_by_editorial

May 27, 2020

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता
प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता

अचानक से तेज प्रकाश से आंखों में चुभन सी महसूस होना एक आम स्थिति होती है। लेकिन अगर रोशनी से आंखों में गंभीर दर्द होता है और हल्की रोशनी की तरफ भी आप नहीं देख पाते हैं, तो इस स्थिति को प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता कहा जाता है। जगती हुई लाइट को देख न पाना और धूप में न जा पाना आदि इस रोग के मुख्य लक्षण हैं। यह स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के एक संकेत के रूप में विकसित हो सकता है, जिसमें आंखों व मस्तिष्क से संबंधी कई रोग शामिल हैं। माइग्रेन इस स्थिति का सबसे मुख्य कारण माना जाता है।

इसका परीक्षण मुख्य रूप से किसी नेत्र विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है। परीक्षण के दौरान जांच की जाती है कि आपको रोशनी से कितनी तकलीफ होती है। परीक्षण के परिणामों के अनुसार ही इस समस्या का इलाज शुरु किया जाता है। प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता के इलाज के मुख्य दो प्रकार होते हैं, एक में इसके अंदरुनी कारण का इलाज किया जाता है और दूसरे में इससे होने वाले लक्षणों को नियंत्रित करने पर ध्यान दिया जाता है। स्थिति के अनुसार इनमें से एक इलाज प्रक्रिया का चुनाव कर लिया जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में दोनों प्रक्रियाओं का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।

 

फोटोफोबिया क्या है - What is Photophobia in Hindi

फोटोफोबिया या लाइट सेंसिटिविटी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें तेज रोशनी के कारण आंखों में दर्द होने लगता है। आंखों में प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता आमतौर पर खुद कोई रोग नहीं होता है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण विकसित होने वाले एक लक्षण के रूप में विकसित हो सकता है। इन स्वास्थ्य समस्याओं में सामान्य एलर्जिक समस्याओं से लेकर गंभीर रोग शामिल हो सकते हैं।

यदि फोटोफोबिया अधिक गंभीर नहीं है, तो तेज रोशनी में आप अपनी आंखों को पूरी तरह से खोल नहीं पाएंगे। अधिक गंभीर मामलों में जब आंख तेज रोशनी के संपर्क में आते ही उनमें दर्द महसूस होने लगता है।

(और पढ़ें - आंखों में दर्द का घरेलू इलाज)

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प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता के लक्षण - Photophobia Symptoms in Hindi

आंखों में प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता किसी भी उम्र में हो सकती है। यह आमतौर पर बार-बार होने वाली एक सामान्य मेडिकल समस्या है, जो स्वास्थ्य संबंधी किसी अंदरुनी रोग के कारण विकसित होता है। यदि आपको प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता महसूस होने लगी है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात कर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि हो सकता है कि यह स्वास्थ्य से संबंधी कोई गंभीर समस्या का संकेत हो।

फोटोफोबिया से आमतौर पर दोनों आंखें प्रभावित होती हैं। कभी-कभी आंखों से संबंधी समस्याओं के कारण किसी एक आंख में भी प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता की समस्या हो सकती है। वैसे तो लाइट सेंसिटिविटी खुद में एक लक्षण है, लेकिन इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं -

  • जगमगाती रोशनी की तरफ देख न पाना
  • थोड़ी सी रोशनी भी अधिक जगमगाती हुई दिखना
  • अंधेरे में भी सफेद रंग के स्पॉट दिखना
  • आंखें बंद करने के बाद सफेद धब्बे दिखाई देना
  • किताब पढ़ने या किसी तस्वीर को देखने में दिक्कत महसूस होना
  • रोशनी की तरफ देख न पाना और जबरदस्ती देखने पर आंखों में दर्द हो जाना
  • एक या दोनो आंखों के कभी-कभी बंद करना और खोलना
  • माथे में दर्द होना
  • आंखों से पानी आना
  • ऐसा महसूस होना जैसे आंखों में सूखापन बढ़ गया हो।
  • बार-बार पलकें झपकाने की आदत पड़ना
  • आंखे बंद करने का मन करना

डॉक्टर को कब दिखाएं?

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता से संबंधित कुछ स्थितियां गंभीर हो सकती हैं, जिनका जल्द से जल्द इलाज कराना बेहद आवश्यक होता है। यदि आपको कोई ऐसा रोग है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाकर उनसे बात करें। निम्न कुछ लक्षणों के बारे में बताया गया है, जो स्वास्थ्य संबंधी किसी गंभीर समस्या का संकेत दे सकते हैं, इनमें निम्न शामिल हो सकता है -

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता के कारण - Photophobia Causes in Hindi

फोटोफोबिया रोग विकसित होने के कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्ति की उम्र व उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करते हैं। लाइट सेंसिटिविटी के कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

माइग्रेन -

फोटोफोबिया माइग्रेन का एक सामान्य लक्षण है। इस रोग में गंभीर सिरदर्द होने लगता है, जो मुख्य रूप से हार्मोन व वातावरण में बदलाव, तनाव और कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के कारण होता है। इसके अन्य लक्षणों में उल्टी, जी मिचलाना और सिर के एक हिस्से में दर्द होना आदि शामिल है।

माइग्रेन से दुनियाभर में लगभग 10 प्रतिशत लोग प्रभावित हैं। यह पुरुषों व महिलाओं दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है।

ड्राई आई सिंड्रोम -

जब अश्रु ग्रंथियां (Tear glands) पर्याप्त मात्रा में आंसू न बना पाएं या फिर अच्छी गुणवत्ता के साथ न बना पाएं तो आंखों में सूखापन होने लगता है। आंखों में सूखापन आने के परिणामस्वरूप प्रकाश के प्रति अतिसंवेनशीलता होने लगती है। यह स्थिति आमतौर पर उम्र व स्वास्थ्य संबंधी कुछ समस्याओं के कारण हो जाती है। इसके अलावा कुछ दवाएं भी आंखों की अश्रु ग्रंथियों को प्रभावित कर सकती है।

आंख को प्रभावित करने वाले रोग जो फोटोफोबिया का कारण बन सकते हैं -

रोशनी के प्रति अतिसंवेदनशीलता होना कुछ ऐसी समस्याओं से भी हो सकती है, जो आंख को प्रभावित कर देती हैं -

  • कॉर्निया का घर्षण -
    आंख की सबसे ऊपरी परत को कॉर्निया कहा जाता है, जब उसमें क्षति होने लगती है तो उसे कॉर्नियल अबरेशन कहा जाता है। यह आंखों में होने वाली आम समस्याओं में से एक है और तब होती है, जब आंख में धूल, मिट्टी व अन्य कचरा चला जाता है। यदि इस स्थिति में कॉर्निया संक्रमित हो जाए, तो इससे कारण कॉर्नियल अल्सर जैसे गंभीर रोग विकसित हो सकते हैं। तेज प्रकाश सहन न कर पाना भी माइग्रेन का एक मुख्य लक्षण है।
     
  • सक्लेराइटिस - जब आपकी आंख का सफेद हिस्सा सूजन व लालिमा से प्रभावित हो जाता है, स्क्लेराइटिस रोग विकसित हो जाता है। इसके अधिकतर मामले उन रोगों के कारण होते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करते हैं, जैसे लुपस आदि। प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता के अलावा आंखों से पानी आना और धुंधला दिखना आदि शामिल है।
     
  • आंख आना -
    इस रोग को कंजक्टिवाइटिस और पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। जब आंख के सफेद हिस्से को कवर करने वाली ऊतकों की परत में सूजन या संक्रमण हो जाता है, तो इस स्थिति को ही आंख आना कहा जाता है। ज्यादातर मामलों में यह वायरस के कारण होता है, लेकिन कुछ मामलों में बैक्टीरिया या कुछ प्रकार की एलर्जी के कारण भी यह रोग हो सकता है। इसके लक्षणों में प्रकाश न सहन कर पाने के साथ-साथ आंखों में खुजली, लालिमा और दर्द होता है।

मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले रोग जो फोटोफोबिया का कारण बन सकते हैं -

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता अक्सर ऐसे रोगों के कारण भी हो सकती है, जो मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इनमें निम्न शामिल हो सकती है -

  • एन्सेफेलाइटिस -
    जब वायरल इन्फेक्शन या किसी अन्य कारण से जब मस्तिष्क में सूजन व लालिमा होती है, तो उस स्थिति को एन्सेफेलाइटिस कहा जाता है। कुछ गंभीर मामलों में एन्सेफेलाइटिस से घातक स्थिति पैदा कर सकता है। रोशनी सहन न कर पाना एन्सेफेलाइटिस का लक्षण हो सकता है।
     
  • मेनिनजाइटिस -
    यह एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी के चारों तरफ मौजूद झिल्ली को प्रभावित करता है। यह बैक्टीरियल संक्रमण एक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है, जैसे मस्तिष्क क्षतिग्रस्त होना, सुनाई न देना, मिर्गी पड़ना और यहां तक कि मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
     
  • सबरैक्नॉएड हेमरेज -
    जब मस्तिष्क और उसके चारों तरफ की झिल्लियों के बीच रक्तस्राव होने लगता है, तो सबरैक्नॉएड हेमरेज रोग विकसित हो जाता है। इससे स्थायी रूप से मस्तिष्क में क्षति या स्ट्रोक हो सकता है और जीवन के लिए घातक स्थिति पैदा हो जाती है।
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फोटोफोबिया से बचाव - Prevention of Photophobia in Hindi

वैसे तो प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता की रोकथाम करना संभव नहीं है, लेकिन कुछ तरीकों की मदद से इसका कारण बनने वाली स्थितियां विकसित होने से रोकथाम की जा सकती है। निम्न कुछ तरीकों के बारे में बताया गया है, जो फोटोफोबिया का कारण बनने वाली स्थितियों से बचाव करता है -

  • ऐसी कोई भी गतिविधि न करें जिससे माइग्रेन की समस्या हो
  • कंजक्टिवाइटिस से बचाव करने के लिए शारीरिक स्वच्छता रखें और हाथों से अपनी आंखों को न छूएं
  • मेनिनजाइटिस से बचाव रखने के लिए संक्रमित लोगों से दूर रहें, बार-बार हाथ धोते रहें और बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस का टीका लगवा लें।
  • एन्सेफेलाइटिस की रोकथाम करने के लिए अपने हाथों को बार-बार धोते रहें। एन्सेफेलाइटिस से बचाव करने वाला टीका लगाएं और मच्छरों व अन्य कीटों से संपर्क में आने से बचें।

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता का परीक्षण - Diagnosis of Photophobia in Hindi

परीक्षण के दौरान डॉक्टर आपसे कुछ सवाल पूछेंगें और यदि उनको लगता है कि आपको फोटोफोबिया है, तो वे आपको नेत्र विशेषज्ञ के पास भेज सकते हैं। नेत्र विशेषज्ञ आपके आंख की करीब से जांच करेंगे और इस दौरान आपसे कुछ विशेष सवाल भी पूछेंगे। परीक्षण के दौरान मस्तिष्क संबंधी समस्याओं की जांच भी की जा सकती है। आंख के परीक्षण के दौरान निम्न टेस्ट किए जा सकते हैं -

  • स्लिट लैंप आई एक्जाम -
    इस टेस्ट के दौरान डॉक्टर एक विशेष माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं, जिसके सिरे पर लाइट लगी होती है। इस उपकरण की मदद से आंख की अच्छे से जांच की जाती है।
     
  • मैग्नेटिक रेजोनेन्स इमेजिंग -
    एमआरआई स्कैन परीक्षण के दौरान शक्तिशाली चुंबकिय और रेडियो वेव का उपयोग किया जाता है, जिसकी मदद से शरीर के प्रभावित भाग की तस्वीरें तैयार की जाती हैं।
     
  • टियर फिल्म परीक्षण -
    इस परीक्षण की मदद से यह जांच की जाती है कि आप की अश्रु ग्रंथियां कितनी मात्रा में आंसुओं को बना पा रही हैं।

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता का इलाज - Photophobia Treatment in Hindi

प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता का इलाज मुख्य रूप से दो पहलुओं के अनुसार किया जाता है। एक पहलू में इलाज का मुख्य लक्ष्य रोग के अंदरुनी कारणों का इलाज करना होता है। इस दौरान सबसे पहले परीक्षण करके फोटोफोबिया का कारण बनने वाली स्थितियों का पता लगाया जाता है और फिर उसके अनुसार इलाज शुरु किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फोटोफोबिया का कारण बनने वाली स्थितियों की इलाज प्रक्रिया एक-दूसरे से काफी अलग हो सकती है।

फोटोफोबिया के इलाज के दूसरे पहलू में इलाज का मुख्य लक्ष्य रोग के लक्षणों को नियंत्रित करना होता है। प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता के अंदरुनी कारणों का इलाज चलने के दौरान फोटोफोबिया को ठीक होने में काफी समय लग सकता है। इसलिए लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए विशेष इलाज प्रक्रिया शुरु की जा सकती है।

इसके अलावा डॉक्टर फोटोफोबिया के लक्षणों को कम करने के लिए कुछ अन्य सलाह भी दे सकते हैं जैसे -

  • धूप वाले चश्मे पहन कर रखें
  • तेज प्रकाश के संपर्क में न जाएं
  • हरे रंग की रोशनी या हरे रंग का चश्मा लगाएं, क्योंकि हरे रंग की रोशनी अन्य रंगों के मुकाबले बहुत ही कम फोटोफोबिया पैदा करती है।
  • अपनी आंखों को आराम देने के लिए किसी अच्छे आई ड्रॉप दवा का उपयोग करें
  • आंखों में दर्द होने पर सामान्य पेनकिलर दवाओं का इस्तेमाल करें जैसे एसिटामिनोफेन और नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं।
  • डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं से होने वाले साइड-इफेक्ट (यदि हैं) के बारे में जान लें

जिन लोगों को फोटोफोबिया के साथ-साथ आंख में दर्द भी है, उनके लिए नॉन इनवेसिव ट्रांसक्युटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व (TENS) प्रक्रिया भी दर्दनिवारक साबित हो सकती है।

यदि दवाओं से प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता की समस्या में सुधार नही हो पा रहा है, तो बोटुलिनम टॉक्सिन ए इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

यदि आपको अक्सर माइग्रेन की समस्या रहती है, तो फोटोफोबिया जैसी स्थितियों को लिए खुद को पहले से ही तैयार रखें। ऐसे में एक धूप वाला चश्मा व टोपी को अपने साथ रखें और घर की लाइट को अपने अनुसार पहले सी ही धीमी करवा लें।

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