फोबिया - Fear (Phobias) in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

June 28, 2017

April 21, 2023

फोबिया
फोबिया

फोबिया क्या है? - Phobia meaning in Hindi

फोबिया एक ऐसी बीमारी है जो अत्यधिक और अकारण भय से जुड़ी होती है। यदि आपको फोबिया है तो जब आप अपने भय के कारण से सामने होते हैं, तो आपको भय या आतंक की एक गहरी भावना महसूस हो सकती है। भय किसी निश्चित स्थान, वस्तु या परिस्थिति का हो सकता है। यह चिंता विकार से अलग होता है, जो किसी विशिष्ट चीज से जुड़ा होता है।

फोबिया के कई विशिष्ट प्रकार होते हैं, जैसे ऊंचाई का डर, सार्वजनिक स्थान या सुनसान जगहों का डर आदि। यदि आप दैनिक सामाजिक परिस्थितियों में चिंतित और बेहद शर्मीला महसूस करते हैं, तो आपको सोशल फोबिया हो सकता है। कुछ सामान्य फोबिया जैसे सुरंगें, हाइवे, अधिक पानी, उड़ना, जानवर और खून आदि देखकर डर लगना।

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फोबिया मरीज को परेशान करने से लेकर गंभीर रूप से अक्षम बना सकता है। फोबिया से पीड़ित लोग अक्सर यह महसूस करते हैं कि उनका डर पूरी तरह से तर्कहीन है, लेकिन वे फिर भी इस बारे में कुछ नहीं कर पाते। ऐसी समस्याओं से व्यक्तिगत संबंधों, स्कूल या ऑफिस आदि के कामों में बाधा आने लगती है।

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डर (फोबिया) के प्रकार - Types of Phobias in Hindi

फोबिया कितने प्रकार का होता है?

  • जानवरों से डर – इसके उदाहरण में सांप, मकड़ी, चूहे और कुत्ते आदि से डर लगना आदि शामिल है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण से डर - ऊंचाइयों, तूफान, पानी और अंधेरे आदि से डर लगना।
  • परिस्थिति से डर – इसमें किसी विशेष परिस्थिति से डर लगना शामिल होता है, जैसे तंग स्थान में डर लगना (Prism glasses), उड़ान, ड्राइविंग, सुरंगों और पुलों आदि पर भयभीत होना आदि।
  • खून या इंजेक्शन या चोट का डर – इसमें खून, चोट, बीमारी, सुई या अन्य चिकित्सा प्रक्रियाओं से डर लगता है।

कुछ फोबिया उपरोक्त सामान्य श्रेणी में नहीं आते वे कुछ इस प्रकार के फोबिया होते हैं, जैसे दम घुटने का डर या कैंसर आदि जैसी बीमारी होने का डर।

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डर (फोबिया) के लक्षण - Phobias Symptoms in Hindi

फोबिया के लक्षण व संकेत क्या हो सकते हैं?

इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपको किस विशिष्ट प्रकार का फोबिया है, इससे कुछ सामान्य प्रकार के रिएक्शन होने की संभावना होती है, जैसे:-

  • डर के किसी स्रोत का सामना करके या उसको याद करके भी अचानक से तीव्र भय, चिंता और दिमाग में भगदड़ महसूस होना।
  • यह जानते हुऐ भी कि भय अकारण महसूस हो रहा है, लेकिन उसको नियंत्रित करने में अक्षम महसूस होना।
  • जैसे ही डर का कारण बनने वाली स्थिति या वस्तु आपके या समय के करीब आती है, चिंता उतनी गंभीर होती जाती है।
  • उस वस्तु या स्थिति से बचने के लिए हर संभव कोशिश करना या चिंता और भय को सहन करने की कोशिश करना।
  • डर महसूस होने के कारण, मस्तिष्क द्वारा सामान्य रूप का कार्य करने में परेशानी।
  • शारीरिक प्रतिक्रियाएं और उत्तेजनाएं जिनमें पसीना आना, ह्रदय की गति तेज होना, छाती में जकड़न और सांस लेने में कठिनाई आदि भी शामिल हैं।
  • चोट या खून आदि को देखकर जी मिचलाना, लड़खड़ाना या बेहोश हो जाना आदि।
  • बच्चों में चिड़चिड़ापन, अडिग होना, चिल्लाना या माता-पिता से दूर जाने से या उनका गुस्सा झेलने से मना करना।

विशिष्ट फोबिया के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं -

  • एक विशिष्ट वस्तु या स्थिति के प्रति अत्यधिक या तर्कहीन भय,
  • उस वस्तु या स्थिति से बचने की कोशिश करना या गंभीर संकट के साथ सहते रहना।
  • चिंता या पैनिक अटैक के शारीरिक लक्षण जैसे, ह्रदय तेजी से धड़कना, मतली और दस्त, पसीना आना, कांपना या हिलना, सुन्न होना या झुनझुनी महसूस होना, सांस लेने में कठिनाई, चक्कर आना और सिर घूमना, दम घुटने जैसा महसूस होना आदि।
  • पूर्वानुमानित चिंता, इसमें फोबिया का कारण बनने वाली स्थिति या वस्तु का सामना करने के समय से पहले बेचैन होना। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति को कुत्तों से डर लगता है, वह बाहर जाने से पहले चिंतित या बेचैन हो सकता है, अगर उसको पता है कि उस रास्ते पर कुत्ते रहते हैं।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

बिना किसी कारण के डर महसूस करना, झुंझलाहट का कारण बन सकता है, लेकिन इसको विशिष्ट फोबिया नहीं माना जाता जब तक यह आपके जीवन को गंभीर रूप से संकटमय ना कर दे। यदि चिंता काम, स्कूल या सामाजिक परिस्थितियों के कार्य करने को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है, तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।

बचपन के डर में अंधेरा, भूत या राक्षस, अकेला छोड़ा जाना आदि सामान्य हैं, ज्यादातर बच्चे उम्र के साथ ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर बड़ा होने के बाद भी आपके बच्चे को अत्याधिक डर महसूस हो रहा है, जो घर के काम या स्कूल आदि के कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है, तो बच्चे को डॉक्टर से दिखाएं।

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डर (फोबिया) के कारण - Phobias Causes in Hindi

डर क्यों लगता है?

सिंपल फोबिया के सामान्य कारण

  • यह आमतौर पर बच्चों में 4 से 8 साल की उम्र के बीच होता है। कुछ मामलों में यह पहले कभी जीवन में हुई किसी घटना के कारण भी हो जाता है।
  • परिवार के किसी सद्स्य द्वारा किसी भयावह चीज से सामना भी अन्य सदस्यों के लिए फोबिया का कारण बन सकता है, ज्यादातर बच्चों में इसकी संभावना बढ़ जाती है।
  • अगर किसी बच्चे की मां को मकड़ी से डर लगता है (Arachnophobia), तो बच्चे में यह फोबिया विकसित होनी की काफी संभावनाएं होती हैं।
  • फोबिया माता-पिता से भी लग जाता है या भय की बातें सुनकर भी किसी बच्चे में यह विकसित हो सकता है।

जटिल फोबिया का सामान्य कारण -

एग्रोफोबिया (भीड़ से डरना) या सामाजिक फोबिया को शुरू करने वाला कारण अभी तक भी एक रहस्य ही है, किसी को भी नहीं पता कि उनको भय क्यों लग रहा है। ISIS (International Study of Infarct Survival) के मुताबिक ये निम्न के संयोजन का कारण भी हो सकता है।

  • जीवन का अनुभव
  • मस्तिष्क केमिस्ट्री
  • आनुवंशिकी
  • सोशल फोबिया की अत्याधिक संभावना अत्यधिक तनावपूर्ण अनुभव के कारण होती है।

फोबिया और अस्तित्व – कई प्रकार के फोबिया के लिए कई प्रकार के स्पष्टीकरण हो सकते हैं। सोशल फोबिया जीवन की प्रवृत्ति भी हो सकती है। घर में रहने के लिए प्रवृत्ति, विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए, एड्स से पीड़ितों के लिए। मेल-जोल में विचित्रता और खतरा ढूंढने के लिए यह एक प्राकृतिक प्रवृत्ति होती है।

मस्तिष्क में फोबिया का विकसित करने की क्रियाविधि

दिमाग के कुछ क्षेत्र कुछ खतरनाक और संभावित घातक घटनाओं को अपने दिमाग में बसा लेते हैं या उनको बार-बार याद करते रहते हैं। भविष्य में किसी अवसर के दौरान जब ऐसी ही किसी घटना से सामना होता है, तो वे क्षेत्र उन यादों को फिर से ताजा कर लेते हैं, इससे कारण से शरीर को लगता है कि यह फिर से हो रहा है। मस्तिष्क के वे क्षेत्र जो डर और तनाव में काम करते हैं, वे इन भयावह घटनाओं को अनुपयुक्त रूप से फिर से प्राप्त कर लेते हैं।

कुछ लोगों में अगर कोई घटना बार-बार हो रही है तो उनको फोबिया महसूस हो सकता है, फोबिया एक तर्कहीन घटना होती है, जिसमें मस्तिष्क किसी घटना पर अति-प्रतिक्रिया करता है।

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डर (फोबिया) से बचाव - Prevention of Phobias in Hindi

डर पैदा होने से कैसे रोक सकते हैं?

हालांकि, ऐसे कई विशिष्ट फोबिया हैं जिनकी रोकथाम नहीं की जा सकती, प्रारंभिक बीच-बचाव और एक दर्दनाक अनुभव के बाद उसका उपचार, व्यक्ति में गंभीर फोबिया विकसित होने से रोकथाम कर सकता है।

अपने डर से निपटने के द्वारा आप अपने बच्चे को उत्कृष्ट कौशल सिखा सकते हैं और उनकी हिम्मत बढ़ा सकते हैं। यह बच्चों में फोबिया विकसित होने से रोकथाम करता है।

डर (फोबिया) का परीक्षण - Diagnosis of Phobias in Hindi

फोबिया की जांचनिदान कैसे किया जाता है?

फोबिया का निदान करते समय, डॉक्टर यह निर्धारित करने की कोशिश करते हैं कि कोई वस्तु या स्थिति मरीज में किसी प्रकार का डर पैदा करता है।

जिन लोगों को फोबिया होता है, उनको लगभग हमेशा पता होता है कि उनको भय महसूस हो रहा है और वे अपने लक्षण आसानी से डॉक्टर को बता सकते हैं।

मानसिक डर का इलाज - Phobias Treatment in Hindi

फोबिया का इलाज क्या है?

डर का इलाज दवा, कुछ खास थेरेपी या दोनों के सयोजन से किया जा सकता है। अधिकतर मामलों में दवा और थेरेपी दोनों का इस्तेमाल किया जाता है।

दवा

नीचे कुछ प्रकार की दवाओं के बारे में बताया गया है, जो फोबिया के इलाज के लिए कारगर साबित हुई हैं -

  • बीटा ब्लॉकर्स – ये दवाएं फोबिया के लक्षण और घबराहट (जैसे तेजी से और कठोरता से दिल धड़कना) जैसी समस्याओं को कम कर देती है और इनके साथ-साथ टांगों व बाजूओं के कांपने की स्थिति को भी कम कर देती है। कई मरीजों ने बताया कि ये दवाएं उनकी दबी आवाज को भी ठीक होने में मदद करती है।
  • एंटिडिप्रैसेंट्स - एसएसआरआई दवाएं आम तौर पर फोबिया से पीड़ित लोगों को ही दी जाती हैं। ये दवाएं मस्तिष्क में सेरोटोनिन को प्रभावित  करती हैं, जिससे परिणामस्वरूप मूड अच्छा हो जाता है। (और पढ़ें - मूड अच्छा बनाने के उपाय)
  • सीडेटिव (शामक) – बेंज़ोडायज़ेपींस दवाएं चिंता के लक्षणों को कम करने में मदद करती है। जो लोग शराब आदि का सेवन कर रहे हैं, उनको सेडेटिव दवाए नहीं लेनी चाहिए।

बिहेवियरल थेरेपी

  • कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपीकॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी मानसिक डर के इलाज के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जानी वाली चिकित्सिय थेरेपी है। थेरेपिस्ट पीड़ितों को उनके फोबिया के कारण को समझने के अलग-अलग तरीके सिखातें हैं, जिससे उन्हें अपने डर का सामना करने में आसानी महसूस होती है। डर को देखने व समझने के अन्य वैकल्पिक तरीकों को समझाया जाता है। रोगी को सिखाया जाता है, कि उसके जीवन की गुणवत्ता पर एक गलत दृष्टिकोण का क्या प्रभाव हो सकता है और कैसे एक नया तरीका जिंदगी को बदल सकता है। थेरेपी का पूरा जोर मरीज के अंदर नाकारात्मक विचारों, बेकार की धारणाओं और फोबिया की स्थिति के रिएक्शन का पता लगाने और उसको बदलने पर होता है।
  • डिसेंसिटाइजेशन (एक्सपोज़र थेरेपी) – अगर यह थेरेपी ठीक तरीके से हो पाए, तो इसकी मदद से पीड़ितों के डर के प्रति उनकी प्रतिक्रिया में परिवर्तन करने में सहायता की जा सकती है। रोगियों को उनके डर के कारणों से धीरे-धीरे बढ़ा कर अवगत कराया जाता है। जो व्यक्ति किसी विमान में यात्रा करने से डरते हैं, तो उनको सिर्फ विमान यात्रा के बारे में सोचने से शुरू किया जाता है। उसके बाद विमान को देखना, फिर एयरपोर्ट पर जाना और फिर प्रैक्टिस सिमुलेटेड प्लेन कैबिन (विमान जैसा कमरा) में बैठना, अंत विमान में यात्रा करना आदि शामिल है।

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संदर्भ

  1. Trivedi JK, Gupta PK. An overview of Indian research in anxiety disorders. Indian J Psychiatry. 2010 Jan;52(Suppl 1):S210-8. PMID: 21836680
  2. Anxiety and Depression Asscociation of America. Specific Phobias. Silver Spring, Maryland; [Internet].
  3. OMICS International[Internet]; Phobias.
  4. Health Harvard Publishing. Harvard Medical School [Internet]. Coping with anxiety and phobias. Harvard University, Cambridge, Massachusetts.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Phobias.

फोबिया की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Fear (Phobias) in Hindi

फोबिया के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।