व्यक्तित्व विकार - Personality Disorder in Hindi

Dr. Ayush PandeyMBBS,PG Diploma

August 04, 2018

March 06, 2020

व्यक्तित्व विकार
व्यक्तित्व विकार

व्यक्तित्व विकार क्या है?

हर एक व्यक्ति का अपना व्यक्तित्व होता है। व्यक्ति के विचार, भावनाएं और बर्ताव ही उन्हें एक दूसरे से अलग बनाते हैं।  ऐसे में व्यक्तित्व के प्रकारों और खासियतों के बारें में कई अलग-अलग मान्यताएं हैं। इसके चलते व्यक्तित्वों को समझने के कई अलग अलग तरीके हैं। ऐसे में व्यक्तित्व विकास का कारण अभी तक अज्ञात है। हालांकि, बचपन में इंसान के सामने पेश आए हालात और उनके जीन (अनुवाशिंक या वंशानुगत लक्षण) इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं।

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हर व्यक्तित्व विकार का अपना एक अलग लक्षण होता है। यह तकलीफ किसी को बहुत अधिक को किसी को बेहद कम होती है और पीड़ित को कई बार यह भी समझ नहीं आता कि उन्हें कोई दिक्क्त भी है। उन्हें लगता है कि उनके विचार बेहद ही स्वाभाविक हैं और वे अपनी परेशानियों के लिए भी दूसरों को दोषी ठहराने लगते हैं। इस बीमारी के लक्षणों में एकांत में रहने की भावना, बोरियत से लेकर शत्रुओं के प्रति सहानुभूति भी शामिल है।  

इन समस्याओं का पता अमूमन जब तक चलता है तब तक पीड़ित 20 से 30 साल का हो चुका होता है। मनोचिकित्सकों द्वारा रोगी से बात करके उनकी समस्या समझने के बाद इसका निदान किया जाता है।  

आपको जो उपचार दिया जाता है वह आपके व्यक्तिगत विकार, उसकी गंभीरता और आपकी परिस्थितियों पर निर्भर है।  उपचार में अधिकांशतया रोगी से बात करना और कभी कभी दवाएं दिया जाना शामिल है। व्यक्तित्व विकार अमूमन लंबे समय से चली आ रही दिक्क्त होते हैं, ऐसे में इनके उपचार में महीनों से लेकर सालों तक लग सकते हैं।

व्यक्तित्व विकार का मतलब क्या है? 

व्यक्तित्व विकार का आशय एक ऐसी अवस्था से है, जिसमें व्यक्ति को अपनी भावनाएं और बर्ताव हमेशा ही सही लगता है। यहां तक कि अगर उन भावनाओं के चलते व्यक्ति के निजी जीवन में कोई बड़ी परेशानी ही क्यों न आ जाएं वह अपनी बात को ही सही मानता है।

व्यक्तित्व विकार के प्रकार - Types of Personality Disorder in Hindi

व्यक्तित्व विकार के प्रकार क्या हैं?

आम तौर पर डॉक्टर दस प्रकार की दिक्क्तों को व्यक्तित्व विकार से जोड़ते हैं। इन दिक्क्तों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। हालांकि इन सभी में बहुत अंतर नहीं है। विकारों और उनकी श्रेणियां इस प्रकार हैं:

वर्ग एक - 

डिसॉर्डर जिस में रोगी अजीब और सनकी बर्ताव करता है, जैसे:  

  • व्यक्तित्व में पागलपन वाले डिसॉर्डर।  
  • स्किट सोइड (schizoid) व्यक्तित्व, जिसमें व्यक्ति लोगों से घुलना -मिलना पसंद नहीं करता।  
  • स्किज़ोटिपल व्यक्तित्व विकार (schizotypal), जिसमें व्यक्ति यह नहीं समझ पाता कि संबंध कैसे निभाने हैं और उनके बर्ताव का दूसरों पर क्या असर पड़ता है।

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वर्ग दो  - 

डिसॉर्डर जिसमें रोगी नाटकीय, भावनात्मक और अनियमित बर्ताव करता है, जैसे:  

  • आत्ममुग्धता वाले व्यक्तित्व विकार।
  • नाटकीय चरित्र होने का व्यक्तित्व विकार।  
  • बर्ताव, व्यवहार संबंधो को लेकर बेहद अस्थायी व्यवहार करने का व्यक्तित्व विकार।

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वर्ग तीन - 

उद्विग्न और भय से भरा हुआ बर्ताव करने के विकार, इसमें शामिल है: 

  • सामाजिक जीवन में असहज हो जाना और लोगों से व्यक्तिगत संबंध न बना पाना। 
  • कई लोगों से सलाह लिए बिना स्वयं कोई निर्णय न ले पाना।
  • हर एक चीज को बहुत अधिक सुव्यस्थित और निर्धारित जगह पर रखने पर अत्यधिक जोर देने का दबाव।

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व्यक्तित्व विकार के लक्षण - Personality Disorder Symptoms in Hindi

व्यक्तित्व विकार के लक्षण क्या हैं?

किसी व्यक्ति में व्यक्तित्व विकार तो नहीं है, यह जांचने के लक्षण कुछ इस तरह हैं:

  • बर्ताव और व्यवहार अचानक से बहुत ज्यादा बदल जाए। यह बदलाव कुछ दिनों तक भी रह सकता है और कुछ घंटों में भी ठीक हो सकता है।
  • दूसरे लोगों पर बहुत अधिक निर्भर हो जाना।  
  • सामाजिक रूप से अलग-थलक रहना।
  • अचानक बहुत अधिक गुस्सा करना।  
  • हमेशा यह ड़र लगना कि कोई आपको छोड़ देगा और इसके प्रति बेहद भावुक व्यवहार करना।
  • बेहद आत्ममुग्ध होना।  
  • आवेगशील, भयभीत रहने वाला, खुद को नुकसान पहुंचा लेने वाला, खतरनाक बर्ताव करने वाला। इसमें बहुत अधिक असावधानी से वाहन चलाना तक शामिल है।
  • किसी भी परिस्थिति को लेकर तुरंत समाधान और संतुष्टि की चाह।  
  • अपने आवेगों पर नियंत्रण न रख पाना।
  • अच्छे व्यक्तिगत रिश्ते न बना पाना।
  • लोगों को संदेह और अविश्वास की नजर से देखना।  
  • दोस्त बनाने में मुश्किल होना।
  • दूसरों के प्रति संवेदनशील न होना।

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डॉक्टर से कब मिलें?

यदि व्यक्तित्व विकारों का सही समय पर न इलाज न किया जाए तो यह दिक्क्तें और भी बढ़ जाती है। ऐसे में यदि उपरोक्त बताए गए लक्षणों में से आपको कोई भी है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।

व्यक्तित्व विकार के कारण - Personality Disorder Causes in Hindi

व्यक्तित्व विकार के कारण क्या हैं?

मोटे तौर पर फिलहाल व्यक्तित्व विकार के सभी कारण अभी तय नहीं है। हालांकि शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि अनुवांशिक वजह, दिमाग की संरचना और कार्य, वातावरण, संस्कृति और सामाजिक परिवेश इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह भी कहा जा सकता है कि इन्हीं कारणों के चलते व्यक्ति बॉर्डर लाइन पर्सनैलिटी डिसॉर्डर का शिकार होता है, जिसका आशय उसका व्यवहार और बर्ताव अस्थिर रहने से है। 

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किसी के भी व्यक्तित्व के विकार में उसके अनुवांशिक कारणों के साथ पालन -पोषण के तरीके भी शामिल होते हैं। गौरतलब है कि इस मुद्दे पर लंबे समय से बहस जारी है कि व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में प्रकृति (अनुवांशिक कारण) या पालन पोषण में से किसका अधिक बड़ा योगदान होता है।

व्यक्तित्व विकार के कई कारण हैं। जैसे:

  • दिमाग - 
    जिन लोगों में व्यक्तित्व विकार होता है, उनका भावनात्मक बर्ताव अन्य लोगों से बेहद अलग होता है। ऐसे में दिमागी संरचना और वहां उपस्थित दिक्क्तों को व्यक्तित्व विकार का एक महत्वपूर्ण पहलू माना जाता है। इसके तहत यह माना जाता है कि दिमाग का वह हिस्सा जो भावनाओं, निर्णय लेने की क्षमताओं आदि को नियंत्रित करता है वह ठीक से शरीर के बाकी हिस्सों के साथ काम नहीं कर पा रहा मतलब सूचनाएं संप्रेषित नहीं कर पा रहा। (और पढ़ें - दिमाग तेज करने के उपाय)

  • आनुवांशिक -
    हालांकि किसी भी गुणसूत्र/ जीन का व्यक्तित्व विकार से कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन जुड़वां लोगों पर हुए शोध के मुताबिक मानसिक दिक्क्तों का सीधा वंशानुगत संबंध है। जिन लोगों के निटकतम रिश्तेदारों को यह समस्या रही है, उन लोगों में भी इस समस्या के होने की संभावना पांच गुना बढ़ जाती है।

  • वातावरण का योगदान -
    जिन लोगों के जीवन में दर्दनाक घटनाएं घटी है, जैसे, बचपन में यौन उत्पीड़न, शारीरिक प्रताड़ना, अभिभावकों से उपेक्षा या उनसे अलग हो जाना आदि, भी व्यक्तित्व विकार का महत्वपूर्ण कारण हो सकते हैं। जब आप बड़े हो रहे होते हैं तब आप भावनात्मक परिवर्तनों और आस पास के लोगों के साथ सामंजस्य बैठाना शुरू करते हैं। ऐसे में जो बच्चें उपेक्षित या प्रताड़ित रहे हैं वे इन सब चीजों को नहीं सीख पाते। जिसके चलते बड़े होने पर उन्हें यह समझ नहीं आता कि किस परिस्थिति में कैसे बर्ताव करना है।

व्यक्तित्व विकार की आशंका किन वजहों से बढ़ जाती है?

अधिकांश लोग जिनमें व्यक्तित्व विकार के लक्षण पाए जाते हैं वे किसी सदमें से गुजर चुके होते हैं। जिन लोगों ने बचपन में किसी सदमें का सामना किया हो, उनमें व्यक्तित्व विकार होने के संभावनाएं और भी बढ़ जाती है।

आइए आपको बताएं, उन दिक्क्तों के बारे में, जिनके चलते व्यक्तित्व विकार जन्म ले सकता है:

  • बचपन में उपेक्षा
  • शारीरिक प्रताड़ना
  • भावनात्मक प्रताड़ना
  • यौन उत्पीड़न
  • अभिभावकों का तलाक
  • अभिभावकों की मृत्यु
  • बचपन में परिवार का खराब माहौल
  • परिवार के अन्य लोगों को मानसिक विकार या दिमागी तकलीफ रहना

इसका यह मतलब कतई नहीं है कि जिन-जिन लोगों ने कोई सदमा सहा है उन सभी को व्यक्तित्व विकार हो जाएगा। हां, उन्हें यह व्यक्तित्व विकार होने की संभावना अधिक है। ऐसे भी लोग होते हैं, जिन्हें शुरुआती तौर पर किसी तरह से इस बीमारी का कोई लक्षण न रहा हो लेकिन बाद में उन्हें यह बीमारी हो जाती है।

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व्यक्तित्व विकार से बचाव - Prevention of Personality Disorder in Hindi

व्यक्तित्व विकार से बचने के उपाय क्या हैं?

व्यक्तित्व विकार आम तौर पर आपके आनुवांशिक कारणों और बचपन में मिले माहौल पर ही निर्भर करता है। ऐसे में व्यक्तित्व विकार कतई ऐसी समस्या नहीं है, जिससे उसके होने से पहले उससे बचाव किया जा सके। इसके बावजूद कुछ खास उपायों को अपनाकर इस समस्या के लक्षणों को नियंत्रण में लाया जा सकता है और एक बेहतर जिंदगी बितायी जा सकती है।

  • बहुत ज्यादा शराब न पिएं और झोलाछाप डॉक्टरों की दवाइयों का प्रयोग न करें।  
  • नियमित व्यायाम करें लेकिन बहुत अधिक व्यायाम भी न करें। छोटी छोटी चीजें करें जैसे अपने घर से एक स्टॉप पहले ही उतर जाएं और पैदल घर जाएं।
  • योग और ध्यान जैसी तनाव नियंत्रण में लाने वाली और मानसिक आराम पहुंचाने वाली चीजें करें। (और पढ़ें - तनाव के लिए योग)
  • कोई हॉबी बनाएं। इससे आपको नए नए लोगों से मिलने में मदद मिलेगी साथ ही रोजमर्रा के जीवन की भागदौड़ और तनाव से मुक्ति मिलेगी।
  • अकेले रहने से परहेज करें, अपने दोस्तों और परिवार के संपर्क में रहें।
  • पर्याप्त नींद लें, हां अगर आप पूरी नींद न भी ले पाएं तो परेशान न हों।  (और पढ़ें - अच्छी नींद आने के उपाय
  • नियमित रुप से चिकित्स्कीय सहायता लेते रहें। अपने डॉक्टर द्वारा बताएं गए चेकअप और नियमित जांच के कार्यक्रम को अनदेखा न करें।
  • अपने खान-पान और स्वास्थ्य का ध्यान रखें। बहुत सारे फल और सब्जियां खाएं, इससे आपको अच्छा महसूस होगा। (और पढ़ें - हरी सब्जियों के गुण
  • अपने दोस्तों या परिवारवालों और अपने थैरेपिस्ट से इस बात की चर्चा जरुर करें कि आप आंतरिक रुप से कैसा महसूस कर रहे हैं और आपके मन में क्या चल रहा है।

व्यक्तित्व विकार का परीक्षण - Diagnosis of Personality Disorder in Hindi

व्यक्तित्व विकार का निदान क्या है?

व्यक्तित्व विकार का इलाज करने के लिए कोई निर्धारित टेस्ट नहीं है और न ही इलाज किसी एक लक्षण पर आधारित होता है।

व्यक्तित्व विकार का निदान आम तौर पर एक विशेषज्ञ मनोचिकित्सक द्वारा किया जाता है। ये डॉक्टर्स रोगी के कई इंटरव्यू लेते हैं जिसमें वे रोगी से उसके अन्य रोगों, मनोविकार के लक्षणों आदि के बारे में चर्चा करते हैं जरूरत महसूस होने पर डॉक्टर रोगी के परिवार और मित्रों से भी बात करते हैं।

डॉक्टर रोगी से उनके लक्षणों के बारे में बात करने के अलावा उनका एक विस्तृत मेडिकल परीक्षण भी करते हैं। इसका लक्ष्य यह तय करना होता है कि रोगी में जो लक्षण नजर आ रहे हैं वह कहीं किसी दूसरी बीमारी की आहट तो नहीं। साथ ही डॉक्टर रोगी के परिवार की मेडिकल हिस्ट्री और मानसिक रोगों आदि के बारे में चर्चा करते हैं।

(और पढ़ें - मानसिक रोग के घरेलू उपचार

कई बार लक्षण देखते हुए व्यक्तित्व विकार के उस निर्धारित प्रकार को पहचान पाना भी काफी मुश्किल होता है। इसका कारण यह है कि कई सारे व्यक्तित्व विकारों के लक्षण समान होते हैं, साथ ही कई बार रोगी में एक साथ एक से अधिक व्यक्तित्व विकार होते हैं।

कई अन्य विकारों जैसे अवसाद, बेचैनी, मादक द्रव्यों का सेवन जैसी दिक्क्तों से व्यक्तित्व विकार के इलाज की प्रक्रिया में अड़चने आती है। इन सबके चलते व्यक्तित्व विकार के इलाज में समय अवश्य लग सकता है, परन्तु यह बहुत आवश्यक है ताकि समस्याओं का स्थाई समाधान निकाला जा सके।

व्यक्तित्व विकार का इलाज - Personality Disorder Treatment in Hindi

व्यक्तित्व विकार का उपचार कैसे होता है?

व्यक्तित्व विकार में उपचार आम तौर पर इस बात पर निर्भर है कि रोगी को किस तरह की तकलीफ है, कबसे है और कितनी गंभीर है? साथ ही उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या रही है। आम तौर पर इस तरह की तकलीफों में मानसिक, मेडिकल और सामाजिक जैसी सभी जरूरतों को पूरा करना महत्वपूर्ण होता है। इसकी वजह यह है कि व्यक्तित्व विकार को ठीक होने में महीनों से लेकर सालों तक लग जाते हैं।

मनोचिकित्सा:  

  • अलग अलग व्यक्तित्व विकारों के लिए अलग-अलग तरह के उपचार शामिल हैं। उपचार के दौरान व्यक्ति से लेकर समूह और परिवार तक की मनोचिकित्सा शामिल है।
  • मनोचिकित्सा के दौरान रोगी विशेषज्ञ से अपनी मनोदशा, भावनाओं, विचारों और बर्ताव के बारे में बात कर सकते हैं। जिससे कि वे अपने तनाव से निपट कर अपनी समस्या को संतुलित कर सकते हैं।
  • रोगी को लोगों से ठीक से मिलने-जुलने की ट्रेनिंग भी दी जा सकती है। इस ट्रेनिंग के दौरान रोगी यह सीखते हैं कि किस तरह वे अपनी बिमारी को नियंत्रण में ला सकते हैं और अपने आसपास के लोगों पर इसका प्रभाव पड़ने से रोक सकते हैं।

दवाएं:

फिजिशियन द्वारा दी गई दवाइयां भी व्यक्तित्व विकार के कुछ लक्षणों से निपटने में सहायक सिद्ध होती है। इन लक्षणों में घबराहट, उद्वेग, आकुलता और धारणाएं आदि शामिल है।

  • मनोरोग प्रतिरोधी दवाएं: अगर रोगी को अधिक गुस्सा आना या बेचैनी और मनोविकार जैसी दिक्क्तें है जिसमें रोगी के विचार और भावनाएं परस्पर एक दूसरे के विरोधी हैं तो दवाएं लेने से राहत मिलती है।  
  • अवसादरोधी: अगर रोगी की मनोदशा ठीक नहीं है, उसे अवसाद, गुस्सा, बिना सोचे विचारे कुछ करने की आदत या निराशावादिता है तो उन्हें अवसादरोधियों से राहत मिलेगी। (और पढ़ें - गुस्सा कम करने के उपाय)
  • बेचैनी रोधी दवाएं: अनिद्रा, उत्तेजना और बेचैनी जैसी अवस्थाएं होने पर इस तरह की दवाएं सहायता करती है। हालांकि, कुछ मामलों में इन दवाओं से इम्पल्सिव बर्ताव यानी कि बिना विचारे क्षणिक आवेश में कुछ भी कर लेने जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं। इसके चलते कुछ व्यक्तित्व विकारों में इन्हें देने से डॉक्टर परहेज करते हैं।

(और पढ़ें - क्रोध प्रबंधन चिकित्सा)

कुछ वक्त के लिए अस्पताल में रखना: 

बहुत अधिक तनाव या ऐसी मानसिक स्थिति हो जाने जिसमें लगे कि रोगी आत्महत्या कर सकता है, सुरक्षा के लिए उन्हें अस्पताल में भर्ती करना अधिक उचित समझा जाता है।

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व्यक्तित्व विकार के जोखिम और जटिलताएं - Personality Disorder Risks & Complications in Hindi

व्यक्तित्व विकार से जुड़ी समस्याएं क्या हैं?

व्यक्तित्व विकार से न केवल पीड़ित व्यक्ति बल्कि उसके करीबी लोगों जैसे दोस्त और परिवार वालों पर बुरा असर पड़ता है।

व्यक्तित्व विकार से क्या क्या हो सकता है?

  • घर, स्कूल और कार्यक्षेत्र पर संबंधों, रिश्तों पर बुरा असर पड़ता है।
  • सामाजिक रुप से पीड़ित एकाकी हो जाता है।
  • शराब और नशे की लत।     
  • ऐसी चीजें करना जो आप आम तौर पर नहीं करते हो।
  • क्षणिक आवेश में कार्य कर देना।
  • शराबखोरी के कारण लगातार गिरता स्वास्थ्य।
  • आकांक्षाओं, करियर प्लान और जीवन लक्ष्यों पर ध्यान न दे पाना।


संदर्भ

  1. National Health Service [Internet]. UK; Personality disorder.
  2. Mental Health America [Internet]. Alexandria, VA, USA. Personality Disorder.
  3. Gupta S and Mattoo SK. Personality disorders: Prevalence and demography at a psychiatric outpatient in North India. International Journal of Social Psychiatry. 2012 Dec; 58 (2): 146-152.
  4. Hartocollis L. The Making of Multiple Personality Disorder: A Social Constructionist View. Clinical Social Work Journal. 1998; 26: 159–176.