पेम्फिगॉइड - Pemphigoid in Hindi

Dr. Anurag Shahi (AIIMS)MBBS,MD

November 27, 2020

April 13, 2021

पेम्फिगॉइड
पेम्फिगॉइड

पेम्फिगॉइड एक दुर्लभ स्व-प्रतिरक्षित रोग है, जो किसी भी उम्र में हो सकता है। हालांकि, वृद्धावस्था में यह अधिक देखा जाता है। पेम्फिगॉइड प्रतिरक्षा प्रणाली की सामान्य कार्य प्रक्रिया में खराबी होने के कारण होता है, जिससे  त्वचा में फफोले, छाले और घाव होने लगते हैं। पेम्फिगॉइड के अधिकतर मामलों में मरीज को टांग, बांह और पेट पर छाले फफोले होते हैं।

पेम्फिगॉइड में मरीज की श्लेष्म झिल्ली (म्यूकस मेम्बरेन) में भी छाले विकसित हो सकते हैं। म्यूकस मेम्बरेन का मुख्य कार्य म्यूकस बनाना होता है, जो शरीर के अंदरूनी हिस्सों को सुरक्षित रखने का काम करता है। पेम्फिगॉइड आमतौर पर आंख, नाक, मुंह और गुप्तांगों में मौजूद म्यूकस मेम्बरेन में हो सकता है। कुछ महिलाओं में उनके गर्भावस्था के दौरान भी यह हो सकता है।

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पेम्फिगॉइड के प्रकार - Types of Pemphigoid in Hindi

पेम्फिगॉइड मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है, जिनके बारे में नीचे बताया गया है -

  • बुलॉस पेम्फिगॉइड -
    यह आमतौर पर 70 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को ही प्रभावित करता है। इससे बांह, जांघ और पेट की त्वचा में खुजलीदार फफोले बन जाते हैं।
     
  • म्यूकस मेम्बरेन पेम्फिगॉइड -
    पेम्फिगॉइड का यह प्रकार मुख्य रूप से मुंह, आंख, नाक, गले और गुप्तांगों में मौजूद श्लेष्म झिल्ली को प्रभावित करता है।
     
  • पेम्फिगॉइड जेस्टेशनाइस -
    यह महिलाओं को होने वाला पेम्फिगॉइड है, जो आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान या बच्चा पैदा होने के ठीक बाद विकसित हो जाता है। यह शुरुआत में टांग, बांह या पेट पर एक उभरे हुए चकत्ते के रूप में विकसित होता है और धीरे-धीरे एक फफोला या छाला बन जाता है।

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पेम्फिगॉइड के लक्षण - Pemphigoid Symptoms in Hindi

पेम्फिगॉइड के सभी प्रकारों में अधिकतर लक्षण एक समान ही होते हैं, जैसे त्वचा पर चकत्ते, छाले और फफोले होना आदि। पेम्फिगॉइड से ग्रस्त लोगों में महीनों या सालों तक समय-समय पर लक्षण कम-ज्यादा होते रहते हैं।

पेम्फिगॉइड में मरीज की टांगों, बांह, पेट, जांघ, मुंह और शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले फफोलों व छालों में आमतौर पर जलन, खुजली और दर्द जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। फफोले चाहे त्वचा के किसी भी हिस्से में विकसित हुए हों उनके निम्न लक्षण हो सकते हैं -

  • फफोले से पहले लाल रंग का चकत्ता विकसित होना
  • फफोले का आकार बड़ा होना, जिसमें द्रव भरा हो
  • फफोले में मौजूद द्रव रंगहीन या रक्त जैसा हो सकता है
  • फफोले की ऊपरी पपड़ी मोटी होना, जो आसानी से न फटे
  • फफोले के आसपास की त्वचा हल्की लाल हो जाना
  • फूटे हुए फफोलों में गंभीर दर्द होना

इसके अलावा पेम्फिगॉइड में होने वाले लक्षण कई अलग-अलग स्थितियों के अनुसार भिन्न भी हो सकते हैं। निम्न स्थितियां हैं, जिनके अनुसार पेम्फिगॉइड में कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं -

  • पेम्फिगॉइड का प्रकार
  • व्यक्ति का स्वास्थ्य
  • उम्र
  • प्रभावित हिस्सा

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पेम्फिगॉइड के कारण - Pemphigoid Causes in Hindi

पेम्फिगॉइड एक ऑटोइम्यून रोग है, जिसका मतलब होता है कि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों को ही क्षति पहुंचा रही है। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि ऑटोइम्यून रोगों में आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों को बाहरी या हानिकारक पदार्थ समझ लेती है। पेम्फिगॉइड के मामलों में प्रतिरक्षा प्रणाली विशेष प्रकार के एंटीबॉडी बनाती है, जो त्वचा की ऊपरी सतह से ठीक निचले ऊतकों को क्षति पहुंचाने लग जाते हैं। इसी असाधारण प्रक्रिया के कारण त्वचा में दर्दनाक फफोले व छाले बनने लगते हैं।

हालांकि, इस बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं मिल पाई है कि प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर के स्वस्थ ऊतकों को क्षति क्यों पहुंचाती है। पेम्फिगॉइड के अधिकतर मामलों में उस कारण का पता नहीं चल पाता है, जिससे इस रोग की शुरुआत होती है। जबकि विशेषज्ञों का मानना है कि निम्न स्थितियां पेम्फिगॉइड का कारण बन सकती हैं -

पेम्फिगॉइड रोग होने का खतरा कब बढ़ता है?

जिन लोगों को पहले से ही कोई स्व-प्रतिरक्षित रोग है, उनमें एक स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में पेम्फिगॉइड होने का खतरा अधिक रहता है। साथ ही किसी अन्य उम्र के मुकाबले वृद्ध लोगों को भी यह रोग होने का खतरा अधिक रहता है। कुछ अध्ययनों के अनुसार यह भी पता चला है, कि पेम्फिगॉइड के मामले पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक देखे गए हैं।

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पेम्फिगॉइड का परीक्षण - Diagnosis of Pemphigoid in Hindi

पेम्फिगॉइड का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की त्वचा पर होने वाले फफोले व छालों की नजदीक से जांच करते हैं और साथ ही मरीज से उसके स्वास्थ्य संबंधी पिछली जानकारियों के बारे में पूछते हैं। इससे स्थिति का पता लग जाता है, फिर भी पुष्टि करने के लिए और इलाज को निर्धारित करते के लिए कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं।

स्थिति की पुष्टि करने के लिए बायोप्सी टेस्ट कर सकते हैं, जिसमें त्वचा के प्रभावित भाग से सैंपल के रूप में एक छोटा सा ऊतक ले लिया जाता है। लिए गए ऊतक को लैब में माइक्रोस्कोप परीक्षण के लिए भेज दिया जाता है। लैब में परीक्षण की मदद से उस ऊतक में पेम्फिगॉइड एंटीबॉडीज का पता लगाया जाता है। इसके अलावा कुछ मामलों में रक्त में भी इस एंटीबॉडी का पता लगाया जा सकता है, इसलिए मरीज का ब्लड टेस्ट भी किया जा सकता है।

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पेम्फिगॉइड का इलाज Pemphigoid Treatment in Hindi

पेम्फिगॉइड के लिए अभी तक ऐसा कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है, जिसकी मदद से इस रोग को जड़ से खत्म किया जा सके। हालांकि, ऐसे इलाज उपलब्ध हो चुके हैं, जिनकी मदद से पेम्फिगॉइड के लक्षणों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर इससे होने वाले त्वचा के फफोले व छालों के इलाज के रूप में आमतौर पर सबसे पहले कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, जो लगाने की क्रीम और खाने की दवा दोनों प्रकार से ली जा सकती हैं।

कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं प्रभावित त्वचा की सूजन को कम कर देती हैं, जिससे फफोले छोटे होने लगते हैं और उनमें हो रही खुजली व जलन भी कम होने लगती है। हालांकि, कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं सभी मरीजों को नहीं दी जा सकती हैं, क्योंकि कई बार लंबे समय तक लेने से इनसे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए ये दवाएं किसको, कितनी मात्रा में और कितने समय तक देनी हैं, आदि के बारे में डॉक्टर खुद ही तय करते हैं। जब लक्षण कम होने लगें, तो डॉक्टर उसके अनुसार खुराक को भी धीरे-धीरे कम कर देते हैं।

कुछ मामलों में पेम्फिगॉइड के इलाज के लिए डॉक्टर कुछ अन्य दवाएं भी दे सकते हैं, जिनमें इम्यूनो सप्रेसेंट दवाएं भी शामिल हैं। ये दवाएं मुख्य रूप से प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने का काम करती हैं, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ ऊतकों को क्षति नहीं पहुंचा पाती हैं। इन दवाओं को अकेले या फिर कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाओं के साथ दिया जा सकता है। इन दवाओं से भी स्वास्थ्य पर कुछ विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं। जैसा कि ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने का काम करती हैं, तो इससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर पड़ जाती है और परिणामस्वरूप संक्रमण व अन्य रोगों के होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

कुछ दुर्लभ मामलों में डॉक्टर संक्रमण व सूजन आदि को कम करने के लिए कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं भी दे सकते हैं, जिनमें टेट्रासाइक्लिन शामिल है।

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