पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज - Pelizaeus Merzbacher disease in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

December 02, 2020

December 02, 2020

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज
पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज क्या है? - What is Pelizaeus-Merzbacher disease in hindi?

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज (पीएमडी) एक ऐसा विकार है, जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। यह ल्यूकोडिस्ट्रॉफी का एक प्रकार है और इसमें समन्वय करने, मोटर कौशल और सीखने की कठिनाई जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं। रोग के प्रकार के आधार पर लक्षणों में भिन्नता हो सकती है।

उपचार के लिए एक बहु-विषयक टीम की आवश्यकता होती है। इस टीम के सदस्यों को मरीज के लक्षणों के अनुसार चुना जाता है।

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज का संकेत और लक्षण क्या हैं? - Pelizaeus-Merzbacher disease sign and symptoms in hindi

पीएमडी के संकेत एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं। पीएमडी के सामान्य संकेत प्रारंभिक अवस्था (आमतौर पर 2 महीने की उम्र से पहले) के दौरान शुरू होते हैं। शुरू में, प्रभावित शिशु अपने सिर और आंखों की गतिविधियों पर सामान्य रूप से नियंत्रण नहीं बना पाता है। इसके अलावा असामान्य रूप से विकास धीमा होना भी पीएमडी का प्रारंभिक संकेत हो सकता है। जैसे जैसे प्रभावित शिशु या बच्चे की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे कुछ अतिरिक्त संकेत भी दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं :

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पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज का कारण क्या है? - Pelizaeus-Merzbacher disease causes in hindi

पीएमडी PLP1 नामक जीन में उत्परिवर्तन या गड़बड़ी की वजह से होता है। बता दें, इस जीन में बदलाव होने से माइलिन सही से नहीं बन पाता है। माइलिन एक ऐसी लेयर या परत है जो तंत्रिका के चारों ओर मौजूद रहती है और इसको सुरक्षित रखती है, तंत्रिकाएं इसके बिना सामान्य रूप से कार्य नहीं कर सकती हैं।

यह स्थिति (पीएमडी) मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करती है।

PLP1 जीन करता क्या है? 

यह  जीन प्रोटियोलिपिड प्रोटीन 1 और प्रोटियोलिपिड प्रोटीन 1 के एक संशोधित संस्करण (आइसोफॉर्म) के निर्माण के लिए निर्देश देता है, जिसे डीएम 20 कहा जाता है। प्रोटियोलिपिड प्रोटीन 1 और डीएम 20 मुख्य रूप से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में पाए जाते हैं और माइलिन में पाए जाने वाले मुख्य प्रोटीन होते हैं। प्रोटियोलिपिड प्रोटीन 1 और डीएम 20 की कमी से डिसमाइलिनेशन हो सकता है, जो तंत्रिका तंत्र के कार्य को बाधित कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पीएमडी की समस्या हो सकती है।

(और पढ़ें - केंद्रिय तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी)

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज का निदान कैसे किया जाता है? - Pelizaeus-Merzbacher disease diagnosis in hindi

किसी भी आनुवंशिक या दुर्लभ बीमारी के लिए निदान करना अक्सर चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हेल्थकेयर पेशेवर आमतौर पर निदान करने के लिए किसी व्यक्ति की मेडिकल हिस्ट्री (चिकित्सक द्वारा पिछली बीमारियों व उनके इलाज से जुड़े प्रश्न पूछना), लक्षण, शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) और प्रयोगशाला परीक्षण (लैब टेस्ट) के परिणामों की जांच करते हैं।

चूंकि इस स्थिति में माइलिन की कमी हो जाती है, इसलिए माइलिन की कमी का पता लगाने के लिए नैदानिक मूल्यांकन किया जाता है। इसमें रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और एमआरआई की जाती है। निदान की पुष्टि करने के लिए PLP1 नामक जीन के लिए आणविक आनुवंशिक परीक्षण (मॉलिक्यूलर जेनेटिक टेस्टिंग) किया जाता है।

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज का इलाज कैसे किया जाता है? - Pelizaeus-Merzbacher disease treatment in hindi

पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज के लिए कोई इलाज नहीं है, इसके लिए कोई मानक उपचार भी नहीं है। इसके प्रबंधन में आमतौर पर बहु-विषयक टीम की जरूरत पड़ती है जिसमें न्यूरोलॉजी, फिजिकल मेडिसिन, ऑर्थोपेडिक्स, पल्मोनरी मेडिसिन और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के विशेषज्ञों को शामिल किया जाता है। पेलिजेअस-मेर्जबैकर डिजीज के प्रबंधन के लिए जो रणनीति तैयार की जाती है उसमें गंभीर रूप से डिस्फेजिया से ग्रसित लोगों के लिए गैस्ट्रोस्टोमी, दौरे के लिए एंटीपीलेप्टिक दवा दी जाती है। स्पास्टिसिटी (मांसपेशियां कठोर हो जाना) के लिए रूटीन मैनेजमेंट तय किया जाता है, जिसमें फिजिकल थेरेपीव्यायाम, दवाएं, ऑर्थोटिक्स और कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। स्कोलियोसिस वाले व्यक्तियों को व्हीलचेयर इस्तेमाल करने, फिजिकल थेरेपी और गंभीर मामलों में सर्जरी की मदद लेनी पड़ सकती है।

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