पार्स प्लैनिटिस क्या है?
पार्स प्लैनिटिस एक प्रकार का नेत्र रोग है, जिसमें आंख की मध्य परत पर सूजन आ जाती है। इस परत को यूविआ कहा जाता है। इसकी वजह से धुंधला दिखने, कम दिखने, काले धब्बे दिखने और लगातार आंखों की रोशनी कमजोर होने जैसी समस्या हो सकती है। जब यह स्थिति बदतर हो जाती है तो मोतियाबिंद, रेटिना डिटैचमेंट (रेटिना का सहयोगी उतक से अलग होना) या मैक्युलर एडिमा (रेटिना के अंदर द्रव बनना) जैसी दिक्कते विकसित होने लगती हैं। हालांकि इस समस्या से ज्यादातर युवा पुरुष प्रभावित होते हैं और इसका संबंध किसी अन्य बीमारी या लक्षणों से नहीं है। वैसे डॉक्टरों का मानना है कि इसका संबंध किसी ऑटोइम्यून स्थिति जैसे कि मल्टीपल स्केलेरोसिस (मस्तिष्क व रीढ़ की हड्डी की एक संभावित बीमारी) और सारकॉइडोसिस (फेफड़ों, लसिका ग्रंथी, आंखों व त्वचा पर सूजन वाली कोशिकाओं का एक साथ इकट्ठा होकर गांठ बन जाना) से हो सकता है।
पार्स प्लैनिटिस के लक्षण
इस बीमारी के शुरुआती चरण में लक्षण हल्के हो सकते हैं जबकि बीमारी के बढ़ने पर गंभीर रूप ले सकते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- धुंधला दिखना
- ज्यादा ध्यान से किसी चीज को देखने पर उसमे काले धब्बे दिखाई देना
- आंखों में सूजन
- दिखना बंद होना
- काला मोतियाबिंद (ग्लूकोमा)
- मोतियाबिंद (बीमारी के बढ़ने पर)
- रेटिना डिटैचमेंट (बीमारी के बढ़ने पर)
पार्स प्लैनिटिस का कारण
डॉक्टरों को पार्स प्लैनिटिस के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से स्वस्थ ऊतकों (आंखों के कुछ हिस्सों में) पर ही अटैक करने लगती है। इसके बाद इस बीमारी को लेकर यह तर्क दिया गया कि पार्स प्लैनिटिस कभी-कभी अन्य ऑटोइम्यून स्थितियों जैसे कि मल्टीपल स्केलेरोसिस और सारकॉस्मोसिस के कारण भी हो सकती है। हालांकि, यह स्थिति ज्यादातर उन लोगों में पाई जाती है, जिनके परिवार में किसी सदस्य को यह समस्या नहीं हो। शायद ही कभी ऐसा हुआ हो कि यह बीमारी परिवार के एक से अधिक सदस्यों को प्रभावित करे और यदि ऐसा है तो इसके पीछे क्या अनुवांशिक संबंध (जेनेटिक कनेक्शन) है, इस बात का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
पार्स प्लैनिटिस का निदान
आमतौर पर एक विशेष नेत्र जांच (आई टेस्ट) से पार्स प्लैनिटिस का निदान किया जाता है। टेस्ट के दौरान, नेत्र विशेषज्ञ आंखों की पुतली (स्नोबॉल कहा जाता है) में फंसी सफेद रक्त कोशिकाओं के समूह को देखते हैं। यदि ये समूह पार्स प्लाना (आंखों की तीन परतों में से बीच की परत) पर दिखाई देते हैं, तो इन्हें स्नोबैंक के रूप में जाना जाता है। स्नोबैंक को पार्स प्लैनिटिस का सबसे प्रमुख संकेत माना जाता है।
पार्स प्लैनिटिस का इलाज
इस बीमारी के इलाज में सबसे पहले इसके बाहरी कारण का पता लगाया जाता है। इसके बाद डॉक्टर, आई ड्रॉप या स्टेरॉयड इंजेक्शन के जरिए आंखो में लोकल कॉर्टिकोस्टेरॉइड डालकर इलाज की शुरुआत कर सकते हैं। डॉक्टर आपको एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजन को कम करने वाली दवा) दवाइयां खाने के लिए भी दे सकते हैं। इनमें ओवर-द-काउंटर (डॉक्टर की सलाह के बिना मेडिकल स्टोर से दवाई लेना), नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा (बुखार, दर्द और सूजन कम करने वाली) जैसे एस्पिरिन शामिल हैं।