पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया क्या है?
पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया को पीएनएच भी कहा जाता है। यह रोग रक्त कोशिकाओं को समय से पहले तोड़ देता है। यह विकार सभी प्रकार की रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करता है, जिनमें लाल रक्त कोशिकाएं (जिनमें ऑक्सीजन होता है) सफेद रक्त कोशिकाएं (जो संक्रमण से बचाते हैं) और प्लेटलेट्स (खून के थक्कों को नियंत्रित करती हैं) शामिल हैं।
पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया के क्या लक्षण हैं?
पेशाब का रंग बदलना पीएनएच का मुख्य लक्षण होता है। पेशाब के रंग में बदलाव आमतौर पर रात के समय या सुबह-सुबह देखा जा सकता है, जब पेशाब मूत्राशय में जमा हो जाता है। पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया से ग्रस्त कुछ लोगों के पेशाब का रंग नहीं बदलता। खून को लाल रंग देने वाला हीमोग्लोबिन की मात्रा यदि पेशाब में कम हो तो पेशाब को सीधे देखने से उसके रंग में किसी प्रकार का बदलाव दिखाई नहीं देता। (और पढ़ें - पेशाब में दर्द होने के कारण)
पीएनएच होने पर कुछ अन्य लक्षण भी विकसित होने लगते हैं जैसे पीठ में दर्द, सिरदर्द, सांस फूलना, पेट में दर्द और त्वचा पर आसानी से नील पड़ जाना।
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पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया क्यों होता है?
पीआईजीए (PIGA) जीन में किसी प्रकार का बदलाव होने से पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया होता है। पीएनएच एक आनुवांशिक विकार होता है, लेकिन यह माता पिता से प्राप्त नहीं होता है।
जीन में किसी प्रकार के बदलाव को "म्यूटेशन" कहा जाता है, जिसके कारण शरीर असाधारण लाल रक्त कोशिकाएं बनाने लग जाता है। इन रक्त कोशिकाओं में वह प्रोटीन नहीं होता, जो उन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली से बचाता है। इसलिए आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें तोड़ देती हैं।
पीएनएच का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर आपके लक्षणों की जांच करेंगे। पेशाब के रंग में बदलाव, बिना किसी कारण के खून के थक्के जमना और एनीमिया आदि ये पीएनएच के कुछ मुख्य संकेत होते हैं। रोग की पुष्टि करने के लिए आपको अन्य टेस्ट करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है।
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पैरोक्सीमल नोकट्यूनल हिमोग्लोबिन्यूरिया का इलाज कैसे किया जाता है?
पीएनएच के इलाज का मुख्य लक्ष्य लक्षणों को शांत करना और उससे होने वाली समस्याओं को रोकना होता है। रोग कितना गंभीर है और उससे कितने गंभीर लक्षण हो रहे हैं, उसके आधार पर ही इस रोग के का इलाज किया जाता है।
यदि आपको एनीमिया के थोड़े बहुत लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो फोलिक एसिड और आयरन के सप्लीमेंट्स के साथ आपका इलाज किया जाता है। इसके इलाज में मरीज को खून भी चढ़ाया जा सकता है।
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