अपसंवेदन क्या होता है?
अपसंवेदन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें त्वचा में सुईयां चुभने जैसी संवेदना महसूस होती है, अंग्रेजी भाषा में इसे “पिन्स एंड नीडल” के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा आमतौर पर अपनी बांह को नीचे दबा कर सोने या फिर अधिक देर तक टांगों को मोड़ के बैठने की स्थिति में होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिक देर तक एक ही अवस्था में बैठे रहने से तंत्रिका पर दबाव पड़ जाता है और वे ठीक से काम नहीं कर पाती हैं।
अपसंवेदन आमतौर पर एक दर्द रहित स्थिति है। हालांकि, कभी-कभी स्वास्थ्य संबंधी एक गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है।
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अपसंवेदन के लक्षण क्या हैं?
अपसंवेदन के लक्षण मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करते हैं कि इससे शरीर का कौन सा हिस्सा प्रभावित हो रहा है। वैसे तो इससे शरीर का कोई भी हिस्सा प्रभावित हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में निम्न हिस्से अधिक प्रभावित होते हैं -
- हाथ
- बांह
- टांगें
- पैर
अपसंवेदन के लक्षण दो प्रकार के होते हैं दीर्घकालिक व अस्थायी। क्रोनिक लक्षण लंबे समय तक रहने वाले होते हैं और अस्थायी थोड़े से समय के लिए ही होते हैं। पैरेस्थीसिया से प्रभावित हिस्से में निम्न महसूस होता है -
इसके अलावा दीर्घकालिक पैरेस्थीसिया के लक्षणों में कभी-कभी तीव्र चुभन भी महसूस हो सकती है। जिससे कभी-कभी प्रभावित अंग ठीक से काम करना बंद कर देता है। उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति की टांग या पैर में अपसंवेदन के लक्षण विकसित हुए हैं, तो उसे चलने में कठिनाई होने लगती है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको अपसंवेदन के लक्षण लगातार कई दिनों से महसूस हो रहे हैं या फिर बार-बार हो रहे हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए। वैसे तो पैरेस्थीसिया में दर्द नहीं होता है, लेकिन कई बार यह किसी गंभीर रोग का संकेत भी दे सकता है इसलिए डॉक्टर को दिखा लेना ही समझदारी होती है।
अपसंवेदन होने के क्या कारण हैं?
अपसंवेदन मुख्य रूप से तंत्रिका पर किसी प्रकार का दबाव पड़ने के कारण होता है, क्योंकि ऐसे में तंत्रिका बंद हो जाती है और सिग्नल नहीं भेज पाती है। जब यह दबाव कम हो जाता है, तो लक्षण भी धीरे-धीरे गायब हो जाते हैं।
हालांकि, कुछ मामलों में ये लक्षण दबाव हटने के बाद भी नहीं जाते हैं और अगर जाते हैं तो बार-बार होते रहते हैं। यह किसी अंदरूनी रोग या अन्य स्थिति का संकेत दे सकता है -
- स्ट्रोक या मिनी स्ट्रोक - इसमें रक्त वाहिकाओं में रुकावट होने के कारण मस्तिष्क में रक्त का बहाव रुक जाता है और प्रभावित हिस्से में क्षति होने लगती है।
- रेडिक्युलोपैथी - इससे तंत्रिका की जड़ या किसी अन्य हिस्से पर दबाव पड़ जाता है।
- न्यूरोपैथी - इस स्थिति में किसी कारण से तंत्रिका क्षतिग्रस्त हो जाती है।
- साइटिका - यह ऐसी स्थिति है, जिसमें साइटिका तंत्रिकाएं हड्डियों के बीच से निकलते हए दब जाती हैं।
इसके अलावा कंधे, गर्दन या बांह आदि की तंत्रिकाएं भी किसी चोट लगने या फिर अधिक उपयोग के कारण दबाव में आ जाती हैं, जिससे भी अपसंवेदन की समस्याएं हो सकती हैं।
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अपसंवेदन का परीक्षण कैसे किया जाता है?
पैरेस्थीसिया का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज से उसके लक्षणों के बारे में पूछते है और साथ ही उससे यह भी पूछा जाता है कि हाल ही में कोई चोट या नसों संबंधी कोई रोग तो नहीं हुआ है। मरीज के द्वारा महसूस किए जाने वाले लक्षणों के अनुसार डॉक्टर कुछ अन्य इमेजिंग टेस्ट भी कर सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -
अपसंवेदन का इलाज कैसे किया जाता है?
अपसंवेदन का इलाज मुख्य रूप से उसके अंदरूनी कारणों के अनुसार किया जाता है। इलाज के दौरान अपसंवेदन का कारण बनने वाली स्थिति को ठीक करके अपसंवेदन के लक्षणों को दूर किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि कोई कार्य बार-बार करने के कारण आपको अपसंवेदन हुआ है, तो कुछ प्रकार की शारीरिक थेरेपी और जीवनशैली में कुछ सुधार करके इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है। यदि किसी अंदरूनी रोग या स्वास्थ्य संबंधी किसी अन्य समस्या के कारण आपको अपसंवेदन हुआ है, तो रोग के अनुसार ही दवाएं दी जाती हैं।
इसके अलावा डॉक्टर लक्षणों के अनुसार भी कुछ दवाएं दे सकते हैं, जिनमें आमतौर पर निम्न दवाएं शामिल हैं -
- दर्दनिवारक दवाएं
- सूजन रोकने वाली दवाएं
- जलन व खुजली रोकने वाली दवाएं
हालांकि, तंत्रिकाओं में होने वाली कुछ क्षति स्थायी होती हैं, जिन्हें इलाज की मदद से फिर से ठीक करना संभव नहीं होता है।
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