शरीर में महसूस होने वाली असामान्य संवेदनाएं जैसे अंगों का सुन्न हो जाना, झुनझुनी अथवा जलन महसूस होने की स्थिति को पैरेस्थेसिया विकार के नाम से जाना जाता है। हाथों या पैरों की उंगलियों या हाथ और पैरों के अन्य हिस्से में इस तरह की संवदेना महसूस हो सकती है। समस्या के आधार पर यह संवेदनाएं अस्थाई हो सकती हैं और अपने आप ही गायब हो जाती हैं। जैसे यदि पैरेस्थेसिया की स्थिति हाइपरटेंशन, एंग्जाइटी अटैक या फिर सोते समय सिर के नीचे हाथों को रखने के कारण हो रही है तो आम तौर पर यह संवेदनाएं कुछ समय के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती हैं।
आमतौर पर लोगों में अस्थाई रूप से संवदेनाएं हो सकती हैं, हालांकि कुछ लोगों में यह क्रोनिक यानी लंबे समय तक बनी रहनी वाली स्थिति भी हो सकती है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले विकारों जैसे कि स्ट्रोक और ट्रांसिंट इस्केमिक अटैक (मिनी-स्ट्रोक), मल्टीपल स्केलेरोसिस, ट्रांसवर्स मायलिटिस और इंसेफेलाइटिस जैसी स्थितियों के कारण भी कुछ लोगों में पैरेस्थेसिया विकार होने का खतरा रहता है।
सामान्य रूप से हर किसी को कभी न कभी पैरेस्थेसिया का अनुभव होता है। अनजाने में तंत्रिका पर दबाव पड़ने के कारण ऐसी दिक्कत आती है। हालांकि, यदि अंगों में संवेदनाएं लंबे समय तक बनी रहें तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। यदि पैरेस्थेसिया की समस्या किसी अंतर्निहित कारणों अथवा तंत्रिकाओं पर पड़ रहे अनावश्यक दबाव के कारण हो रही हो तो इसमें इलाज की आवश्यकता होती है।
इस लेख में हम पैरेस्थेसिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।