पैरेस्थेसिया - Paresthesia in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 16, 2020

January 21, 2021

पैरेस्थेसिया
पैरेस्थेसिया

शरीर में महसूस होने वाली असामान्य संवेदनाएं जैसे अंगों का सुन्न हो जाना, झुनझुनी अथवा जलन महसूस होने की स्थिति को पैरेस्थेसिया विकार के नाम से जाना जाता है। हाथों या पैरों की उंगलियों या हाथ और पैरों के अन्य हिस्से में इस तरह की संवदेना महसूस हो सकती है। समस्या के आधार पर यह संवेदनाएं अस्थाई हो सकती हैं और अपने आप ही गायब हो जाती हैं। जैसे यदि पैरेस्थेसिया की स्थिति हाइपरटेंशन, एंग्जाइटी अटैक या फिर सोते समय सिर के नीचे हाथों को रखने के कारण हो रही है तो आम तौर पर यह संवेदनाएं कुछ समय के बाद अपने आप ही ठीक हो जाती हैं।

आमतौर पर लोगों में अस्थाई रूप से संवदेनाएं हो सकती हैं, हालांकि कुछ लोगों में यह क्रोनिक यानी लंबे समय तक बनी रहनी वाली स्थिति भी हो सकती है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करने वाले विकारों जैसे कि स्ट्रोक और ट्रांसिंट इस्केमिक अटैक (मिनी-स्ट्रोक), मल्टीपल स्केलेरोसिस, ट्रांसवर्स मायलिटिस और इंसेफेलाइटिस जैसी स्थितियों के कारण भी कुछ लोगों में पैरेस्थेसिया विकार होने का खतरा रहता है।

सामान्य रूप से हर किसी को कभी न कभी पैरेस्थेसिया का अनुभव होता है। अनजाने में तंत्रिका पर दबाव पड़ने के कारण ऐसी दिक्कत आती है। हालांकि, यदि अंगों में संवेदनाएं लंबे समय तक बनी रहें तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए। यदि पैरेस्थेसिया की समस्या किसी अंतर्निहित कारणों अथवा तंत्रिकाओं पर पड़ रहे अनावश्यक दबाव के कारण हो रही हो तो इसमें इलाज की आवश्यकता होती है।

इस लेख में हम पैरेस्थेसिया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

पैरेस्थेसिया के लक्षण - Paresthesia Symptoms in Hindi

आमतौर पर पैरेस्थेसिया को ही शरीर में कई सारी समस्याओं का कारण माना जाता है। पैरेस्थेसिया के कारण होने वाली संवदेनाओं का असर अस्थायी अथवा क्रोनिक यानी कि दीर्घकालिक हो सकता है। यदि पैरेस्थेसिया किसी विशेष स्थिति के कारण होती है, तो व्यक्ति में सामान्य से कई अतिरिक्त लक्षण महसूस हो सकते हैं। लक्षणों से पहले यह जानना आवश्यक है कि आखिर पैरेस्थेसिया का प्रभाव किन अंगों पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है।

  • हाथ
  • बांह
  • पैर
  • तलवे
  • हाथ या पैर की उंगलियां

पैरेस्थेसिया के कारण उत्पन्न होने वाली संवेदनाएं अस्थायी या क्रोनिक हो सकती हैं। इस दौरान निम्न लक्षणों को देखा जा सकता है।

  • अंगों का सुन्न हो जाना
  • अंगों में कमजोरी महसूस होना
  • झुनझुनी महसूस होना
  • बहुत अधिक गर्म महसूस होना
  • अंगों का ठंडा हो जाना
  • अंगों कठोर हो जाना

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पैरेस्थेसिया का कारण - Paresthesia Causes in Hindi

नसों के दबने की समस्या आमतौर पर तब होती है जब आसपास के ऊतक उसपर बहुत अधिक दबाव डाल देते हैं। इस कारण से पैरेस्थेसिया में होने वाली संवेदनाओं की अनुभूति हो सकती है। नसों के इस तरह से दबने की समस्या शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है जैसे कि चेहरा, गर्दन, कलाई या पीठ आदि।

इसके अलावा रीढ़ के निचले हिस्से में हर्नियेटेड डिस्क के कारण भी पीठ के प्रभावित हिस्से, पैर या तलवे में दर्द या सनसनाहट की दिक्क्त हो सकती है। ऐसे ही कार्पल टनल सिंड्रोम भी कलाई में नसों के दबने की स्थिति है जो उंगलियों में सुन्नता और झुनझुनी का कारण बन सकती है।

उपरोक्त कारणों के अलावा क्रोनिक पैरेस्थेसिया के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं। इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :

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पैरेस्थेसिया के जोखिम कारक - Complications of Paresthesia in Hindi

  • लिंग आधारित : तंत्रिका नलिकाओं के संकरी होने के कारण महिलाओं में कार्पल टनल सिंड्रोम होने की आशंका अधिक होती है।
  • मोटापा : अतिरिक्त वजन होने पर भी नसों पर दबाव अधिक पड़ता है।
  • गर्भावस्था : गर्भावस्था के कारण वजन और पानी बढ़ने के कारण भी नसों में सूजन और दबाव अधिक हो सकता है।
  • थायराइड रोग : इस स्थिति में भी कार्पल टनल सिंड्रोम का जोखिम बढ़ जाता है।
  • मधुमेह : मधुमेह के कारण तंत्रिकाओं और ऊतकों को नुकसान हो सकता है।
  • रूमेटाइड अर्थराइटिस : यह सूजन का कारण बन सकता है, जिससे जोड़ों और नसों में संकुचन हो सकता है।

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पैरेस्थेसिया का निदान - Diagnosis of Paresthesia in Hindi

पैरेस्थेसिया का निदान करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानने की कोशिश करते हैं। इसके अलावा चूंकि इस बीमारी में लोगों में अलग-अलग लक्षण देखने को मिलते हैं, ऐसे में डॉक्टर उन लक्षणों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, जिसका उसे अनुभव हो रहा होता है।

इसके अलावा इस प्रकार की संवेदनाओं के वा​स्तविक कारणों को जानने के लिए डॉक्टर आवश्यकतानुसार कुछ परीक्षणों को कराने की भी सलाह दे सकते हैं, जिसमें से कुछ निम्नलिखित हैं।

  • नर्व्स कंडेक्टिंग टेस्ट : इस परीक्षण के माध्यम से तंत्रिकाओं के आवेग का पता लगाया जाता है।
  • इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) : तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की बातचीत की विद्युत गतिविधि को देखने के लिए।
  • मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) : शरीर के विभिन्न हिस्सों के बारे में विस्तृत अध्ययन प्राप्त करने के लिए एमआरआई किया जाता है।
  • अल्ट्रासाउंड : शरीर के अंगों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए अल्ट्रासाउंड कराया जाता है। शरीर के छोटे से हिस्से में तंत्रिताओं के संकुचन या दबाव का पता लगाने के लिए यह परीक्षण काफी लाभकारी माना जाता है।
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पैरेस्थेसिया का इलाज - Treatment of Paresthesia in Hindi

पैरेस्थेसिया के कारणों के आधार पर उसका इलाज किया जाता है। यदि किसी अंतर्निहित कारणों के चलते पैरेस्थेसिया की स्थिति उत्पन्न होती है तो इलाज के निम्न उपायों को प्रयोग में लाया जाता है।

फिजिकल थेरपी: प्रभावित तंत्रिकाओं के आसपास की मांसपेशियों में ताकत बनाने के लिए फिजिकल थेरपी को प्रयोग में लाया जाता है। मांसपेशियों के मजबूत होने की स्थिति में ऊतक में होने वाले संकुचन और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। मांसपेशियों के फिट होने से अंगों के लचीलापन और गतिशीलता में भी सुधार होता है।

दवाएं: मांसपेशियों में दर्द और सूजन को कम करने के लिए कुछ दवाइयों और स्टेरॉयड इंजेक्शन को प्रयोग में लाया जा सकता है। फाइब्रोमायल्जिया के कारण लंबे समय तक रहने वाली पेरेस्टेसिस के लिए डॉक्टर दर्द को कम करने वाली कुछ अन्य दवाएं भी दे सकते हैं।

सर्जरी: यदि उपरोक्त उपायों से लक्षणों में राहत नहीं मिलती है तो नसों के दबाव को कम करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। सर्जरी करके आवश्यकतानुसार कार्पल लिगामेंट, हड्डियों या पीठ में हर्नियेटेड डिस्क के एक हिस्से को निकाला जा सकता है। सर्जरी किस प्रकार की करनी है यह व्यक्ति में विशिष्ट लक्षणों के आधार पर निर्भर करती है।

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पैरेस्थेसिया की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Paresthesia in Hindi

पैरेस्थेसिया के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।