पैकियानिचिया कंजेनिटा और प्रकार

पैकियानिचिया कंजेनिटा (पीसी) एक दुर्लभ और वंशानुगत स्थिति है, जो मुख्य रूप से नाखूनों और त्वचा को प्रभावित करती है। इसके कुल चार प्रकार हैं, जिनमें से दो बहुत महत्वपूर्ण हैं - पैकियानिचिया कंजेनिटा टाइप-1 (Jadassohn–Lewandowsky type) और पैकियानिचिया कंजेनिटा टाइप-2 (Jackson–Lawler type)।

इस स्थिति के संकेत और लक्षण आमतौर पर पैदा होने के कुछ वर्षों में ही साफ दिखाई देने लगते हैं। इसमें हाथ और पैरों के नाखून मोटे और असामान्य आकार के हो जाते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त लोगों में तलवों और पैरों पर फफोले पड़ सकते हैं, इस स्थिति को पामोप्लांटार केरेटोडर्मा कहा जाता है। हालांकि, कभी-कभी यह फफोले हाथ और हथेलियों पर भी दिखाई दे सकते हैं। आमतौर पर यह फफोले तब बनना शुरू होते हैं, जब बच्चा पहली बार चलना शुरू करता है और इसकी वजह से उन्हें चलने में तेज दर्द हो सकता है।

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पैकियानिचिया कंजेनिटा के लक्षण - Pachyonychia congenita symptoms in Hindi

ऊपर बताए गए संकेतों के अलावा, पैकियानिचिया कंजेनिटा के लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :

  • जीभ और मुंह के अंदर सफेद रंग के मोटे धब्बे जैसे निशान
  • कोहनी, घुटनों और कमर के चारों ओर उभार दिखाई देना
  • बगल, कमर, पीठ या खोपड़ी में सिस्ट होना
  • हथेलियों और तलवों पर बहुत ज्यादा पसीना आना। (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना कैसे रोकें)

पैकियानिचिया कंजेनिटा से ग्रस्त कुछ व्यक्तियों में स्टीटोसिस्टोमा नामक सिस्ट भी विकसित हो सकती है। बता दें, स्टीटोसिस्टोमा त्वचा से जुड़ा एक विकार है, जिसमें गैर-कैंसरकारी (हल्के) सिस्ट बनने लगते हैं। स्टीटोसिस्टोमा में होने वाली सिस्ट में सीबम नामक एक तैलीय पदार्थ होता है, जो सामान्य रूप से त्वचा और बालों को चिकनाई देता है।

पैकियानिचिया कंजेनिटा से ग्रस्त कुछ शिशुओं में प्रीनेटल या नेटल टीथ होते हैं, जिसका मतलब है कि बच्चे के जन्म के समय से ही एक या दो दांत हो सकते हैं, जबकि आमतौर पर छह माह या इससे बाद में दूध के दांत निकलना शुरू होते हैं। कुछ मामलों में, पैकियानिचिया कंजेनिटा वॉयस बॉक्स को भी नुकसान पहुंचा सकता है, जिसकी वजह से गला बैठना या सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।

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पैकियानिचिया कंजेनिटा के कारण - Pachyonychia congenita causes in Hindi

पैकियानिचिया कंजेनिटा का कारण जीन में गड़बड़ी होना है। कुल ऐसे पांच जीन KRT6A, KRT6B, KRT6C, KRT16 और KRT17 की पहचान की गई है, जिनमें से किसी एक में गड़बड़ी होने की वजह से पैकियानिचिया कंजेनिटा की समस्या हो सकती है। ये जीन केराटिन नामक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देश देते हैं, यह एक महत्वपूर्ण प्रोटीन है, जो कि त्वचा, बाल और नाखूनों में पाया जाता है।

इनमें से किसी भी जीन में गड़बड़ी होने की वजह से केराटिन की संरचना बदल सकती है, जिससे शरीर के विभिन्न हिस्सों में मजबूती और लचीलेपन से जुड़ी समस्या आ सकती है। पैकियानिचिया कंजेनिटा ऑटोसोमल डोमिनेंट पैटर्न के जरिये बच्चों में पारित होती है, जिसका मतलब है कि यह आनुवांशिक स्थिति तब हो सकती है, जब किसी बच्चे को उसके माता या पिता में से किसी एक से उत्परिवर्तित या जीन की खराब प्रति मिली हो।

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पैकियानिचिया कंजेनिटा का निदान - Pachyonychia congenita diagnosis in Hindi

पैकियानिचिया कंजेनिटा का निदान अक्सर लक्षण के आधार पर किया जाता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि पैकियानिचिया कंजेनिटा से ग्रस्त करीब 97 प्रतिशत लोगों में अनुवांशिक रूप से पैर के नाखून मोटे पाए गए, प्लांटर केरेटोडर्मा (तलवों पर त्वचा का मोटा होना) की समस्या पाई गई और 10 साल की उम्र के बाद से तलवों में दर्द शुरू हो गया। यदि किसी में इन लक्षणों के अलावा पैकियानिचिया कंजेनिटा से जुड़े पांच जीनों में से किसी एक में गड़बड़ी पाई जाती है, तो ऐसे में पैकियानिचिया कंजेनिटा के निदान की पुष्टि हो जाती है।

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पैकियानिचिया कंजेनिटा का इलाज - Pachyonychia congenita treatment in Hindi

पैकियानिचिया कंजेनिटा के लिए कोई विशिष्ट उपचार या इलाज नहीं है। मौजूदा समय में पैकियानिचिया कंजेनिटा के इलाज में दर्द से राहत देना व अन्य लक्षणों को ठीक करना शामिल है। इसमें मोटे नाखूनों और त्वचा को हटाया जाता है साथ ही जरूरत पड़ने पर संक्रमण का इलाज किया जाता है। कुछ लोगों को आगे बढ़ने या मूवमेंट करने के लिए व्हीलचेयर या बैसाखी की जरूरत हो सकती है।

पैकियानिचिया कंजेनिटा के उपचार में शामिल हो सकते हैं :

  • मैकेनिकल डिब्रिडेमेंट - त्वचा की मोटी परतों को नियमित रूप से ट्रिमिंग करना, जिससे दर्द में कमी आती है। (और पढ़ें - स्क्लेरोडर्मा का इलाज)
  • संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए नाखूनों की लंबाई की छंटनी करना। इस मामले में नाखूनों को पहले से भिगोने से यह नरम पड़ जाते हैं और फिर आसानी से इन्हें काटा जा सकता है।
  • मलहम का इस्तेमाल करना
  • केराटोलिटिक्स - ऐसा यौगिक जो त्वचा की बाहरी परतों को निकालने में मदद करता है।
  • संक्रमण को कम करने के लिए ब्लीच लगाना
  • दर्द से राहत के लिए पेन किलर का इस्तेमाल करना

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