ऑस्गुड श्लैटर डिजीज क्या है?
ऑस्गुड श्लैटर डिजीज बढ़ते बच्चों व युवा किशोरों के घुटने में दर्द का एक आम कारण है। इसमें घुटने की कैप के ठीक नीचे सूजन आ जाती है। यह वह जगह है जहां से घुटने की कैप शिनबोन (घुटने व पैर के पंजो के बीच की हड्डी) से जुड़ती है। यह बीमारी अक्सर तब होती है जब बच्चों में विकास हो रहा होता है।
ऑस्गुड श्लैटर डिजीज ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जो स्पोर्ट्स (फुटबॉल, बास्केटबॉल, स्केटिंग) में भाग लेते हैं। इन खेलों में दौड़ना, कूदना और दौड़ते वक्त अचानक से दिशा बदलना शामिल है।
यह समस्या पहले लड़कों में सामान्य थी, लेकिन अब लड़कों के मुकाबले लड़कियां खेल से ज्यादा जुड़ रही हैं, इसलिए यह खतरा उनमें भी ज्यादा है। वैसे आमतौर पर यह समस्या लड़कों में 12 से 14 साल और लड़कियों में 10 से 13 साल के बीच होती है। इसका कारण है कि लड़कियां लड़कों की तुलना में पहले परिपक्व हो जाती हैं। बच्चों की हड्डियों का विकास पूरा होने के बाद इस बीमारी के होने की संभावना खत्म हो जाती है।
ऑस्गुड श्लैटर डिजीज के लक्षण
घुटने में दर्द और घुटने में सूजन ऑस्गुड श्लैटर डिजीज का मुख्य संकेत माना जाता है। यह दर्द आमतौर पर कुछ गतिविधियों के दौरान बिगड़ जाता है जैसे दौड़ना, घुटने के बल कोई कार्य करना या कूदना।
यह स्थिति आमतौर पर सिर्फ एक घुटने को प्रभावित करती है, लेकिन यह दोनों घुटनों को भी प्रभावित कर सकती है। इसकी वजह से कई हफ्तों से लेकर महीनों तक असुविधा महसूस हो सकती है और बच्चे के विकास होने की उम्र तक बार-बार प्रभावित कर सकती है। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
- सूजन
- टेंडरनेस (प्रभावित क्षेत्र को छूने पर हल्का दर्द होना)
- घुटने में और पिंडली के ऊपरी हिस्से पर गर्म महसूस होना
- दर्द, जो व्यायाम या अन्य कोई गतिविधि करने से बदतर हो सकता है जैसे कि दौड़ना
- शारीरिक गतिविधि के बाद चलने में दिक्कत होना
इन लक्षणों की गंभीरता अक्सर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है। कुछ लोगों में गतिविधियों के दौरान केवल हल्का दर्द होता है, जबकि कुछ लोगों को निरंतर तेज दर्द महसूस होता है जिसके कारण उन्हें शारीरिक गतिविधि करने में मुश्किल होती है।
ऑस्गुड श्लैटर डिजीज का इलाज और बचाव
जैसे ही बच्चे के विकास की उम्र खत्म होती है, वैसे ही इस बीमारी का खतरा भी अपने आप खत्म हो जाता है। विकास के दौरान इस बीमारी के उपचार में लक्षणों (जैसे कि घुटने में दर्द और सूजन) को नियंत्रित किया जाता है। उपचार में आमतौर पर शामिल हैं:
- प्रभावित हिस्से में दिन में दो से चार बार बर्फ की सिकाई करना
- दर्द के लिए इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन जैसी ओवर-द-काउंटर दवाई (डॉक्टर की सलाह के बिना) लेना
- घुटने को आराम देना या शारीरिक गतिविधि कम करना
- घुटने को किसी पट्टी से लपेट कर रखना या नी ब्रेस (घुटने की चोट बदतर होने या चोट लगने से बचने के लिए सपोर्टर) पहनना
- मांसपेशियों में खिंचाव न आने देना
- फिजिकल थेरेपी
स्थिति में सुधार आने पर बच्चे कम जोखिम वाली गतिविधियों (तैराकी या बाइक चलाना) में शामिल हो सकते हैं, जबकि गंभीर स्थिति में बच्चों को एक महीने या इससे ज्यादा समय के लिए स्पोर्ट्स से दूर रहने की जरूरत होती है, ताकि उन्हें सही होने के लिए पर्याप्त समय मिल पाए। ऐसे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है कि कौन-सी गतिविधियों में शामिल होना उचित रहेगा।