नीमन पिक डिजीज टाइप सी क्या है?
नीमन पिक डिजीज टाइप सी को जानने से पहले नीमन पिक डिजीज को समझना जरूरी है। नीमन पिक डिजीज जेनेटिक कारणों से होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है। यह कोशिकाओं के अंदर वसा (कोलेस्ट्रॉल और लिपिड) को मेटाबोलाइज (पचाने) करने की शरीर की क्षमता को प्रभावित करती है।
नीमन पिक रोग मस्तिष्क, नसों, लिवर, प्लीहा, अस्थि मज्जा और गंभीर मामलों में फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, नीमन पिक डिजीज टाइप सी एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी है। इसमें जेनेटिक गड़बड़ियों की वजह से कोलेस्ट्रॉल और अन्य फैट लिवर, प्लीहा या फेफड़ों में जमा हो जाते हैं और अंततः इसमें मस्तिष्क प्रभावित होता है।
नीमन पिक डिजीज के लक्षण व प्रकार
नीमन पिक डिजीज के तीन मुख्य प्रकार हैं ए, बी और सी। इस स्थिति से ग्रस्त लोग नसों, मस्तिष्क और अन्य अंगों की नसों की लगातार कार्यक्षमता घटने जैसे लक्षण महसूस करते हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन मुख्य रूप से यह बीमारी बच्चों में देखी जाती है।
इसके संकेत व लक्षण नीमन पिक डिजीज के प्रकार और स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। टाइप ए से ग्रस्त शिशु में इसके लक्षण जीवन के शुरुआती कुछ महीनों में दिखने शुरू हो जाते हैं। हो सकता है कि टाइप बी में सालों तक कोई संकेत नहीं दिखें जबकि टाइप सी में हो सकता है कि वयस्क होने तक कोई भी लक्षण अनुभव न हों।
नीमन पिक डिजीज टाइप सी के सामान्य लक्षण
इसके संकेत और लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:
- हाथ-पैरों को हिलाने में कठिनाई
- लिवर या प्लीहा का बढ़ना
- पीलिया या जन्म के बाद त्वचा का पीला पड़ना
- डिमेंशिया
- दौरे
- बोलने और निगलने में कठिनाई
- मांसपेशियों के कार्य में कमी आना
- कंपन्न
- आंखों को घुमाने में कठिनाई, विशेष रूप से ऊपर और नीचे की दिशा में
- संतुलन बनाने में दिक्कत
- चलने में दिक्कत
- देखने या सुनने की क्षमता प्रभावित होना
- ब्रेन डैमेज
नीमन पिक डिजीज टाइप सी का कारण
नीमन पिक डिजीज टाइप सी (एनपी-सी) लिवर, मस्तिष्क और प्लीहा में कोलेस्ट्रॉल और अन्य वसायुक्त पदार्थों के जमने के कारण होता है।
नीमन पिक डिजीज टाइप सी का निदान
स्किन का छोटा-सा सैंपल लेकर ये टेस्ट किया जाता है कि कोशिकाएं कोलेस्ट्रॉल (वसा) को कैसे ले जाती हैं और कैसे स्टोर करती हैं।
नीमन पिक डिजीज टाइप सी का इलाज
नीमन पिक बीमारी के लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है। इसके टाइप ए या बी के लिए कोई प्रभावी उपचार उपलब्ध नहीं है।
इस बीमारी के हल्के व मध्यम मामलों में डॉक्टर माइग्लसैट (जेवेस्का) नामक दवा लिख सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टाइप सी से ग्रस्त लोगों पर एक अध्ययन किया गया, जिसमें 92 लोगों ने हिस्सा लिया। इन लोगों ने औसतन दो साल तक नियमित रूप से माइग्लसैट का सेवन किया, जिसके बाद इन लोगों में न्यूरोलॉजिकल (नसों से संबंधित) लक्षणों में सुधार देखा गया।
इसके अतिरिक्त मरीज को शारीरिक रूप से सक्रिय रखने में फिजिकल थेरेपी की मदद ले सकते हैं। नीमन पिक बीमारी से ग्रस्त लोगों को नियमित रूप से डॉक्टरों के पास चेकअप करवाने जाते रहना चाहिए, क्योंकि यह रोग लगातार बढ़ता रहता है और इसके लक्षण गंभीर हो जाते हैं।