हाथों और पैरों के नाखूनों की संरचना में बदलाव को नेल क्लबिंग कहा जाता है। इस स्थिति में नाखूनों की बनावट ऊपर या नीचे की ओर मुड़े हुए चम्मच की तरह हो जाती है। कुछ मामलों में नाखूनों के रंग भी बदलकर लाल और स्पंज जैसे हो जाते हैं। नेल क्लबिंग की समस्या अकेले या फिर अन्य लक्षणों जैसे सांस की तकलीफ या खांसी के साथ हो सकती है। इसके अलावा कई अन्य स्थितियों जैसे फेफड़ों के रोग, हृदय रोग और पाचन तंत्र की स्थितियोंं के कारण नेल क्लबिंग की स्थिति देखने को मिल सकती है। आंकड़ोंं के मुताबिक नेल क्लबिंग के 90 फीसदी मामले फेफड़े के कैंसर से संबंधित होते हैं। मेडिकल टर्म में नेल क्लबिंग को 'हाइपरट्रॉफिक ऑस्टियोआर्थ्रोपैथी' कहा जाता है।
बच्चों में नेल क्लबिंग कई कारणों जैसे सियानोटिक कॉग्नेटल हार्ट डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस और क्रोनिक इंफ्लामेटरी बाउल सिंड्रोम से हो सकता है। सामान्य रूप से उंगलियों की बनावट का अवलोकन करते हुए डॉक्टर इस स्थिति का निदान करते हैं। इससे जुड़ी अन्य समस्याओं की पुष्टि के लिए डॉक्टर चेस्ट कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन के साथ आवश्यकतानुसार कुछ अन्य परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं। आइए इस स्थिति के बारे में विस्तार से जानते हैं।
इस लेख में हम नेल क्लबिंग के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।