मायोटोनिक डिस्ट्रोफी (मांसपेशियां खराब और कमजोर होना) - Myotonic Dystrophy in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

January 15, 2020

March 06, 2020

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी
मायोटोनिक डिस्ट्रोफी

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी क्या है?

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी अनुवांशिक विकारों का एक समूह है जिसे 'मस्कुलर डिस्ट्रोफी' कहा जाता है। यह मस्कुलर डिस्ट्रोफी का सबसे सामान्य रूप है जिसकी शुरुआत वयस्क उम्र में होती है।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी में मांसपेशियां धीरे-धीरे खराब और कमजोर होने लगती हैं। इस विकार से ग्रस्त लोगों को लंबे समय तक मांसपेशियों में संकुचन की समस्या रहती है और कुछ मांसपेशियां काम करने के बाद रिलैक्स नहीं हो पाती हैं।

उदाहरण के लिए, इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति को दरवाजे के हैंडल को पकड़ने के बाद उसे छोड़ने में कठिनाई हो सकती है। साथ ही, उन्हें बोलने में दिक्कत या मुंह खोलने में कठिनाई हो सकती है।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी दो प्रकार का होता है जैसे कि टाइप 1 और टाइप 2। यदि कोई बच्चा जन्म से ही इस बीमारी के टाइप 1 से प्रभावित होता है तो इस स्थिति को 'कंजेनाइटल मायोटोनिक डिस्ट्रोफी' कहते हैं।

कंजेनाइटल मायोटोनिक डिस्ट्रोफी के लक्षण जन्म से ही मौजूद होते हैं और इनमें सभी मांसपेशियों में कमजोरी, सांस लेने में दिक्कत, क्लब फुट, विकास में देरी और बौद्धिक क्षमता में कमी शामिल हैं।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी टाइप 1 आमतौर पर टांगों, हाथों, गर्दन और चेहरे को प्रभावित करता है, जबकि मायोटोनिक डिस्ट्रोफी टाइप 2 में गर्दन, कंधे, कोहनियां और कूल्हे प्रभावित होते हैं।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी के लक्षण

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी के अन्य संकेतों और लक्षणों में मोतियाबिंद और दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले विद्युत संकेतों में असामान्यताएं आना शामिल है। इससे प्रभावित पुरुषों में, हार्मोन में बदलाव होने के कारण समय से पहले गंजापन हो सकता है।

अक्सर यह विकार 20 या 30 साल की उम्र के दौरान विकसित होता है। हालांकि, यह विकार किसी भी उम्र में हो सकता है।

इस बीमारी की गंभीरता हर व्यक्ति में भिन्न हो सकती है। यहां तक कि एक ही परिवार के सदस्यों में भी इस बीमारी के लक्षण अलग हो सकते हैं। मायोटोनिक डिस्ट्रोफी टाइप 1 से ग्रस्त लोगों में टाइप 2 के मरीजों की तुलना में लक्षण अधिक गंभीर होते हैं।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी के कारण

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी टाइप 1 डीएमपीके व टाइप 2 सीएनबीपी नामक जीन में गड़बड़ी के कारण होता है। ये दोनों जीन क्या काम करते हैं, ये स्पष्ट नहीं हो पाया है।

डीएमपीके जीन से बनने वाला प्रोटीन कोशिकाओं के संचार में अहम भूमिका निभा सकता है। यह हृदय, मस्तिष्क और स्केलेटल मसल्स (मूवमेंट में इस्तेमाल होने वाली) की कोशिकाओं के सही से काम करने में महत्वपूर्ण है।

सीएनबीपी जीन से बनने वाला प्रोटीन मुख्य रूप से हृदय और स्केलेटल मसल्स में पाया जाता है। यहां पर इस जीन के अन्य कई जीन के कार्य को नियंत्रित करने में मदद करने की संभावना है।

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी का इलाज

मायोटोनिक डिस्ट्रोफी का उपचार हर व्यक्ति में बीमारी के संकेतों और लक्षणों पर निर्भर करता है। इलाज में फिजिकल थेरेपी, दर्द निवारक दवा और विशेषज्ञों से परामर्श शामिल है। वर्तमान में मायोटोनिक डिस्ट्रोफी के लिए कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है।

इस बीमारी में लक्षणों को कम करने पर ध्यान दिया जाता है। मांसपेशियों को मजबूत बनाए रखने और मस्कुलोस्केलेटल पेन (मांसपेशियों, हड्डियों, लिगामेंट, टेंडन और नसों में) को नियंत्रित करने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना फायदेमंद होता है।

मांसपेशियों में कमजोरी यदि बढ़ जाए तो ऐसे में छड़ी, ब्रेसेस (शरीर के किसी हिस्से को सपोर्ट करने वाले उपकरण), वॉकर और स्कूटर की मदद ले सकते हैं।



मायोटोनिक डिस्ट्रोफी (मांसपेशियां खराब और कमजोर होना) के डॉक्टर

Dr. Pritish Singh Dr. Pritish Singh ओर्थोपेडिक्स
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