मसल्स लॉस कई कारणों की वजह से हो सकता है, जैसे उम्र बढ़ना या शरीर की पौष्टिक जरूरतों का पूरा न हो पाना व आनुवंशिक आदि. आइए, मसल्स लॉस के कारण विस्तार से जानते हैं-
पर्याप्त पोषण न मिलना
शरीर की पौष्टिक जरूरतों का पूरा न हो पाना भी मसल्स लॉस का कारण बन सकता है. अगर डाइट में लीन-प्रोटीन, फल और सब्जियां शामिल न हों, तो मांसपसेशियों का मास कम होना शुरू हो जाता है. इनकी कमी के कारण शरीर बाकी का पोषण अब्सोर्ब कर पाने में भी समर्थ नहीं रहता है. इस स्थिति में भूख न लगना या अधिक खाने पर भी वजन का न बढ़ पाना जैसे लक्षण भी शामिल होते हैं.
आनुवंशिक
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक जेनेटिक डिसऑर्डर होता है और इसके कारण शरीर की बाकी मसल्स भी प्रभावित हो सकती हैं, जिससे मसल्स लॉस होता है. कई बार माता-पिता के जीन्स में भी यह स्थिति होती है या जब यह मसल प्रोटीन प्रोडक्शन में शामिल होती हैं, तब भी मस्कुलर एट्रोफी की समस्या हो सकती है. यह प्राकृतिक होता है और एंब्रियो के बनने से ही यह स्थिति शरीर में आ जाती है.
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मेडिकल स्थितियां
कुछ क्रोनिक स्थितियां भी मसल्स एट्रोफी का कारण बन सकती हैं. गठिया, एमएस जिसमें इम्यून सिस्टम सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है, पोलियो और कई ऐसी स्थितियां मसल्स लॉस का कारण होती हैं. इन स्थितियों का इलाज करने से भी मसल्स लॉस ठीक किया जा सकता है.
उम्र
जैसे-जैसे व्यक्ति की उम्र बढ़ती है, तो शरीर मांसपेशियों के विकास में मदद करने वाले प्रोटीन को बनाना कम कर देता है. अगर उम्र बढ़ने के कारण मसल्स लॉस होता है, तो बैलेंस बना पाने में, हिलने या मुड़ने में मुश्किल महसूस होती है. मजबूती की भी कमी महसूस हो सकती है. इसे टाल पाना कठिन होता है, क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ-साथ यह लक्षण तो काफी आम हो जाते हैं.
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कुछ न्यूरोलॉजिकल स्थितियां
किसी चोट लगने के कारण या कोई शारीरिक स्थिति होने के कारण वह नर्वस डेमेज हो सकती हैं. जो मसल्स को नियंत्रित करती हैं. इस कारण होने वाले मसल्स लॉस को न्यूरोजेनिक मस्कुलर एट्रोफी कहा जाता है. इस दौरान मसल्स कॉन्ट्रैक्ट होना बंद हो जाती हैं, क्योंकि वह नर्वस से सिग्नल प्राप्त नहीं कर पाती हैं.