मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी - Munchausen Syndrome by Proxy in Hindi

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी
मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी क्या है?
मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी यानी एमएसपी एक मानसिक विकार है। ऐसे व्यक्ति एक नकली बीमारी (भ्रमित करने वाली) या चोट के वजह बनते हैं। दरअसल यह वह स्थिति है, जिसमें एक बच्चे की देखभाल करने वाला व्यक्ति (केयरटेकर- माता-पिता या अन्य कोई) या तो भ्रमित करने वाले लक्षण पैदा करता है या फिर वास्तविक लक्षणों का कारण बनता है जैसे कि बच्चे का घायल या बीमार होना।

एमएसपी मुख्य रूप से एक मानसिक बीमारी है, जिसे बाल शोषण का एक रूप भी माना जाता है। एमएसपी किसी को भी प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की माताओं में सबसे अधिक देखा जाता है। क्लीवलैंड क्लीनिक के आंकड़ों के अनुसार, प्रत्येक वर्ष रिपोर्ट किए गए बाल शौषण के लगभग 25 लाख (2.5 मिलियन) मामलों में से 1,000 एमएसपी से जुड़े हो सकते हैं।

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी के लक्षण - Symptoms of Munchausen Syndrome by Proxy in Hindi

बच्चे में एमएसपी के लक्षण
बार-बार चोट लगने, बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने का इतिहास
ऐसे लक्षण जो किसी भी बीमारी की ओर इशारा ना करते हों
वे लक्षण जो जांच के परिणामों से मेल नहीं खाते हैं
ऐसे लक्षण जिनमें चिकित्सा देखभाल के दौरान सुधार दिखाई देता है, लेकिन घर पर वो फिर उभरकर सामने आते हैं

केयरटेकर में एमएसपी के लक्षण
ध्यान आकर्षित करने वाला व्यवहार
आत्म-त्याग और समर्पित दिखाई देने की कोशिश
डॉक्टरों और अन्य स्टाफ के साथ आत्मीय संबंध जोड़ना
बच्चे के लिए बहुत अधिक लाड़ दिखाना और उसे किसी के पास छोड़ने से इनकार करना
बच्चे के लक्षणों को बढ़ा-चढ़ाकर बताना

अस्पताल का माहौल और वहां बच्चे को मिल रही चिकित्सा का एक तरह से लुत्फ लेना और बार-बार ऐसा ही करने का मन करना भी इसके लक्षणों में है। अगर आपका बार-बार अपने बच्चे को मारने, नुकसान पहुंचाने का मन करता है और फिर तुरंत डॉक्टर की मदद चाहते हैं, तो इन लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। ध्यान रखें कि भले ही कारण कुछ भी हो बच्चे के साथ मारपीट, दुर्व्यवहार और किसी भी तरह की हिंसा कानून जुर्म है।

(और पढ़ें - बच्चों में डिप्रेशन)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Long Time Capsule
₹712  ₹799  10% छूट
खरीदें

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी के कारण - Causes of Munchausen Syndrome by Proxy in Hindi

एमएसपी एक दुर्लभ स्थिति है और इसका सटीक कारण अज्ञात है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इसके लिए मनोवैज्ञानिक और जैविक दोनों कारक उत्तरदायी हैं। एमएसपी से पीड़ित कई लोग अपने बचपन में शारीरिक, भावनात्मक या यौन हिंसा का शिकार हो सकते हैं। कुछ लोगों का ऐसे परिवारों में पालन-पोषण हुआ होता है, जहां बीमार या घायल होने पर प्यार और दुलार मिलता हो। यह भी माना जाता है कि एमएसपी के विकास में तनाव की भूमिका हो सकती है। यह तनाव पिछली दर्दनाक घटना, वैवाहिक समस्याओं या शायद किसी गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकता है।

(और पढ़ें - मानसिक रोग की आयुर्वेदिक दवा और इलाज)

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी का निदान - Diagnosing of Munchausen Syndrome by Proxy in Hindi

एक केयरटेकर में एमएसपी के निदान के लिए सबसे पहली जरूरत तो इस बात की है कि केयरटेकर यह स्वीकार करे कि वह शोषण में शामिल है और इस मनोरोग का इलाज चाहता है। हालांकि, एमएसपी से ग्रस्त लोग झूठ बोलने में माहिर होते हैं, ऐसे में बीमारी का निदान बेहद मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, बीमार या घायल बच्चे की चिंता और उसकी ओर ध्यान देने के चलते डॉक्टरों और परिवार के सदस्यों के लिए एमएसपी की आशंका को नजरअंदाज करना आसान होता है।

यह संभव है कि डॉक्टर पहले पहल तो किसी खास बीमारी के साथ बच्चे का निदान करने की कोशिश करें। यदि कोई बच्चा बार-बार अस्पष्टीकृत बीमारी या चोट के साथ अस्पताल या क्लीनिक में पहुंचता है तो उन्हें बच्चे के साथ शोषण या एमएसपी पर संदेह हो सकता है। केयरटेकर से दूर होने पर बच्चे में किसी लक्षण के अचानक गायब होने या उसकी हालत में सुधार होने पर भी डॉक्टर को एमएसपी का संदेह हो सकता है।

मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी का इलाज - Treatment for Munchausen Syndrome by Proxy in Hindi

एमएसपी के लिए उपचार में बच्चे और वयस्क दोनों शामिल होने चाहिए। पूरे परिवार के लिए इलाज में भाग लेना भी फायदेमंद हो सकता है।

बच्चे का इलाज
एक बार यह निर्धारित हो जाए कि बच्चे के साथ दुर्व्यवहार हो रहा है, तो उसे सुरक्षा दी जानी चाहिए। बच्चे को सुरक्षित हाथों में सौंपना, उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना और यदि एमएसपी से ग्रसित व्यक्ति के साथ कोई अन्य बच्चा भी रह रहा है तो उसे भी उससे दूर कर देना चाहिए। किसी भी मौजूदा शारीरिक चोट या बीमारी का उचित इलाज किया जाना चाहिए। साथ ही मनोवैज्ञानिक परामर्श की भी जरूरत पड़ सकती है। (और पढ़ें - डराने-धमकाने का सेहत पर होता है कैसा असर?)

केयरटेकर के लिए उपचार
बाल दुर्व्यवहार के आरोपी व्यक्ति को कानून के दायरे में लाया जाना चाहिए। अगर एमएसपी का संदेह है, तो मनोरोग परामर्श की सलाह दी जाएगी। हालांकि, यदि केयरटेकर खुद को इस तरह की मानसिक बीमारी से पीड़ित नहीं मानता तो इलाज में मुश्किल हो सकता है।

व्यक्तिगत या पारिवारिक चिकित्सा की मदद से इस समस्या से निजात पाने में मदद मिल सकती है।

(और पढ़ें - डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में गठिया बढ़ने का खतरा ज्यादा)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
Bhringraj Hair Oil
₹546  ₹850  35% छूट
खरीदें

मां में मनचाउसेन सिंड्रोम बाय प्रॉक्सी का उदाहरण - Characteristics of Mother Munchausen Syndrome by Proxy cases in Hindi

एनसीबीआई के अनुसार मनचाउसेन सिंड्रोम वयस्कों में एक जाना-पहचाना सिंड्रोम है, लेकिन मनचाउसेन वो स्थिति है जहां माता-पिता अपने बच्चे में बीमारी के झूठे लक्षण पैदा करते हैं। उदाहरण के तौर पर एक ऐसा ही मामला सामने आया।

इस मामले में 12 साल की एक लड़की के कान में बार-बार मरी हुई मक्खी मिल रही थी, जिसके बाद उसे मनोचिकित्सक के पास भेजा गया। बच्ची को उसके माता-पिता के साथ मनोरोग इकाई में भर्ती किया गया। इस बीच बच्चे के कान को रुई से बंद कर दिया गया, लेकिन लड़की की मां ने उसके कान से रुई निकाल दी और बच्ची के कान से इसके बाद भी मरी हुई मक्खियां मिलती रहीं। इस दौरान बच्ची के टेम्पोरल बोन का सीटी स्कैन भी किया गया, जो सामान्य था। दोनों कानों के पर्दे भी बिल्कुल ठीक थे। ईएनटी विशेषज्ञों का मानना था कि मक्खियों को 'जानबूझकर' उसके कान में डाला जा रहा था।