मंकीपॉक्स - Monkeypox in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

May 26, 2022

May 26, 2022

मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स

कोरोना का डर लोगों के मन से अभी निकला भी नहीं है कि इस बीच मंकीपॉक्स ने दुनियाभर में दहशत फैला दी है. मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाली दुर्लभ बीमारी है. यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है. इस स्थिति में त्वचा पर बड़े-बड़े दाने या घाव बन जाते हैं. यह स्थिति सामान्य या गंभीर दोनों हो सकती है. कुछ मामलों में मंकीपॉक्स खुद ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ मामलों में मंकीपॉक्स जानलेवा भी हो सकता है.

इस समय मंकीपॉक्स वायरस पूरे यूरोप और उत्तरी अमेरिका में फैल रहा है. मई 2022 की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामले यूरोप और अमेरिका समेत कई देशों में लगातार बढ़ रहे हैं. फ्रांस, जर्मनी, इटली, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया में भी इस रोग के मामलों की पुष्टि हुई है. ऐसे में लोगों के मन में मंकीपॉक्स को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं.

आज इस लेख में हम मंकीपॉक्स के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे -

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मंकीपॉक्स क्या है? - What is Monkeypox in Hindi

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ बीमारी है, जो वायरस के कारण होती है. इस बीमारी को जूनोटिक रोग की श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि यह जानवरों से मनुष्यों में फैलती है. यह एक इंसान से दूसरे इंसान में भी फैल सकती है. बुखार, लिम्फ नोड्स में सूजन और त्वचा पर बड़े-बड़े दाने होना मंकीपॉक्स के आम लक्षण हो सकते हैं. ये दाने चेहरे, हाथों व पैरों पर हो सकते हैं, इसकी वजह से त्वचा पर घाव बन सकते हैं.

मंकीपॉक्स के ज्यादातर मामले सेंट्रल और वेस्ट अफ्रीका में नजर आते हैं. अन्य देशों में मंकीपॉक्स के मामले कम ही देखने को मिलते हैं. वर्ष 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए और वर्ष 2022 में यह बीमारी कई देशों में अपने पैर पसार चुकी है.

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मंकीपॉक्स के लक्षण - Monkeypox Symptoms in Hindi

मंकीपॉक्स के लक्षण लगभग स्मॉलपॉक्स यानी चेचक की तरह ही होते हैं. आमतौर पर इसके लक्षण चेचक से हल्के हो सकते हैं. जब कोई व्यक्ति मंकीपॉक्स वायरस के संपर्क में आता है, तो उसमें 5 से 21 दिन के अंदर लक्षण नजर आ सकते हैं. कुछ लोगों में लक्षण नजर आने में 7 से 14 दिन का समय भी लग सकता है. मंकीपॉक्स के शुरुआती लक्षण इस प्रकार से हैं -

मंकीपॉक्स वायरस के संपर्क में आने के बाद सबसे पहले बुखार होता है. बुखार के 1 से 3 दिन बाद त्वचा पर दाने नजर आने लगते हैं. वैसे तो ये दाने त्वचा के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन निम्न अंग ज्यादा प्रभावित होते हैं -

  • चेहरा
  • हाथों की हथेलियां
  • पांवों के तलवे
  • मुंह
  • जननांग 
  • आंखें, जिसमें कॉर्निया भी शामिल हैं

मंकीपॉक्स में होने वाले दाने घाव में भी बदल सकते हैं. ये घाव छोटे होते हैं और धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं. ये घाव इस क्रम में बढ़ सकते हैं -

  • मैक्यूल्स यानी फ्लैट और बिना रंग वाले घाव
  • पपल्स यानी थोड़े उभरे हुए घाव
  • वेसिकल्स यानी घाव में साफ दिखाई देने वाला तरल पदार्थ 
  • पुस्टुल्स यानी घाव में पीले रंग का तरल पदार्थ 
  • त्वचा पर पपड़ी बन जाना

त्वचा पर हुए घाव कुछ दिनों में सूखकर पपड़ी बन जाते हैं. इसके बाद दाने साफ होने लगते हैं. आमतौर पर मंकीपॉक्स के लक्षण 2-4 सप्ताह तक रह सकते हैं और बिना इलाज के भी ठीक हो सकते हैं.

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क्या मंकीपॉक्स जानलेवा है? - Is Monkeypox Dangerous for Human in Hindi

सेंट्रल फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, मंकीपॉक्स के गंभीर मामलों में मृत्यु तक हो सकती है. अभी तक के आंकड़ों के अनुसार इस वायरस से ग्रस्त 10 में से 1 रोगी की मृत्यु हुई है. इस लिहाज से ये वायरस जानलेवा साबित हो सकता है. इंसानों को मंकीपॉक्स वायरस होने पर कई तरह की जटिलताओं का भी सामना करना पड़ सकता है, जैसे -

  • ब्रोन्कोपमोनिया, जो एक प्रकार का निमोनिया है.
  • सेप्सिस, इस स्थिति में शरीर खुद के टिश्यू को ही नुकसान पहुंचाता है.
  • मस्तिष्क के टिश्यू में सूजन, जिसे एन्सेफलाइटिस कहा जाता है
  • कॉर्निया का संक्रमण यानी आंख की बाहरी परत पर इंफेक्शन, जो रोशनी जाने का कारण बन सकता है.

निम्न श्रेणी के लोग इस रोग का जल्दी शिकार होते हैं -

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हाल के दिनों में मंकीपॉक्स वायरस के मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत रहा है.

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मंकीपॉक्स के कारण - Monkeypox Causes in Hindi

मंकीपॉक्स वायरस के कारण होने वाली एक बीमारी है. यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार का हिस्सा है. इसमें वो वायरस शामिल होते हैं, जो चेचक या स्मॉलपॉक्स का कारण बनते हैं. वैज्ञानिकों ने पहली बार 1958 में इस बीमारी की पहचान की थी. उस समय एक अध्ययन किया गया था, जिसमें दो बंदरों में यह वायरस पाया गया. इसलिए इस स्थिति को मंकीपॉक्स कहा जाता है.

इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला मामला कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में सन 1970 में सामने आया था. इसके बाद यह वायरस मध्य और पश्चिमी अफ्रीका के देशों में भी पाया गया. इस समय मंकीपॉक्स दुनियाभर के कई देशों तक फैल चुका है, जो चिंता का विषय है.

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है? - Who does Monkeypox Spread in Hindi

मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवरों के सीधे संपर्क में आने से फैल सकता है. यह जानवरों या इंसानों के निम्न चीजों के संपर्क में आने से फैल सकता है -

  • रक्त 
  • शरीर का कोई तरल पदार्थ
  • त्वचा के घाव 
  • संक्रमित व्यक्ति के सांस से निकलने वाले पदार्थ

मंकीपॉक्स वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तब फैलता है, जब दोनों लंबे समय तक साथ में रहते हैं. जब कोई संक्रमित व्यक्ति से 6 फुट की दूरी बनाकर नहीं रहता है या 3 घंटे से अधिक समय तक संक्रमित व्यक्ति के साथ बैठा रहता है, तो सांस के जरिए मंकीपॉक्स वायरस फैल सकता है. मंकीपॉक्स वायरस इन माध्यमों से भी फैल सकता है -

विशेषज्ञों का कहना है कि मंकीपॉक्स वायरस यौन संचारित संक्रमण नहीं है, लेकिन सेक्स के दौरान यह रोग फैल सकता है, क्योंकि इस स्थिति में दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की सीधे संपर्क में होते हैं.

मंकीपॉक्स की जांच - Diagnosis of Monkeypox in Hindi

संक्रमित व्यक्ति को मंकीपॉक्स ही है, इसकी पुष्टि करने के लिए डॉक्टर निम्न प्रकार की जांच कर सकते हैं -

मेडिकल हिस्ट्री

इसमें डॉक्टर मरीज से ये पूछते हैं कि उसने हाल ही में कहां-कहां की यात्रा की है, ताकि ये पता किया जा सके कि मरीज प्रभावित क्षेत्र से तो होकर नहीं आया.

लैब टेस्ट

इसमें घावों या सूखी पपड़ी से तरल पदार्थ का सैंपल लिया जाता है. इन सैंपल को पोलीमरेज चेन रिएक्शन टेस्ट के जरिए चेक किया जाता है.

बायोप्सी

बायोप्सी में त्वचा के टिश्यू का एक टुकड़ा लेकर उसे चेक किया जाता है.

इस वायरस की जांच के लिए किसी भी प्रकार का ब्लड टेस्ट नहीं किया जाता है. डॉक्टरों का मानना है कि मंकीपॉक्स वायरस रक्त में कुछ देर के लिए ही रहता है, जिस कारण से ब्लड टेस्ट में इसका पता लगाना संभव नहीं है.

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मंकीपॉक्स का इलाज - Monkeypox Treatment in Hindi

इस समय मंकीपॉक्स वायरस का कोई इलाज नहीं है. अधिकतर मामलों में ये गंभीर नहीं होता है और बिना इलाज के ठीक हो सकता है. फिर भी इसके प्रकोप को नियंत्रित करने और बीमारी को फैलने से रोकने के लिए कुछ दवाइयों का उपयोग किया जा सकता है. मंकीपॉक्स के इलाज में शामिल हैं -

  • वैक्सीनिया वैक्सीन (चेचक का टीका) 
  • वैक्सीनिया इम्यून ग्लोब्युलिन (वीआईजी) 
  • एंटीवायरल दवाइयां

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार चेचक का टीका लगभग 85 प्रतिशत मंकीपॉक्स के बढ़ने से रोकने में प्रभावी हो सकता है. जिन लोगों को बचपन में चेचक का टीका लगा होता है, उनमें मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण हल्के हो सकते हैं. 2019 में चेचक और मंकीपॉक्स दोनों को रोकने के लिए एक वैक्सीन को मंजूरी दी गई थी, लेकिन यह अभी भी पूरे विश्वभर में लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है.

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सारांश – Summary

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है. यह बीमारी जानवरों से इंसानों में फैलती है और साथ ही संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है. शुरुआत में मंकीपॉक्स के लक्षण सामान्य होते हैं, लेकिन जैसे-जैसे शरीर में वायरस बढ़ता है इसके लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं. मंकीपॉक्स शरीर के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है. मंकीपॉक्स के गंभीर होने पर ये जानलेवा भी साबित हो सकता है. इसलिए, शरीर में मंकीपॉक्स से संबंधित कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से चेकअप करवाना चाहिए.

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