माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन - Mitral Valve Regurgitation in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

October 26, 2020

January 31, 2024

माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन
माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन

माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन (एमवीआर) को माइट्रल रिगर्जीटेशन, माइट्रल इंसफिशिएंसी या माइट्रल इंकम्पीटेंस भी कहा जाता है।

मानव शरीर में हृदय में चार चैंबर (दो ऊपर और दो नीचे) होते हैं। हृदय के ऊपरी हिस्से में मौजूद दोनों तरफ के चैंबर को एट्रिया और हृदय के निचले हिस्से में मौजूद दोनों तरफ के चैंबर को वेंट्रिकल्स कहते हैं।

माइट्रल वॉल्व हृदय के बाएं तरफ के दोनों चैंबर (बायां एट्रियम और बायां वेंट्रिकल) के बीच स्थित होता है। यह वाल्व बाएं एट्रियम से बाएं वेंट्रिकल की दिशा में खून को ठीक से प्रवाहित करने का काम करता है। यह खून को हृदय के पीछे की ओर बहने से भी रोकता है।

माइट्रल वॉल्व डिजीज तब होता है, जब माइट्रल वॉल्व ठीक से काम नहीं करता है। इस स्थिति में खून बाएं एट्रियम में पीछे की ओर प्रवाहित हो सकता है। नतीजा यह रहता है कि खून पंप करने की हृदय की क्षमता प्रभावित हो जाती है और ऑक्सीजन से युक्त खून पूरे शरीर में नहीं पहुंच पाता है। इसमें थकान और सांस की तकलीफ हो सकती है। हालांकि, माइट्रल वाल्व डिजीज से ग्रस्त कई लोगों में कोई लक्षण नहीं होता है।

इस स्थिति को यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो माइट्रल वॉल्व डिजीज में हार्ट फेल या अनियमित दिल की धड़कन जैसी गंभीर व जानलेवा समस्याएं हो सकती हैं।

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माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन के संकेत और लक्षण क्या हैं? - Mitral Valve Regurgitation Symptoms in Hindi

दिल के चार वाल्व में से अगर एक भी लीक करने लगे, तो इसे लीक हार्ट वाल्व कहा जाता है. लीक हार्ट वाल्व के निम्न लक्षण हो सकते हैं -

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माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन का कारण क्या है? - Mitral Valve Regurgitation Causes in Hindi

यह माइट्रल वॉल्व में होने वाली कुछ जटिलताओं के कारण हो सकता है, जिसे प्राइमरी माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन कहा जाता है। बाएं वेंट्रिकल में होने वाली जटिलताओं को सेकेंड्री या फंक्शनल माइट्रल वॉल्व  रिगर्जिटेशन कहा जाता है। 

माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स

माइट्रल वॉल्व प्रोलैप्स में माइट्रल वॉल्व के दोनों फ्लैप ठीक तरह से बंद ना होकर दाएं एट्रियम की तरफ उभरने लगते हैं। यह हृदय संबंधी एक सामान्‍य विकृति है जिसे “क्लिक मर्मर सिंड्रोम, बारलो सिंड्रोम या फ्लोपी वॉल्व सिंड्रोम भी कहा जाता है।

टिश्यू कोर्ड्स को नुकसान

माइट्रल वॉल्व को हार्ट वॉल (हृदय की परत) से जोड़ने वाले टिश्यू कोर्ड समय के साथ-साथ क्षतिग्रस्त (या घिस कर पतला होना) होने लगती हैं। ऐसा खासतौर पर माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स में होता है। टिश्यू कोर्ड में किसी प्रकार का नुकसान (दरार या छेद आदि) होने और छाती में चोट लगने के कारण भी माइट्रल वाल्व में लीकेज (रिसाव) होने लग जाता है। इस स्थिति में माइट्रल वॉल्व को ठीक करने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है। 

रूमेटिक फीवर

रूमेटिक फीवर एक ऑटोइम्यून इंफ्लामेट्री डिजीज है जो आमतौर पर स्ट्रेप थ्रोट इन्फेक्शन के बाद होता है। रूमेटिक फीवर के कारण हृदय के संयोजी ऊतकों, जोड़ों, रक्त वाहिकाओं और ऊतकों में सूजन व लालिमा पैदा होने लग जाती है। रूमेटिक फीवर माइट्रल वॉल्व को भी प्रभावित कर सकता है जिससे माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन होने का जोखिम बढ़ सकता है। 

हार्ट फेलियर

हार्ट अटैक भी माइट्रल वॉल्व को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप वॉल्व का कार्य भी प्रभावित होता है। हार्ट अटैक के कारण अधिक नुकसान होने की स्थिति में अचानक माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन विकसित हो सकता है लेकिन स्थिति के बहुत ज्‍यादा बिगड़ जाने पर ही ऐसा होता है।

कार्डियोमायोपैथी

कार्डियोमायोपैथी की स्थिति में दिल की मांसपेशियां प्रभावित होती है. इसमें दिल शरीर के बाकी हिस्सों को सही तरीके से खून पंप नहीं कर पाता है. समय के साथ इसकी स्थिति और गंभीर होती जाती है.

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कॉन्जेनिटल हार्ट कंडीशन

अगर किसी बच्चे का जन्म हार्ट डिफेक्ट के साथ हुआ है, तो उसका दिल सही तरीके से काम नहीं करता है. इस डिफेक्ट की वजह से खून सामान्य तरह से फ्लो नहीं करता है और इससे दिल के विकास पर प्रभाव पड़ता है.

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एंडोकार्डिटिस

एंडोकार्डिटिस की समस्या अमूमन बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से होती है, जो हार्ट वाल्व और इसके चेम्बर की लाइनिंग में सूजन का कारण बनता है.

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दिल का आकार बढ़ना

इसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहा जाता है. इसमें दिल के मुख्य चेम्बर यानी लेफ्ट वेंट्रिकल की दीवारें मोटी हो जाती हैं.

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दिल के आकार में बदलाव

दिल में लगी चोट या ट्रॉमा के कारण दिल के आकार में बदलाव आ सकता है, जिससे लीक हार्ट वाल्व की समस्या हो सकती है.

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पल्मनरी हाइपरटेंशन

जब पल्मनरी आर्टरीज में हाई ब्लड प्रेशर हो जाता है, जो दिल से फेफड़ों तक बिना ऑक्सीजन के रक्त को ले जाता है. 

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माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन का निदान कैसे किया जाता है? - Mitral Valve Regurgitation Diagnosis in Hindi

यदि डॉक्टर को संदेह है कि आपको माइट्रल वॉल्व रोग हो सकता है, तो वे स्टेथोस्कोप की मदद से धड़कन को सुनेंगे। आवाज आसामान्य होने पर वे अंदाजा लगा सकते हैं कि वास्तव में क्या समस्या है।

इसके अलावा वे निम्नलिखित परीक्षण भी कर सकते हैं :

इकोकार्डियोग्राम

इस टेस्ट में अल्ट्रासाउंड तरंगों का उपयोग करके हृदय की संरचना और कार्य की छवियां तैयार होती हैं। 

एक्स-रे

एक्स-रे के जरिये आंतरिक अंगों और हड्डियों की जांच करने में मदद मिलती है। इस तकनीक में बिल्कुल भी दर्द नहीं होता और यह हानिकारक भी नहीं है, इसका उपयोग बच्चों से लेकर वयस्कों तक सभी में विभिन्न स्थितियों या चोटों के निदान के लिए किया जाता है।

कार्डिएक कैथीटेराइजेशन

यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसका उपयोग हृदय से जुड़ी कुछ स्थितियों के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान, कैथेटर (लंबी पतली ट्यूब) को आपकी कमर, गर्दन या बांह में मौजूद धमनी या शिरा में डाला जाता है और रक्त वाहिकाओं के माध्यम से यह हृदय तक जाती है।

इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी या ईकेजी)

यह परीक्षण हृदय की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है।

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माइट्रल वॉल्व रिगर्जीटेशन का इलाज कैसे होता है? - Mitral Valve Regurgitation Treatment in Hindi

कुछ मामलों में लीक हार्ट वाल्व होने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर इसके कारण दिल पर दबाव पड़ रहा हो या जिंदगी खतरे में हो, तो इलाज की जरूरत होती. आइए, लीक हार्ट वाल्व के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

वाल्व रिपेयर

यदि मरीज में नए लक्षण नजर आते हैं या पुराने लक्षण बिगड़ जाते हैं, तो डॉक्टर वाल्व की रिपेयरिंग कर सकते हैं. ये सर्जरी विभिन्न तरीकों से की जा सकती है, जैसे -

  • वाल्व फ्लैप को फिक्स करना
  • स्पोर्टिंग स्ट्रकचर को रिपेयर करना
  • वाल्व के बेस को कसना या मजबूत करना
  • रिसाव को रोकने के लिए एक स्टेंट डालना
  • माइट्रल वाल्व लीकेज के लिए एक उपकरण को इंप्लांट करना 

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वाल्व रीप्लेसमेंट

लीक वाल्व को रीप्लेस करने के लिए कार्बन और मेटल से बनी डिवाइस लगाई जा सकती है. किसी मृत इंसान के दान किये गए वाल्व के साथ वाल्व को रीप्लेस करने के लिए भी सर्जरी की जाती है. 

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लाइफस्टाइल में बदलाव

लीक हार्ट वाल्व के इलाज के तौर पर डॉक्टर कुछ एक्सरसाइज करने की सलाह दे सकते हैं. फ्लूइड रिटेन्शन से बचने के लिए नमक का सेवन कम से कम करना. फल और सब्जियों से युक्त डाइट का सेवन करना, जो दिल की सेहत के लिए बढ़िया हों. ब्लड प्रेशर को कंट्रोल में रखना भी एक इलाज ही है. धूम्रपान, कैफीन और अल्कोहल को पूरी तरह से छोड़ देना, क्योंकि इनकी वजह से दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

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दवाइयों का सेवन

डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाइयों का सेवन करने से भी लीक हार्ट वाल्व के लक्षणों से राहत मिल सकती है. इसमें बीटा ब्लॉकर्स जैसी दवाइयां शामिल हैं. 

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सारांश – Summary

लीक हार्ट वाल्व के तहत दिल के चेम्बर के वाल्व ठीक तरह से बंद नहीं होते हैं, जिससे खून वाल्व में पीछे की ओर लीक हो जाता है. इससे दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे हार्ट फेलियर होने की आशंका रहती है. बेहोशी, दिल की धड़कन का तेज या अनियमित हो जाना, चेस्ट में दर्द या दबाव महसूस होना, सांस लेने में दिक्कत होना लीक हार्ट वाल्व के कुछ लक्षण हैं. कार्डियोमायोपैथी, एंडोकार्डिटिस, रुमेटिक फीवर और दिल के आकार का बड़ा हो जाना लीक हार्ट वाल्व के कुछ कारण हो सकते हैं. इसके इलाज के तौर पर वाल्व रिपेयरिंग व वाल्व रीप्लेसमेंट किया जा सकता है.

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