माइक्रोसेफली एक दुर्लभ प्रकार की न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जिसमें शिशु का सिर उसी उम्र के अन्य बच्चों की तुलना में काफी छोटा होता है। माइक्रोसेफली यानी बच्चों के छोटे सिर की यह स्थिति गर्भ में मस्तिष्क के असामान्य रूप से विकसित होने अथवा जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास सही से न हो पाने के कारण होती है। कई बार बच्चे के जन्म के समय ही सिर के छोटे होने की स्थिति का पता चल जाता है, वहीं कुछ बच्चों में जन्म के बाद मस्तिष्क का विकास नहीं हो पाता है।
माइक्रोसेफली विभिन्न प्रकार के आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों के कारण हो सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान ड्रग्स, शराब, कुछ वायरस और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से भी भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है। यह सारे पदार्थ विकासशील मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे यह समस्या उत्पन्न होती है। इस समस्या से ग्रसित बच्चों को अक्सर विकास संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वैसे तो इस विकार का कोई इलाज नहीं है लेकिन अगर समय रहते डॉक्टरी सहायता ली जाए तो इससे बच्चे के विकास के साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। दुनियाभर के कई सारे बच्चे इस समस्या से प्रभावित रह चुके हैं। अकेले अमेरिका में हर साल जन्म लेने वाले 1000 में से 12 बच्चों को यह शिकायत होती है। चूंकि, यह एक दुर्लभ स्थिति है ऐसे में अब तक इसको लेकर बहुत ज्यादा शोध नहीं हुए हैं। अब तक हुए शोध के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया है कि माइक्रोसेफली के कारण लोगों में दौरा पड़ने की समस्या को एमिनो एसिड थेरेपी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।
इस लेख में हम बच्चों में सामान्य से छोटे सिर यानी माइक्रोसेफली के लक्षण, कारण और इसके इलाज के तरीकों के बारे में जानेंगे।