मेलेडा रोग एक बेहद दुर्लभ जेनेटिक स्किन डिसऑर्डर है। इस समस्या के दौरान हथेलियों और पैरों के तलवों की स्किन पर मोटे (पामोप्लांटर हाइपरकेराटोसिस) और सूखे पैच (दाग या धब्बा) विकसित होने लगते हैं। प्रभावित त्वचा असामान्य रूप से लाल (इरिथेमा), मोटी और पपड़ीदार (सिमिट्रिकल कॉर्निफिकेशन) भी हो सकती है।

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मेलेडा रोग के लक्षण - Meleda Disease Symptoms in Hindi

चूंकि मेलेडा रोग एक अत्यंत दुर्लभ आनुवंशिक त्वचा विकार है। इसलिए मेलेडा रोग के लक्षण आमतौर पर बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद दिखाई देने लगते हैं। शुरुआत में पीड़ित शिशुओं की हथेलियां और तलवे की त्वचा आसामान्य रूप से लाल (पॉमोप्लांटर इरिथेमा) हो सकती है। इसके बाद देखा गया है कि प्रभावित त्वचा असामान्य रूप से मोटी, पीली-भूरी और स्केल-जैसी (हाइपरकेराटोसिस) हो जाती है। त्वचा पर ये घाव आमतौर पर शरीर के दोनों तरफ एक ही संबंधित जगह पर मौजूद होते हैं। वहीं, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, तो ये पैच पूरे हाथ या पैर पर भी फैल सकते हैं। आखिर में कलाई, भुजा (हाथ कोहनी तक) और घुटने पर भी घाव हो जाता है। कुछ मामलों में बढ़ती उम्र के साथ, छाती और पेट की त्वचा भी सूखी, पपड़ीदार और फटी-फटी हो सकती है। वहीं, अत्यधिक शुष्क त्वचा (ड्राई स्किन) में दर्द और परेशानी हो सकती है।
 
इसके अलावा मेलेडा रोग से पीड़ित व्यक्ति के मुंह के आसपास या चारों ओर की स्किन लाल (पिरिओरल इरिथेमा) हो सकती है। दूसरी ओर पीड़ित बच्चों के नाखूनों में असामान्यता (नेल डिस्ट्रोफी) का भी पता चलता है मतलब बच्चों के नाखून अत्यधिक कठोर और मोटे (पकीओनिचिया) हो सकते हैं जो कि चम्मच के आकार में मुड़े होते हैं। इतना ही नहीं कुछ मामले ऐसे भी हैं, जिसमें रोगी के हाथों या पैरों पर बालों की अत्यधिक वृद्धि हो सकती है।

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मेलेडा रोग का कारण - Meleda Disease Causes in Hindi

मेलेडा रोग का कारण आनुवंशिक है। आनुवंशिक रोग भी दो जीनों से निर्धारित होते हैं, एक पिता से प्राप्त होता है और दूसरा बच्चे की मां से मिलता है। रिसेसिव जेनेटिक डिसऑर्डर की समस्या तब आती है जब एक व्यक्ति अपने माता-पिता से एक ही विशेषता के लिए एक जैसे ही असामान्य जीन्स प्राप्त करता है। अगर कोई व्यक्ति एक सामान्य जीन और एक बीमारी का जीन प्राप्त करता है तो व्यक्ति बीमारी का वाहक (बीमारी फैलाने वाला) होगा, लेकिन आमतौर पर उसमें बीमारी से जुड़े लक्षण नहीं दिखाई देंगे। 

यदि माता-पिता दोनों ही कैरियर हैं तो दोनों से ही उनके बच्चों में दोषपूर्ण जीन ट्रांसफर हो सकता है। ऐसे में हर गर्भधारण के साथ बच्चे के इस बीमारी से ग्रसित होने की आशंका 25 फीसद और बच्चे के भी माता-पिता की तरह कैरियर होने की आशंका 50 फीसद होगी। यही नहीं, बच्चे में सामान्य जीन पारित होने की संभावना भी 25 फीसद होती है। इसका मतलब है कि ऐसा बच्चा ना तो माता-पिता की तरह कैरियर होगा ना ही मेलेडा रोग से पीड़ित।

मेलेडा रोग का निदान - Diagnosis of Meleda Disease in Hindi

मेलेडा रोग के निदान की पुष्टि, पूरी तरह से क्लीनिकल ​​मूल्यांकन के आधार से की जा सकती है, जिसमें एक रोगी की पूरी जानकारी और शारीरिक निष्कर्षों की पहचान शामिल है। ज्यादातर मामलों में, हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों पर त्वचा की असामान्यताएं देखी जा सकती हैं या फिर बचपन में भी त्वचा की असामान्यताएं (हथेली और तलवों पर) साफ तौर दिखाई दे सकती हैं।

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मेलेडा रोग का इलाज - Meleda Disease Treatment in Hindi

मेलेडा रोग का इलाज उन विशिष्ट लक्षणों के आधार पर किया जाता है जो व्यक्ति में साफ तौर पर दिखाई देते हैं। इस बीमारी के उपचार के लिए विशेषज्ञों की टीम के संयुक्त प्रयासों (कॉर्डिनेटेड अफर्ट्स) की जरूरत पड़ सकती है। बाल रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक (फिजिशियन), त्वचा विशेषज्ञ और अन्य हेल्थ केयर प्रोफेशनल को एक पीड़ित बच्चे के इलाज के लिए व्यवस्थित और व्यापक योजना बनाने की जरूरत पड़ सकती है।

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हालांकि, कुछ ऐसे सीमित मामले भी हैं जिसमें सीधे त्वचा पर लोशन लगाकर घावों के इलाज में सफलता मिली है। वहीं, कुछ मामलों में त्वचा की समस्याओं को कम करने के लिए सर्जरी का उपयोग किया जा सकता है। अत्यधिक पसीना आने की समस्या (हाइपरहाइड्रोसिस) का उपचार एलुमीनियम एसेटेट सोक या एलुमीनियम क्लोराइड हेक्साहायड्रेट से किया जा सकता है।

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