मीटल स्टेनोसिस मूत्रमार्ग के खुलने की संकीर्णता या संकुचन की समस्या से संबंधित है। वैसे तो यह स्थिति जन्मजात हो सकती है या जन्म के बाद भी हो सकती है, लेकिन यह आमतौर पर खतना कराने वाले लड़कों में ज्यादा देखी जाती है। मीटल स्टेनोसिस की समस्या का कारण या तो खुद खतना करवाना हो सकता है या फिर खतना के बाद वहां पर होने वाला चकत्ता या किसी तरह की चोट के परिणामस्वरूप। मूत्रमार्ग के खुलने की जगह संकुचित हो जाने की वजह से पेशा करने में मुश्किल आती है, नतीजतन बच्चे में हेमेटुरिया (पेशाब में खून आना), पेशाब करने में दिक्कत और पेशाब में तेज दर्द महसूस होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
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मीटल स्टेनोसिस को डायग्नोज करने के लिए मुख्य रूप से शारीरिक जांच की जाती है और मीटस (मूत्रमार्ग के द्वार) का साइज चेक किया जाता है। अगर लड़कियों में यह समस्या हो तो मीटस को फैलाकर इस समस्या का इलाज किया जाता है, लेकिन लड़कों में मीटल स्टेनोसिस के इलाज के लिए एक छोटी सी सर्जरी की जाती है जिसे मीटोप्लास्टी या मीटोटोमी कहते हैं।
मीटल स्टेनोसिस क्या है?
मीटस, मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) की ओपनिंग या खुलने की जगह को कहते हैं, वह ट्यूब जिससे पेशाब शरीर से बाहर आती है। जब यह ओपनिंग संकुचित हो जाती है तो इस समस्या को मीटल स्टेनोसिस कहते हैं। यह स्थिति लड़के और लड़कियों दोनों में हो सकती है। वैसे तो आमतौर पर यह समस्या जन्मजात होती है लेकिन कुछ मामलों में यह जन्म के बाद भी किसी कारण से हो सकती है।
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हालांकि, लड़कियों में यह स्थिति बेहद दुर्लभ है, मुख्य रूप से मूत्रमार्ग (यूरेथ्रा) के छोटे साइज के कारण। लेकिन लड़कों में मीटल स्टेनोसिस की समस्या बेहद कॉमन है खासकर उन लड़कों में जिनका खतना किया जाता है। यह स्थिति का पता तब तक नहीं चलता जब तक बच्चे को खुद से टॉइलेट करने की ट्रेनिंग न दी जाए।