मासटोसाइटोसिस क्या है?
मासटोसाइटोसिस एक ऐसी समस्या है जिसमें त्वचा या अंदरूनी अंगों, जैसे लिवर, तिल्ली, अस्थि-मज्जा या छोटी आंत में मास्ट कोशिकाएं एकत्रित हो जाती हैं। मास्ट कोशिकाएं ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो अस्थि-मज्जा द्वारा बनाई जाती हैं। ये कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का एक मुख्य हिस्सा होती हैं जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करती हैं।
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मासटोसाइटोसिस के लक्षण क्या हैं?
मासटोसाइटोसिस होने पर व्यक्ति को थकान, सिरदर्द, त्वचा में घाव, हड्डियां कमजोर होना, मतली या उल्टी, हड्डियों में दर्द, दस्त, मांसपेशियों में दर्द, बेहोशी और लो बीपी जैसे लक्षण अनुभव होने लगते हैं। इसके कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि जींस में कुछ बदलाव के कारण ये समस्या होती है।
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मासटोसाइटोसिस का इलाज कैसे होता है?
लक्षणों को देखकर डॉक्टर को मासटोसाइटोसिस का पता चल जाता है और इसकी पुष्टि के लिए त्वचा की बायोप्सी की जा सकती है। इस बायोप्सी में त्वचा के ऊतकों का एक नमूना लिया जाता है और उसमें एकत्रित हुए मास्ट सेल को माइक्रोस्कोप में देखा जाता है। कुछ मामलों में इसके लिए अस्थि-मज्जा की बायोप्सी भी की जा सकती है। सही से निदान न होने पर मासटोसाइटोसिस के लिए ब्लड टेस्ट या यूरिन टेस्ट भी किए जा सकते हैं ताकि उनमें मौजूद ऐसे केमिकल को देखा जा सके जो मास्ट कोशिकाओं से संबंधित होते हैं।
मासटोसाइटोसिस का इलाज इसके प्रकार व गंभीरता पर निर्भर करता है। कई मामलों में इसके लिए त्वचा पर लगाने वाली क्रीम का उपयोग किया जाता है और कई अन्य मामलों में इसके लिए एंटीहिस्टामिन दवाएं भी दी जाती हैं। इससे त्वचा की लाली और खुजली ठीक होती हैं।
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