मार्फन सिंड्रोम क्या है?
मार्फन सिंड्रोम एक जेनेटिक बीमारी है, जो संयोजी ऊतकों को प्रभावित करती है। इससे शरीर के सामान्य विकास में बाधा आती है। संयोजी ऊतक शरीर में कंकाल की संरचना और सभी अंगों को सपोर्ट प्रदान करते हैं। यदि शरीर में कोई भी ऐसा विकार है, जो आपके संयोजी ऊतकों (जैसे कि मार्फन सिंड्रोम) को प्रभावित करता हो तो उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है जिसमें सभी अंग, स्केलेटल सिस्टम, त्वचा, आंखें और हृदय शामिल है।
आमतौर पर मार्फन सिंड्रोम से ग्रस्त लोग लंबे और पतले होते हैं। इसके अलावा उनके हाथ, पैर, और उंगलियां भी लंबी व पतली होती हैं। मार्फन सिंड्रोम के कारण शरीर को सामान्य या गंभीर नुकसान हो सकता है और यदि हृदय से आपके शरीर के बाकी हिस्सों तक खून संचारित करने वाली एओर्टा (महाधमनी) इससे प्रभावित हो जाए तो यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है।
मार्फन सिंड्रोम के लक्षण
मार्फन सिंड्रोम के लक्षण और संकेत अलग-अलग होते हैं और एक ही परिवार के सदस्यों में मार्फन सिंड्रोम के संकेत व लक्षण अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों पर इस बीमारी का मध्यम प्रभाव पड़ता है, लेकिन कुछ लोगों को इस बीमारी की वजह से जानलेवा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर मामलों में, यह बीमारी उम्र के साथ बदतर होती जाती है। मार्फन सिंड्रोम के निम्नलिखित लक्षण हैं:
- लंबा और पतला होना
- असामान्य रूप से हाथ, पैर और उंगलियों का लंबा होना
- ब्रेस्टबोन का बाहर की ओर या अंदर की ओर धंसना
- दांतों का ऊँचा होना और सही तरीके से एक पंक्ति में ना होना
- दिल की असामान्य ध्वनि
- दूर की नजर कमजोर होना
- असामान्य रूप से रीढ़ की हड्डी का झुकना
- सपाट पैर
मार्फन सिंड्रोम के कारण
मार्फन सिंड्रोम, जीन में हुए किसी दोष के कारण होता है। यह जीन शरीर को एक ऐसा प्रोटीन का उत्पादन करने में सक्षम बनाता है, जो संयोजी ऊतकों को लचीलापन और मजबूती पाने में मदद करता है। अधिकतर लोगों को मार्फन सिंड्रोम के असामान्य जीन इस बीमारी से ग्रस्त अपने माता-पिता से ही मिलते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त माता-पिता के बच्चों में इसका खतरा 50 फीसदी होता है। मार्फन सिंड्रोम से ग्रस्त लगभग 25 प्रतिशत लोगों को यह बीमारी अपने माता-पिता से मिले असामान्य जीन से नहीं होती है।
मार्फन सिंड्रोम का इलाज
मार्फन सिंड्रोम लाइलाज है। इसके उपचार में विभिन्न लक्षणों के प्रभाव को कम करने पर जोर दिया जाता है, जैसे कि:
- कार्डियोवास्कुलर:
इस स्थिति में एओर्टा का आकार बढ़ जाता है, जिससे हृदय से जुडी कई समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए आपको नियमित रूप से हृदय रोग विशेषज्ञ से चेकअप करवाते रहना चाहिए। यदि आपके हार्ट वाल्व में समस्याएं तब भी बनी हुई हैं, तो आपको बीटा-ब्लॉकर्स (जो ब्लड प्रेशर को कम करती हैं) जैसी दवाओं या रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।
- हड्डियां व जोड़:
साल में एक बार चेकअप करवाने से रीढ़ या ब्रेस्टबोन में हो रहे किसी बदलाव का पता लगाने में मदद मिलती है। इसके अलावा डॉक्टर ऑर्थोपेडिक ब्रेस (हड्डी, जोड़ों और मांसपेशियों से संबंधित विकार में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया मेडिकल डिवाइस) इस्तेमाल करने या फिर सर्जरी की सलाह देते हैं, खासकर तब जब तेजी से बढ़ रहा आपका स्केलेटल सिस्टम (हड्डियों और जोड़ों से बना) हृदय या फेफड़ों के लिए मुश्किलें पैदा कर रहा हो।
- दृष्टि से संबंधित समस्या:
नियमित रूप से आंखो की जांच कराने से आंखों से संबंधी समस्याओं का पता लगाने में मदद मिल सकती है। नेत्र विशेषज्ञ आपकी स्थिति के अनुसार चश्मा, कांटेक्ट लेंस या सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
- फेफड़ों पर असर:
यदि आप मार्फन सिंड्रोम से पीड़ित हैं, तो आपमें फेफड़ों का रोग होने का खतरा अधिक होता है। यही कारण है कि इस सिंड्रोम से ग्रस्त व्यक्ति को धूम्रपान से दूर रहने के लिए कहा जाता है। यदि आपको सांस लेने में दिक्कत है, अचानक सीने में दर्द उठता है या लगातार सूखी खांसी है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।