लसीका संबंधी विकृतियां क्या है?
लसीका संबंधी विकृतियों में सिर या गर्दन के आस-पास लसीका वाहिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। हालांकि, लसीका संबंधी विकृतियां शरीर के किसी भी हिस्से (मस्तिष्क को छोड़कर) को प्रभावित कर सकती हैं। यह एक दुर्लभ विकार है जोकि गैर-कैंसरकारी (जो कैंसर न हो) है। आमतौर पर यह विकृति जन्म के समय या दो साल की उम्र तक सामने आ जाती है। कुछ लसीका विकृतियां बड़े पैमाने पर भी हो सकती हैं व इनका आकार निर्धारित नहीं है। इनकी वजह से प्रभावित हिस्से की बनावट या अंगों की कार्य करने की क्षमता में कमी आ सकती है। इस स्थिति को लिम्फैटिक मैलफॉर्मेशन के नाम से भी जाना जाता है।
लसीका संबंधी विकृतियों के संकेत व लक्षण
आमतौर पर, ये शरीर के केवल एक हिस्से को प्रभावित करते हैं, लेकिन कभी-कभी यह फैल भी सकते हैं।
- प्रभावित हिस्से में (जैसे होंठ, जीभ, जबड़े, गाल, हाथ, पैर, उंगलियां या पैर की उंगलियां) सूजन और उनका असामान्य रूप से बढ़ना
- लसीका विकृति की वजह से सूजन व दर्द
- लसीका विकृति की ऐसी स्थिति, जिसमे ब्लीडिंग होती है, बहुत हल्की चोट या गुम चोट से भी हो सकती है।
लसीका संबंधी विकृतियों की जटिलताएं
जीभ, श्वासनली और मुंह की लसीका विकृतियों के कारण निम्न समस्याएं हो सकती हैं:
- बोलने में दिक्क्त
- सांस लेने में कठिनाई
- निगलने में दिक्कत
- खाने में परेशानी
लसीका संबंधी विकृतियों के कारण
गर्भावस्था के शुरुआती चरणों में लसीका विकृति बनने लगती है, लेकिन डॉक्टरों को ऐसा होने के कारण के बारे में सटीक जानकारी नहीं है।
- ऐसा माना जाता है कि अधिकांश लसीका संबंधी विकृतियां बच्चे के विकास के दौरान प्रभावित करती हैं।
- लसीका विकृतियों के गंभीर मामलों में से कुछ में आनुवांशिक गड़बड़ियों की पहचान की गई है।
लसीका संबंधी विकृतियों का इलाज
लसीका संबंधी विकृतियों (लिम्फैंगिओमा) का इलाज इसके आकार, प्रकार, प्रभावित हिस्से सहित कई कारकों पर निर्भर करता है। इस विकार के इलाज में निम्न चीजों को शामिल किया जा सकता है:
- विकृति का अवलोकन (असामान्य ग्रोथ के विकास या बदलाव पर लगातार नजर रखना)
- एंटीबायोटिक दवाएं (संक्रमण का इलाज करने के लिए)
- घाव पर चीरा लगाना और वहां से हो रहे रिसाव को साफ करना
- सर्जरी (लसीका विकृति को निकालने के लिए)
सर्जरी के एक साल के अंदर लिम्फैंगिओमा का छोटा-सा हिस्सा फिर से पैदा हो सकता है और अक्सर इसका पता सर्जरी के एक साल बाद ही चल जाता है। यदि लसीका संबंधी विकृति गंभीर या ज्यादा बढ़ चुकी थी, तो संभवत: इसके दोबारा होने की संभावना ज्यादा होती है।