लॉक्ड-इन सिंड्रोम एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें आंखों को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को छोड़कर शरीर पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो जाता है। इस स्थिति में रोगी जागृत और सतर्क रहता है, इतना ही नहीं उसका मस्तिष्क भी ठीक तरीके से कार्य कर रहा होता है। हालांकि, रोगी न तो किसी प्रकार की गतिविधि कर सकता है और न ही बोलने में समर्थ होता है। रोगी के लिए आंखों से इशारे करके ही अपनी बातों को बता पाना एकमात्र रास्ता होता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक भले ही रोगी का शरीर किसी प्रकार की गतिविधि में समर्थ नहीं होता है फिर भी उसकी संज्ञानात्मक कार्य शक्ति अप्रभावित ही रहती है। लॉक-इन सिंड्रोम, मुख्यरूप से पोन्स के क्षतिग्रस्त होने के कारण होता है। पोन्स ब्रेनस्टेम का एक हिस्सा है, जिसमें तंत्रिका फाइबर होते हैं जो मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में सूचनाओं का संचार करते हैं। एमआरआई और आंखों की गतिविधियों के माध्यम से लॉक्ड-इन सिंड्रोम की समस्या का पता लगाया जा सकता है। लॉक्ड-इन सिंड्रोम के लिए कोई भी विशेष इलाज मौजूद नहीं है। सहायक देखभाल के माध्यम से रोगी के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने की कोशिश की जाती है।
इस लेख में हम लॉक्ड-इन सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।