लाइकेन स्क्लेरोसस (एलएस) त्वचा संबंधी एक दुर्लभ विकार है। इस रोग में त्वचा पतली पड़ जाती है और उसमें झुर्रियां, दाग-धब्बे और खुजली जैसी समस्याएं विकसित हो जाती हैं। यह ज्यादातर जननांग और गुदा के भागों के प्रभावित करती है। इसके सिर्फ 15 प्रतिशत मामलों में ही जांघ, स्तन, कंधे, गर्दन और मुंह के अंदर की त्वचा प्रभावित हो पाती है।
यह रोग ज्यादातर रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में देखा जाता है। यह रोग होने के सटीक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन हार्मोन संबंधी समस्याएं, आनुवंशिक स्थितियां और अंदरुनी रोग इसका कारण बनने वाले कारक बन सकते हैं।
एलएस कोई संक्रामक या यौन संचारित रोग नहीं है। इसे जड़ से खत्म करने के लिए अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है हालांकि, कुछ स्टेरॉयड दवाएं लगाने से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। इस रोग के लक्षणों के बार-बार विकसित होने की संभावना अधिक रहती है, इसलिए समय-समय पर डॉक्टर से जांच करवाना बेहद जरूरी होता है।
पुरुषों में लाइकेन स्क्लेरोसस आमतौर पर लिंग के सिरे को प्रभावित करता है, यह खासतौर पर उन पुरुषों में अधिक पाया जाता है, जिनका खतना नहीं हुआ होता है। यदि लगाने वाली दवाओं से ठीक न हो पाए, तो खतना करके भी इसके लक्षणों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
लाइकेन स्क्लेरोसस कोई जानलेवा रोग नहीं है, लेकिन यह जननांगों में स्क्वैमस स्किन कैंसर होने के खतरे को बढ़ा देता है।