बहुत लंबे समय तक बैठे रहने के बाद आपने अक्सर पैरों का सुन्न हो जाना, झुनझुनाना या कुछ महसूस ना होने जैसी समस्या अनुभव की होगी। पैर सुन्न हो जाने की समस्या एक या दोनों पैरों को प्रभावित कर सकती है। यह समस्या पैर की उंगलियों तक भी बढ़ सकती है। बता दें, यह कई गंभीर चिकित्सा स्थितियों की चेतावनी का संकेत हो सकता है इसलिए यह जानना जरूरी है कि किन स्थितियों में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
अक्सर ऐसा किसी एक हिस्से तक खून की आपूर्ति सही से न होने या तंत्रिका को नुकसान होने की वजह से होता है। हालांकि, यह संक्रमण, सूजन, चोट व अन्य किसी असामान्य प्रक्रियाओं की वजह से भी हो सकता है। यह जानलेवा विकारों की वजह से नहीं होता है, लेकिन यह स्ट्रोक और ट्यूमर से जुड़ा हो सकता है।
पैर सुन्न होने पर पिन या सुईयों की चुभन या त्वचा में जलन महसूस हो सकती है। जबकि कई बार कुछ एहसास न होना, लकवा जैसे उस हिस्से को हिलाने-डुलाने में असमर्थता भी हो सकती है।
यह सुन्नता अचानक हो सकती है या धीरे-धीरे भी विकसित हो सकती है। यदि लंबे समय से यह समस्या है, तो हो सकता है कि तंत्रिकाओं को नुकसान हुआ हो। यह समस्या रात में बदतर हो सकती है, जो पैरेस्थेसिया में आम है।
पैर या किसी अन्य अंग का सुन्न होना किसी अंतर्निहित बीमारी, विकार या स्थिति की वजह से हो सकता है, इसलिए यदि आप कुछ मिनट या इससे भी ज्यादा समय के लिए ऐसा महसूस करते हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने की जरूरत है।
इसके अलावा यदि आपके पैर सुन्न हो जाने के साथ-साथ मूत्राशय या आंतों पर नियंत्रण की कमी, लकवा, भ्रम, पैरों में कमजोरी या बोलने में कठिनाई जैसी स्थितियों का अनुभव करते हैं तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
(और पढ़ें - नसों की कमजोरी का इलाज)